लव मैरेज या अरेंज मैरेज कुंडली में कैसे देखें?

Love Marriage In Kundli प्रेम या अफेयर जीवन में सफल होगा या नहीं इसका फलकथन करने के लिए लग्न कुंडली के केवल एक घर का अध्ययन करना होता है लेकिन प्रेम, विवाह में परिवर्तित होगा या नहीं ये जानने के लिए लग्न कुंडली के तीन घरों का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। तीन घर सुनकर शायद आप असमंजस में पड़े लेकिन लेख को अंत तक पढ़ने के बाद सब कुछ अच्छे से समझ आ जाएगा। ये विषय बड़ा ही रोचक और चर्चित विषय होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण भी है क्योंकि जीवन से जुड़ा हुआ विषय है।

आज का लगभग प्रत्येक नवयुवक प्रेम विवाह करना चाहता है। परिवार के द्वारा बनाये रिश्ते को वो वंधन समझता है और उनको ऐसा लगता है कि उनको किसी खूँटे से बाँधा जा रहा है। कई ऐसे प्रेम विवाह हैं जो सफल रहे हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जिनको परेशानियों का सामना करना पड़ा है किन्तु नवयुवक केवल सफल प्रेम विवाह से ही प्रेरणा लेता है और अपने को भी वैसा ही बनाना चाहता है। तो इस लेख में हम प्रेम और अरेंज विवाह को ज्योतिष के अनुसार समझने का प्रयास करेंगे और ये भी जानेंगे कि हमारी लग्न कुंडली में प्रेम विवाह करना उचित होगा या अरेंज विवाह।

कुंडली में प्रेम विवाह योग कैसे देखे?

Love Marriage In Kundli जन्म कुंडली में प्रेम विवाह योग देखने के लिए लग्न कुंडली के तीन घरों का अध्ययन करना होता है लेकिन इससे पहले ये समझना होगा कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग विषय हैं। प्रेम और अफेयर की सफलता या असफलता के लिए लग्न कुंडली के पांचवें व नौवें घर का अध्ययन करना होता है जबकि विवाह कुंडली के सातवें घर से देखा जाता है। इस प्रकार लव मैरेज करना शुभ होगा या नहीं इसके लिए 5H, 7H और 9H का विश्लेषण करना होता है।

कुंडली का पांचवा भाव

लव और अफेयर को देखने के लिए 5H देखना जरूरी होता है वैसे 5H से अन्य तथ्यों का भी पता लगता है लेकिन विषय लव का है इसलिए केवल इसी संदर्भ में बात करेंगे।

कुंडली का सातवां भाव

7H से जीवनसाथी का निर्धारण होता है हालांकि इस घर से भी अन्य मुख्य-मुख्य विषय के बारे में जाना जा सकता है लेकिन फिलहाल हम विवाह के जरूरी बिंदुओं पर ही नजर डालेंगे।

कुंडली का नौवां घर

अब शायद आप असमंजस में पड़ जाएँ कि कुंडली का 9H तो भाग्य का होता है फिर प्रेम या विवाह के लिए 9H का अध्ययन क्यों? वो इसलिए कि लग्न (1H) से पांचवां घर प्रेम का है तो पांचवें से पांचवां घर प्रेम से प्रेम का होता है अर्थात्‌ लव का डीप (गहराई) अध्ययन करने के लिए 9H का देखना भी आवश्यक होता है।

5H-7H-9H

इन तीनों घरों में जिन बिंदुओं का अध्ययन करना है उनका विवरण निम्न है। सभी बिंदुओं को ध्यान से समझना:-

मालिक की स्थिति

लग्न कुंडली में इन भावों के जो मालिक होंगे उनकी स्थिति को देखना है और यह पता लगाना है कि इन घर के मालिक प्रत्येक पहलू से योगकारक हैं अथवा नहीं तथा निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना है।

