Neech Bhang Rajyog बनता तो 1000 कुंडलियों में से 600 कुण्डली में है लेकिन कार्य सिर्फ 100 कुंडलियों में ही करता है। आपको पता है ऐसा क्यों? अगर आपकी कुंडली में Neech Bhang Rajyog बन रहा है तो इस लेख को पढ़ने के बाद अब कार्य भी करेगा।
नमस्ते! राम-राम Whatever you feel connected with me. मैं ललित कुमार स्वागत करता हूँ आपका Kundali Kaise Dekhe सीरीज के इस अध्याय Neech Bhang Rajyog में। दोस्तों नीच भंग राजयोग के बारे में Theory बताने से अधिक अच्छा रहेगा कि मैं आपको चार-पांच अलग-अलग उदाहरण देके समझाने का प्रयास करूं। क्योंकि ये विषय है ही इतना पेचीदा कि आपको उदाहरण से ही समझ आएगा।
अब Neech Bhang Rajyog के बारे में अच्छी-अच्छी बातें पढ़ने से तो आपका यह राजयोग बन नहीं जाएगा। नीच भंग राजयोग का फल तो जभी आपको मिलेगा जब इस राजयोग का निर्माण आपकी कुण्डली में हो रहा हो। हाँ अगर निर्माण हो रहा है लेकिन किसी कारणवश कार्य नहीं कर रहा जैसे सूर्य से अस्त होने के कारण, डिग्री बल ना होने के कारण तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है।
विषय सूची
ग्रहों की उच्च नीच राशि
Neech Bhang Rajyog को समझने के लिए सबसे पहले आपको ग्रहों की उच्च नीच राशि का पता होना चाहिए जिसका विवरण निम्न प्रकार है:—–
ग्रह | उच्च | नीच |
सूर्य | मेष | तुला |
चंद्र | वृष | वृश्चिक |
मंगल | मकर | कर्क |
बुध | कन्या | मीन |
गुरु | कर्क | मकर |
शुक्र | मीन | कन्या |
शनि | तुला | मेष |
राहु | वृष, मिथुन | वृश्चिक, धनु |
केतु | वृश्चिक, धनु | वृष, मिथुन |
नीच भंग राजयोग कैसे बनता है ?
जब कोई भी ग्रह लग्न कुंडली में नीच का हो और उसकी निचता भंग हो तब नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
नीच भंग राजयोग के फायदे
यह निर्भर करता है कि Neech Bhang Rajyog लग्न कुंडली के किस घर में बन रहा है और नीच भंग राजयोग का निर्माण कौन से ग्रह कर रहे हैं।
नीच भंग राजयोग का कुण्डली में पता लगाने के लिए यह बेहद आवश्यक है कि आपको पता हो कौनसा ग्रह किस राशि में उच्च का होता है और किस राशि में नीच का क्योंकि ग्रहों की उच्च नीच राशि जानें बिना आपको नीच भंग राजयोग का सार समझ नहीं आएगा।
नीच भंग राजयोग के नियम
- सर्वप्रथम कोई भी ग्रह लग्न कुंडली में नीच का हो।
- जो ग्रह लग्न कुंडली में जिस राशि में नीच का हुआ है उस राशि का मालिक साथ हो।
- अगर राशि का स्वामी साथ नहीं है तो नीच ग्रह के साथ दृष्टि संबंध बना रहा हो।
- कुंडली में जिस भाव में जो ग्रह जिस राशि में नीच का हुआ है उसी राशि का उच्च का ग्रह उसके साथ विराजित हो।
- जो ग्रह नीच का हुआ है उसका अंश बल कम ना हो जैसे 1°, 2°, 3° या 28°, 29°, 30° ठीक इसी प्रकार नीच भंग करने वाले ग्रह का भी अंश बल कम ना हो।
- दोनों में से कोई भी ग्रह; नीच का हुआ ग्रह और नीच भंग करने वाला ग्रह सूर्य से अस्त ना हो।
- कुंडली के 6, 8, 12 भाव अच्छे घर नहीं माने जाते इसलिए यहाँ Neech Bhang Rajyog नहीं विपरित राजयोग का निर्माण होता है।
