मांगलिक दोष कब कार्य करता है।

Manglik Dosh के बारे में अक्सर आपने सुना होगा या आपको बताया गया होगा कि जब कुंडली में मंगल 1,4,7,8 या 12 वें भाव में उपस्थित हो तो मांगलिक दोष बनता है। इस विषय की चर्चा अधिकतर विवाह के समय होती है। लेकिन मैं आपको बताऊँ कि मंगल के इन घरों में होने से भी कभी-कभी यह दोष नहीं बनता है क्योंकि कुछ अन्य नियम भी होते हैं जो इस दोष को समाप्त करते हैं। नमस्ते! राम-राम whatever you feel connected with Me. आज हम इन्हीं नियमों के बारे में जानेंगे कि ऐसे कौनसे वो नियम हैं जो आम जनता के संज्ञान में नहीं है।

मंगल दोष बनने के नियम

Manglik Dosh बनने के नियमों को सर्वप्रथम बताया जा रहा है जिससे कि आपको पहले ये पता चले कि ये दोष बनता कैसे है।

  1. लग्न कुंडली में मंगल मारक ग्रह की श्रेणी में हो;
  2. मंगल लग्न कुंडली में 1,2,4,7,8 या 12 वें भाव में उपस्थित हो;
  3. मंगल बलशाली हो।

उपर्युक्त तीन नियम जो ये सोचने पर मजबूर करते हैं कि शायद हम मांगलिक तो नहीं। उपर्युक्त तीन नियमों में आपने यह गौर किया होगा कि मैंने 2H को भी Manglik Dosh में शामिल किया है। इसलिए कि दक्षिण भारत में कुंडली के दूसरे भाव को भी मंगल दोष में शामिल किया जाता है लेकिन मैंने इसलिए शामिल नहीं किया है जबकि उत्तर भारत में दूसरे भाव को शामिल नहीं किया जाता है।

दरअसल कुंडली का 2H वाणी का स्थान भी है और मंगल के यहाँ मारक की स्थिति में उपस्थित होने पर कभी-कभी हमारी वाणी को ये इतना उग्र कर देता है कि बाकि संबंध तो सब चल जाते हैं लेकिन उग्रता की वाणी का स्वभाव होने से ये आभा हमारे पार्टनर पर भी निकलती है जिसके चलते पार्टनर से मनमुटाव का कारण बना ही रहता है और कभी-कभी ये स्थिति इतनी भयंकर हो जाती है कि पार्टनर से अलगाव का वातावरण उत्पन्न कर देती है अर्थात्‌ विवाह विच्छेद करा देती है इसी वज़ह को देखते हुए मैंने Manglik Dosh के नियमों में कुंडली के दूसरे भाव को भी शामिल किया है।

मंगल दोष ना होने के नियम

Manglik Dosh ना होने के नियम ही बेहद ज़रूरी हैं क्योंकि उपर्युक्त नियम पास होने के बाद भी निम्नलिखित नियमों की वज़ह से मंगल दोष समाप्त होता है।

  1. लग्न कुंडली में मंगल के योगकारक ग्रह की श्रेणी में आने पर;
  2. मंगल की 0, 1, 2, 28 या 29 डिग्री होने पर;
  3. सूर्य से अस्त होने पर;
  4. मंगल के साथ गुरु की युति या दृष्टि संबंध होने पर;
  5. मंगल स्वराशि होने पर
  6. 7H का नियम – सप्तमेश सातवें घर में या दृष्टि संबंध होने पर।

प्रथम उदाहरण

Manglik Dosh को अब हम उदाहरण से समझने का प्रयास करेंगे:-

Budh Aditya Yoga
Manglik Dosh
योगकारकअंशबलबलअंशमारक
शुक्र17°100%50%22°मंगल
गुरु22°50%100%13°राहु(नीच)
शनि01°0%100%१३°केतु(नीच)
बुध(अस्त)27°0%
चंद्र15°100%
सूर्य19°50%
Manglik Dosh

उपर्युक्त तुला लग्न कुंडली में हमने देखा कि मंगल मारक ग्रह की श्रेणी में है और बलशाली भी है तथा कुंडली के द्वादश भाव में भी विराजित है। मंगल दोष होने के सभी नियम इस कुंडली में पास होते हैं। इस हिसाब से ये कुंडली Manglik Dosh से युक्त है लेकिन मंगल दोष ना होने के नियम पर नजर डालें तो पता चलेगा कि चौथा नियम ये कहता है कि मंगल के साथ गुरु की युति हो या दृष्टि संबंध बने तो Manglik Dosh नहीं बनता है।