नीच अवस्था

पांचवें घर, सातवें घर और नौवें घर का मालिक कहीं नीच का तो नहीं हुआ। यदि ऐसा है तो फिर देखना है कि उसका नीच भंग हुआ है या नहीं क्योंकि नीच भंग होगा तो ग्रह नीच भंग राजयोग बनाएगा अन्यथा ग्रह मारक होगा।

त्रिक भावों में

इन तीनों घर के मालिक कहीं कुंडली के त्रिक भाव में तो नहीं चले गए। यदि ऐसा है तो देखना है कि ग्रह विपरित राजयोग तो नहीं बना रहा क्योंकि अगर नहीं बनाएगा तो कुंडली में मारक होगा।

दोष का निर्माण

इन घरों का स्वामी किसी दोष में तो नहीं फंस रहा जैसे पाप कत्री, अमावस्या दोष, गुरु चांडाल, पितृ दोष आदि और भी दोष हैं जिनके बारे में जानकारी इस बेवसाइट पर उपलब्ध है आप जरूरत पड़ने पर 🔍 खोज सकते हैं। इन घरों का स्वामी यदि दोष का निर्माण करेगा तो कुंडली में मारक ही होगा फिर गलत परिणाम देगा।

राहु-केतु की युति

कुंडली में देखना है कि इन घर का स्वामी यदि सूर्य या चंद्र हो तो उनके साथ राहु-केतु की युति तो नहीं क्योंकि ऐसा होगा तो सूर्य ग्रहण दोष या चंद्र ग्रहण दोष का निर्माण होगा जिसकी वज़ह से भी सम्बन्धित घर का मालिक पीड़ित होगा।

मालिक का अंश

तीनों घर के मालिक का अंश बल अवश्य देखना है कहीं ऐसा तो नहीं कि मालिक का अंश 0,1,2,3,28 या 29 हो क्योंकि ऐसी अवस्था में भी ग्रह कमजोर हो जाता है और प्रेम विवाह लंबे समय तक कायम रहने के लिए तीनों घर के स्वामी बलशाली होने चाहिए। वैसे षड़बल से ग्रह का बल देखा जाता है लेकिन ग्रह का अंश भी 10 से 20 के मध्य होना ही चाहिए।

अस्त अवस्था

सूर्य ग्रह से राहु-केतु को छोड़ सभी ग्रह अस्त होते हैं। अगर इन घर के स्वामी सूर्य से अस्त होंगे तो भी प्रेम विवाह होने पर समस्या होती है इसलिए अस्त अवस्था को देखना जरूरी हो जाता है। {अस्त अवस्था को समझने के लिए Youtube वीडियो देखें}

भावों में बैठे ग्रह

इन घरों में बैठे ग्रह यदि कुंडली में मारक हों तो समस्या उत्पन्न करते हैं लेकिन वहीं अगर योगकारक हो तो प्रेम विवाह होने में कोई समस्या नहीं होती है।

भावों पर दृष्टियाँ

पांचवें, सातवें और नौवें घर पर जिन ग्रहों की दृष्टियाँ पड़ रहीं हैं वो ग्रह भी लग्न कुंडली में योगकारक होने चाहिए अन्यथा अपने समय में दुष्परिणाम ही देते हैं जिससे प्रेम में समस्या और विवाह में विघ्न पड़ता ही है।

भावों के कारक ग्रह

लग्न कुंडली में बारह घरों का स्वामित्व किसी-न-किसी ग्रह को प्राप्त होता है और अलग-अलग लग्न कुंडली के अनुसार स्वामी ग्रह भी बदलते रहते हैं लेकिन प्रेम और विवाह के विषय को समझने के लिए हम केवल इन तीन घरों के कारक ग्रह पर ही ध्यान देंगे। इन घरों के स्वामी तो लग्न कुंडली में योगकारक होने ही चाहिए लेकिन इनके कारक ग्रह भी यदि योगकारक हो जाएँ तो बात बन जाती है। गुरु पांचवें घर के कारक ग्रह हैं, शुक्र सातवें घर के कारक ग्रह हैं और सूर्य-गुरु नौवें घर के कारक ग्रह होते हैं।