नीच भंग राजयोग के नियम जितने उपर बताये उनको आप अच्छे से पढ़ना हो सकता है कि एक बार में समझ ना आए तो पुनः पढ़ना फिर भी ना समझ आए तो नीचे दिए गए उदाहरण से समझने का प्रयास करना फिर भी समझ ना आए तो बुध का उपाय करना क्योंकि आपका बुध कमजोर है फिर 😄 मज़ाक कर रहा हूँ; अंत में आप कमेंट करना मैं आपको विशेष प्रकार से समझाने का भरसक प्रयास करूंगा।
गुरु का नीच भंग राजयोग
Example-1
जन्मतिथि | 3Feb, 2009 |
जन्मसमय | 06:33 AM |
जन्मस्थान | New Delhi |
- पहला नियम = लग्न कुंडली में कोई भी ग्रह नीच का हो; जो उपर्युक्त मकर लग्न की कुंडली में गुरु मकर राशि 1H में नीच के हैं।
- दूसरा नियम = जो ग्रह नीच का जिस राशि में होता है उस राशि का मालिक साथ हो या फिर राशि का स्वामी दृष्टि संबंध बनाए। यहाँ गुरु मकर राशि में नीच के तो हैं लेकिन मकर राशि के स्वामी शनि ना तो 1H में गुरु के साथ हैं और ना ही दृष्टि संबंध बना रहें हैं क्योंकि शनि की 3, 7, 10 दृष्टियाँ होती हैं जोकि वक्री के हिसाब से भी और सीधे-सीधे भी 1H पर नहीं पड़ रही है।
- तीसरा नियम = जो ग्रह जिस राशि में नीच का हुआ है उस राशि का उच्च का ग्रह साथ हो। जोकि मकर राशि के उच्च ग्रह मंगल होते हैं जो 1H में गुरु के साथ हैं।
- चौथा नियम = नीच होने वाला ग्रह और नीच भंग करने वाला ग्रह दोनों का अंश 0, 1, 2, 3, 28, 29, 30 ना हो। तो यहाँ इस मकर लग्न में गुरु-मंगल दोनों का सही है। गुरु का अंश युवावस्था का है और मंगल का अंश बाल्यावस्था का है।
- पांचवां नियम = नीच होने वाला ग्रह और नीच भंग करने वाला ग्रह सूर्य से अस्त ना हो। यहाँ इस मकर लग्न की कुंडली के 1H में गुरु-मंगल के साथ सूर्य भी हैं और दोनों ही ग्रह सूर्य से अस्त हैं। मंगल अगर 17° सूर्य के नजदीक आ जाए तो अस्त हो जाते हैं इसी प्रकार गुरु 11° सूर्य के नजदीक आने पर सूर्य से अस्त हो जाते हैं।
अंत में खेल खराब हो गया अब देखा आपने पहले तो आसानी से Neech Bhang Rajyog का निर्माण होता ही नहीं है जैसे-तैसे हो भी जाए तो नियमों का ऐसा जाल फैला है कि राजयोग का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है जैसे इस लग्न कुंडली में अस्त होने की वजह से हुआ। अब इस जातक को चाहिए कि ये मंगल-गुरु दोनों का इलाज करे, चाहे जैसे करे बस राजयोग कार्य करना चाहिए।
Example-2
जन्मतिथि | 22 Dec, 1997 |
जन्मसमय | 02:33 PM |
जन्मस्थान | Jaipur |
- 1st Rule = कोई ग्रह नीच का हो जो इस मेष लग्न की कुंडली में गुरु 10H में मकर राशि में हैं।
- 2nd Rule = राशि का स्वामी साथ हो या दृष्टि संबंध बने जोकि शनि 12H में होने से यह नियम लागू नहीं होता।
- 3rd Rule = राशि का उच्च ग्रह नीच ग्रह के साथ हो जो मंगल 10H में गुरु के साथ हैं तो यह नियम लागू होता है।
- 4th Rule = दोनों ग्रहों का अंश बल कम ना हो यहाँ मंगल-गुरु दोनों का अंश बल सही है।
- 5th Rule = अस्त अवस्था। नीच होने वाला ग्रह और नीच भंग करने वाला ग्रह दोनों सूर्य से अस्त ना हो यहाँ गुरु-मंगल दोनों सूर्य से अस्त नहीं हैं।
अब यहाँ नीच भंग राजयोग का निर्माण पूर्ण रूप से हुआ। यहाँ गुरु की निचता मंगल ने भंग की है इसलिए ये जातक गुरु-मंगल की महादशा में किसी भी प्रकार की फोर्स में उच्चाधिकारी बन सकता है। या फिर शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पद पर आसीन हो सकता है। अब ऐसा क्यों मैं कह रहा हूँ उसके लिए आप कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए।