उपर्युक्त तुला लग्न कुंडली में चौथा नियम लागू होता है। 12H में मंगल के साथ गुरु की युति है इसलिए सभी नियम पास होने के बावजूद भी मंगल दोष नहीं है। गुरु के साथ मंगल के होने पर या दृष्टि संबंध बनने पर मांगलिक दोष इसलिए समाप्त हो जाता है क्योंकि बृहस्पति ग्रह परिवार के कारक ग्रह हैं और बृहस्पति का कार्य परिवार को बनाने का है बिगाड़ने का नहीं इसलिए भले ही यह कुंडली में मारक ग्रह की श्रेणी में ही क्यों ना हों लेकिन फिर भी मंगल दोष का निर्माण नहीं होने देते हैं।

द्वितीय उदाहरण

Manglik Dosh
योगकारकअंशबलबलअंशमारक
सूर्य04°25%25%25°चंद्र
बुध19°50%0%29°राहु
शुक्र19°50%0%29°केतु
मंगल08°50%
गुरु01°0%
शनि29°0%
Manglik Dosh

उपर्युक्त सिंह लग्न की कुंडली में हमने देखा कि मंगल बलशाली है साथ में कुंडली के सातवें घर में भी विराजित है लेकिन कुंडली में मंगल योगकारक निकल कर आयें हैं और योगकारक ग्रह की परिभाषा ही यही है कि वह जीवन भर आपको सकारात्मक परिणाम ही देगा। अच्छा करने वाला ग्रह गलत परिणाम या किसी दोष का निर्माण कैसे कर सकता है। इसलिए इस कुंडली में भी Manglik Dosh नहीं है।

तृतीय उदाहरण

नामDeo Prasad Ganguly
जन्मतिथि07/04/1986
जन्मसमय11:45AM
जन्मस्थानChirimiri
Manglik Dosh
Manglik Dosh
योगकारकअंशबलबलअंशमारक
बुध26°25%0%चंद्र
सूर्य23°50%50%११°मंगल
शुक्र12°50%
गुरु16°100%
शनि15°100%
राहु07°50%
केतु07°50%
Manglik Dosh

तृतीय उदाहरण में मिथुन लग्न की कुंडली में मंगल मारक निकल कर आए और बलशाली भी हैं साथ में 7H में भी विराजित हैं। मंगल दोष ना होने के एक भी नियम लागू नहीं होते इसलिए यहाँ Manglik Dosh पूर्ण रूप से निर्मित हो रहा है। अब देखा ना आपने उपर्युक्त कुण्डली कितनी अच्छी कुंडली है लेकिन मंगल दोष होने की वज़ह से सब बेकार हो गया। इस व्यक्ति की दूसरी शादी हो गयी है और दूसरे विवाह के लिए कुंडली का मिलान मैंने ही किया है।

मंगल दोष समाप्ति के नियम

Manglik Dosh बनने के नियम और ना बनने के नियम दोनों को भलीभाँति समझा लेकिन मांगलिक होने के बाद कुछ मंगल दोष समाप्ति के नियम भी होते हैं जो मंगल दोष के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं जिनका विवरण अग्रानुसार है:-

  • 27+ गुण मिलान अगर विवाह के समय कुंडली मिलान में 27 गुण या उससे अधिक गुण मिलते हैं तो मंगल दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
  • 35+ उम्र अगर किसी व्यक्ति की उम्र 35 या उससे अधिक हो जाती है तो मंगल दोष का असर लगभग 10% ही रह जाता है क्योंकि इस दोष के चलते जो भी कुछ नकारात्मक इसको करना होता है वो 35 वर्ष तक कर लेता है उसके बाद तो ये क्या ही करेगा। ऐसा मेरा अनुभव है क्योंकि मैंने ऐसा बहुत सारी कुंडली में देखा है और पाया है कि 35 वर्ष तक या तो व्यक्ति की शादी ही ना हुई होती और अगर हो गई होती है तो कोर्ट का केस चल रहा होता है या विवाह का विच्छेद हो जाता है या फिर दूसरा विवाह हो जाता है अथवा दूसरा बच्चा ही नहीं होता और अगर होता भी है तो किसी कारणवश खराब हो जाता है आदि ऐसी बहुत सारी समस्याएं हैं जो 35 वर्ष से पहले व्यक्ति के जीवन में घटित हुईं होती हैं और 35 वर्ष तक आते आते लगभग समाप्त सी हो जाती हैं।