नवमांश कुंडली का अध्ययन

कुंडली में प्रेम योग देखने के लिए नवमांश कुंडली देखने की कोई आवश्यकता नहीं होती लेकिन विवाह का विश्लेषण करने के लिए नवमांश कुंडली देखना आवश्यक हो जाता है इसलिए जब कुंडली का सातवां भाव का अध्ययन किया जाए तो नवमांश कुंडली का विश्लेषण जरूर किया जाए; यदि आपको नवमांश कुंडली कैसे देखें? नहीं आता तो आप नवमांश कुंडली के लेख को अवश्य पढ़े ताकि आपको विवाह का विषय अच्छे से समझ आ जाये।

मांगलिक दोष का विवेचन

विवाह का विश्लेषण करते समय मांगलिक दोष का विवेचन अवश्य किया जाना चाहिए क्योंकि लव मैरेज हो या अरेंज मैरेज लेकिन जब कुंडली में मांगलिक दोष उपस्थित हो तो समस्या होती ही है लेकिन मांगलिक दोष को बेअसर किया जा सकता है। इसके लिए आप मांगलिक दोष का लेख पढ़े आपको समझ आ जाएगा कैसे मांगलिक दोष का हउआ बना रखा है।

कुंडली में प्रेम योग

प्रेम और विवाह दो अलग-अलग टॉपिक हैं। अगर केवल प्रेम और अफेयर को देखना है तो कुंडली के केवल पांचवें और नवें भाव को ही देखना होता है लेकिन प्रेम या अफेयर; विवाह में परिवर्तित होगा या नहीं अर्थात्‌ लव मैरेज या अरेंज विवाह ही क्यों ना हो इसके लिए सातवें भाव का अध्ययन करना भी जरूरी हो जाता है। तो प्रेम हो या विवाह, जिन तथ्यों को जाँचना होता है उन सभी की जानकारी उपर्युक्तानुसार है लेकिन अब हम उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं।

तुला लग्न में लव मैरिज का उदाहरण

Budh Aditya Yoga
कुंडली में प्रेम विवाह के योग

प्रेम का विश्लेषण

जैसा कि उपर बताया गया की प्रेम का विश्लेषण करने के लिए पांचवें और नौवें घर का विश्लेषण किया जाता है तो उपर्युक्त तथ्यों को आधार मानकर इन घरों का अध्ययन निम्न प्रकार प्रस्तुत है:-

पांचवां घर (5H)

तुला लग्न में पांचवें घर का आधिपत्य शनि ग्रह को मिला है जोकि कुंडली में एक अंश के साथ हैं। हालाँकि कुंडली में शनि स्वराशि होने की वजह से अति योगकारक हैं लेकिन अंश बल कम होने की वजह से कमजोर हैं। बुध और सूर्य की दृष्टि पांचवें घर पर है; बुध की दृष्टि तो शुभ है लेकिन बुध अस्त हैं तथा सूर्य योगकारक हैं क्योंकि स्वराशि हैं लेकिन दृष्टि शुभ परिणाम नहीं देगी। अब गुरु इस घर के कारक ग्रह हैं जोकि योगकारक हैं क्योंकि विपरित राजयोग बना रहें हैं। तो कुलमिलाकर अधिकतर पांचवां घर ज्यादा अच्छा प्रतीत नहीं हो रहा है क्योंकि घर का स्वामी अंश बल से अत्यधिक कमजोर है।

नौवां घर (9H)