नीच भंग राजयोग का फल एकसार नहीं हो सकता है। जैसे मैंने कहा कि आपकी कुंडली में नीच भंग राजयोग बन गया अब राजा बनोगे या अपार धन संपदा के मालिक बनोगे। ये निर्भर करता है कि कुण्डली में कौनसा ग्रह नीच का हुआ है और उस ग्रह की निचता किसने भंग की है साथ ही साथ नीच भंग राजयोग का निर्माण कुण्डली के किस भाव में हो रहा है।
- सूर्य से अस्त कैसे होते ग्रह देखें वीडियो।
नीच भंग राजयोग के विशेष नियम
- Neech Bhang Rajyog में राहु-केतु किसी भी दशा में शामिल नहीं है। क्योंकि यह दोनों छाया ग्रह हैं। राहु-केतु की निचता ना तो भंग होती है और ना ही ये किसी ग्रह की निचता को भंग कर सकते हैं।
- नीच भंग राजयोग ग्रह की प्रकृति और स्वभाव के अनुसार भी फल देता है जैसे मानो कि सूर्य नीच के हुए जो क्रूर प्रकृति के साथ स्वतंत्र और न्यायप्रिय का स्वभाव भी रखते हैं। सूर्य की निचता को अगर शनि भंग करते हैं तो अलग फल होगा लेकिन शुक्र भंग करें तो अलग फल होगा।
- ये फलादेश कुण्डली के घर पर भी निर्भर करता है। Neech Bhang Rajyog तो बना लेकिन कुण्डली के किस घर में; जैसा कि आपको पता है कि कुण्डली का प्रत्येक घर अपने आप में अहम भूमिका अदा करता है।
- नीच भंग राजयोग का निर्माण करने वाले दोनों ग्रह Active होने चाहिए। Deactivate ग्रह राजयोग तो क्या साधारणतः किसी भी प्रकार का फल नहीं दे सकते।
- नीच भंग राजयोग जब ही 100% कार्य करता है जब दोनों में से किसी एक ग्रह की महादशा आए; वैसे कार्य तो प्राण दशा में भी करता है।
निष्कर्ष
नीच भंग राजयोग हो या कोई अन्य प्रकार का राजयोग हो, सभी राजयोग अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि अगर किसी जातक की कुंडली में किसी भी प्रकार का राजयोग बनता है तो वह शुभाशुभ फलों की प्राप्ति ही करवाता है। व्यक्ति के जीवन में कुछ विशेष अवश्य होता है।
मानो कि आपकी पढ़ाई पूर्ण हुई। पढ़ाई पूर्ण होने के बाद आप 2-3 वर्ष या अधिक भटक भी लिए लेकिन अगर आपकी कुंडली में कोई राजयोग बन रहा है और उसका समय आया तो समय आने पर आपकी नौकरी लग गई। या विवाह नहीं हो रहा था तो विवाह हुआ, संतान नहीं हो रही थी तो संतान हो गई आदि ऐसे ही बहुत सारे उदाहरण हैं जो राजयोग में कार्य करते हैं।
अवश्य देखें
अगर नींच भाँग राज योग मे राहु की युति हो तो क्या वो राजयोग निष्क्रिय माना जाएगा?
Matlab,,, samjh nhi paaya mai aapka,, thoda clear kijiye ☺️🙏☺️
Kripya devlokansh rajyog ke baare me bhi bataiye
Ji bilkul batayunga 🙏☺️🙏
Guru makar rashi me hai 13.19 degree aur chandra kark rashi me 29.3 degree to kya ye neech bhang raj yog kaam karega? Aur kiska upay kare? Guru ka ki chandra ka?
Nhi kaam karega,,,, lekin guru ka upaay karo aap
Neech bhang raj yog ban raha hai, Kark lagna hai, guru makar rashi me hai 13.10 degree aur chandra hai kark rashi me 29.30 degree? Kya neech bhang raj yog banega? Aur kiska upay kare chandra ka ya guru ka?