सावधानियां

Manglik Dosh की सावधानी में बात करें तो ये प्रश्न जब आता है जबकि हम मांगलिक हों। मंगल दोष का पता आप अपनी कुंडली से लगा सकते हैं लेकिन कई व्यक्ति ऐसे भी हैं जिनके पास अपनी कुंडली का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है तब आप मांगलिक दोष के दुष्प्रभावों से इसका पता लगा सकते हैं अगर मंगल दोष से सम्बन्धित कोई समस्या आपके जीवन में चल रही है तो ऐसा मान सकते हैं आप कि मंगल दोष की वज़ह से शायद ऐसा हो रहा हो तब आप निम्नलिखित सावधानियों को अपने जीवन में लागू करें निःसंदेह आपको मंगल दोष से राहत मिलेगी।

  1. हमबिस्तर:- मंगलवार को दिन या रात कभी भी सेक्स नहीं करना है।
  2. गुस्सा:- अपने गुस्से को नियंत्रण और डाइवर्ट करना सीखो। अपने गुस्से की ऊर्जा को अपने कार्य करने की ऊर्जा में मिलाओ तथा वाणी पर संयम रखो और अपने काम को बोलने दो।
  3. अशुद्ध पदार्थ:- ऐसे किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन ना करो जिसका उद्देश्य केवल जिव्हा को सांत्वना देना हो इसलिए केवल ऐसे ही खाद्य पदार्थ खाओ जो पोष्टिक हो।
  4. रक्त दान:- मांगलिक व्यक्ति को कम-से-कम वर्ष में एक बार जरुरतमंद गरीब मरीज को रक्तदान अवश्य करना चाहिए। ये उपाय Manglik Dosh को शांत करने का सबसे असरदार और बेहतरीन उपाय है।

मांगलिक होने पर क्या करें?

  1. मांगलिक से ही विवाह:- अगर आपकी अरेंज मैरेज होती है तो विवाह करने का अधिकार आपके परिवार के पास होता है इसलिए ऐसे पार्टनर का चयन करना चाहिए जो मांगलिक हो ऐसा करने से मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
  2. वृक्ष विवाह:- कई बार ऐसा होता है कि मांगलिक व्यक्ति किसी ऐसे जातक से विवाह करना चाहता है जो मांगलिक नहीं होता जैसे प्रेम विवाह भी हो सकता है। ऐसा होने पर मांगलिक व्यक्ति को सबसे पहले पूर्ण विधि से किसी योग्य पंडित के मार्गदर्शन में पीपल के पेड़ से विवाह करना चाहिए। इस विवाह का उदाहरण ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन का विवाह है।
  3. दो पेड़ों की देखभाल:- विवाह होने के बाद मांगलिक व्यक्ति को दो अन्य पीपल के पेड़ लगाने चाहिए और उनकी तब तक देखभाल करनी चाहिए जब तक कि वे पेड़ युवावस्था की उम्र को पार ना कर लें इसके पश्चात देखभाल ना करने पर भी Manglik Dosh का दुष्परिणाम देखने को नहीं मिलता है।

मांगलिक दोष के उपाय

कई बार ऐसा भी होता है कि हमें अपनी और अपने पार्टनर की कुंडली का कुछ भी नहीं पता होता है लेकिन हमें ये संदेह होता है कि हम मांगलिक हैं। ऐसा होने पर अगर निम्नलिखित उपाय किए जाएं तो Manglik Dosh का प्रभाव समाप्त हो जाता:-

  1. “ओउम् अं अंगारकाय नमः” बीज मंत्र का 108 बार जाप प्रत्येक दिन करना है;
  2. मंगल का दान प्रत्येक मंगलवार कम-से-कम ₹50 का लेकिन सछम ना होने पर अन्य उपायों पर ध्यान दें। मंगल दान वस्तु – लाल वस्त्र, तांबा, मसूर की दाल, मीठी रोटी, गरीब को भोजन कराना, बंदर को गुड़ व चने खिलाना।
  3. हनुमान चालीसा का पाठ प्रत्येक दिन;
  4. प्रत्येक मंगलवार को व्रत सिर्फ पानी और दूध पीकर;
  5. ब्रह्ममुहूर्त में ओउम् बीज अक्षर का ध्यान प्रत्येक दिन।

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