नवम भाव का स्वामी बुध को बनाया गया है और बुध कुंडली के एकादश भाव में हैं जोकि शुभ हैं अर्थात्‌ योगकारक हैं और बुधादित्य राजयोग का निर्माण भी कर रहे हैं लेकिन सूर्य से अस्त हैं। इस घर पर दृष्टि किसी ग्रह की नहीं है लेकिन कारक ग्रह इस घर के सूर्य और गुरु होते हैं जो कुंडली में दोनों ही योगकारक हैं। तो कुलमिलाकर ये घर भी निष्कर्षतः कमजोर ही मिला।

दोनों घर का निष्कर्ष

दोनों घरों के स्वामी कमजोर हैं एक अस्त तो दूसरे अंश बल से कमजोर हालाँकि रत्न और अन्य उपाय के माध्यम से जागृत और बलवान किया जा सकता है लेकिन फ़िलहाल तो प्रेम विवाह करना उचित नहीं लगता है। हाँ स्त्रियों से संबंध अधिक हो सकते हैं और किसी या कई से प्रेम भी हो सकता है लेकिन कब तक रहेगा ये कहा नहीं जा सकता है क्योंकि कुछ समय तक प्रेम का बरकरार रहना विवाह के निर्णय को सही नहीं ठहराता क्योंकि विवाह 7 जन्मों का साथ ना मानो तो इस एक जन्म का तो रहता ही है।

विवाह का विश्लेषण

प्रेम का विश्लेषण करते समय हमने ये समझा कि प्रेम का विवाह में परिवर्तित करना उचित नहीं है; तो क्या विवाह करना भी उचित नहीं है या विवाह में भी अड़चनें आयेंगी। तो चलो अब इसका अध्ययन करते हैं:-

सातवां घर (7H)

शुरू से यहाँ तक पढ़ा होगा तो समझ आया होगा कि विवाह के बिंदु को समझने के लिए सातवें घर का ही विश्लेषण किया जाता है। तो इस लग्न में 7H के मालिक मंगल हैं जोकि कुंडली में मारक हैं तो घर का स्वामी मारक हुआ लेकिन मांगलिक दोष नहीं बना रहे अब क्यों नहीं बना रहे इसके लिए आप मांगलिक दोष वाला लेख पढ़े आपको समझ आ जाएगा। 7H में चंद्र उपस्थित हैं जोकि तुला लग्न में सम होते हैं लेकिन फ़िलहाल की परिस्थिति के अनुसार योगकारक हैं। तो विराजित ग्रह चंद्र योगकारक हैं इसलिए चंद्र के होने से कोई समस्या नहीं।

कारक ग्रह की बात करें तो शुक्र इस घर के कारक ग्रह होते हैं जोकि कुंडली में लग्नेश भी हैं और अति योगकारक भी हैं तो कारक ग्रह से भी कोई समस्या नहीं है। अब दृष्टि को देखते हैं; मंगल की आठवीं दृष्टि और शनि की तीसरी दृष्टि सातवें घर पर पड़ रही है और दोनों ही शुभ है क्योंकि मंगल की दृष्टि अपने ही घर पर पड़ रही है और कोई भी ग्रह कुंडली में मारक ही क्यों ना हो लेकिन यदि उनकी दृष्टि अपने घर पर पड़े तो वो उस जगह समस्या उत्पन्न नहीं करते हैं। शनि तो हैं ही योगकारक तो दृष्टि के लिहाज़ से भी कोई समस्या नहीं है।

तो सातवें घर के स्वामी मंगल हैं और वो मारक हैं सिफ यही समस्या उजागर हुई इसके लिए अब हमें नवमांश कुंडली का देखना भी जरूरी हो जाता है। मैंने इस कुंडली का नवमांश भी देख लिया निष्कर्षतः कोई समस्या नहीं मिली लेकिन यदि आपको नवमांश कुंडली देखना नहीं आता तो आप नवमांश कुंडली वाला लेख पढ़े।

सारांश में कहा जाए तो उपर्युक्त तुला लग्न की कुंडली के अनुसार प्रेम विवाह करना उचित नहीं लेकिन अरेंज विवाह करने में कोई समस्या नहीं होगी।

निष्कर्ष

कभी-कभी ऐसा होता है कि बिना ज्योतिष का ज्ञान रखें व्यक्ति लव मैरेज को कर लेते हैं और उनका विवाह भी अच्छा चलता है लेकिन कुछ समय बाद कोई-न-कोई दरार का कारण बन जाता है। लेकिन विषय ये है कि अब क्या किया जाए जिससे कि विवाह की स्थिति अधिक न बिगड़ पाए।

ऐसा भी होता है कि जातक लव मैरेज ही करना चाहता है लेकिन परिवार को किसी कारणवश बताना नहीं चाहता और जन्म कुंडली में समस्या भी उपस्थित है जैसा कि उपर बताया गया तो ऐसी स्थिति में परिवार को बिना बताये जातक विवाह ना करे क्योंकि परिवार को बताकर विवाह के विच्छेद होने के चांस अत्यधिक कम हो जाते हैं क्योंकि फिर नितांत अपना ही निर्णय नहीं रहता।

यदि आप असमंजस में हैं कि लव मैरेज करें या अरेंज तो अब कुछ संशय बचना नहीं चाहिए क्योंकि लेख में सारी जानकारी को दिया जा चुका है। अब यदि आपके पास लव या अरेंज में से किसी एक का चयन करने का रास्ता उपलब्ध हो तो अपनी कुंडली का अध्ययन करते हुए समस्या वाले विषय को छोड़ दीजिए किन्तु यदि समस्या रहते वही करना है तो अब उपाय सुनिए।

उपाय

प्रेम या विवाह कुंडली में जिस घर में आपको समस्या लगे सबसे पहले उस समस्या को पकड़िये जैसे पांचवें घर का स्वामी मारक है तो उनके बीज मंत्र और दान विधि का रास्ता अपनाए। इसी तरह किसी घर के कारक ग्रह की समस्या है तो उनके बीज मंत्र का रास्ता चुनें इसी तरह कोई ग्रह बलहीन है या अस्त है लेकिन कुंडली में योगकारक है तो दान विधि को छोड़ केवल रत्न और बीज मंत्र के जाप का रास्ता अपनाए।

जैसे उपर्युक्त तुला लग्न में लव मैरिज यदि करनी हो या कुछ प्रकार की स्थिति अन्य कुंडली में होने पर भी करनी हो तो यहाँ शनि और बुध का रत्न पहना जाये तथा मंगल का दान किया जाए और गुरु-सूर्य-शनि-बुध-मंगल के वैदिक बीज मंत्र को सिद्ध किया जाए तो लव मैरेज करने में कोई समस्या नहीं होगी। दान ग्रह का समय आने पर ही किया जाता है ये तो आपको पता चल गया होगा लेख से इसमें कोई संदेह नहीं।

कुछ अलग से उपाय भी होते हैं जो कुंडली के प्रस्तुत होने पर ही बताएं जा सकते हैं क्योंकि विश्लेषण करने के पश्चात्‌ ही आंकलन किया जा सकता है। यदि आपको ग्रहों के वैदिक बीज मंत्र का विधान और महत्व नहीं पता तो आप बीज मंत्र वाला लेख अवश्य पढ़े क्योंकि बिना मंत्र के मह्त्व को समझे किसी भी मंत्र का जपना लगभग निरर्थक ही होता है।

विनम्र निवेदन

दोस्तों Love Marriage In Kundli से संबंधित प्रश्न को ढूंढते हुए आप आए थे इसका समाधान अगर सच में हुआ हो और लव मैरेज का उपाय सच में समझ आया हो तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक महानुभाव तक पहुंचाने में मदद करिए ताकि वो सभी व्यक्ति जो ज्योतिषशास्त्र में रुचि रखते हैं, अपने छोटे-मोटे आए प्रश्नों का हल स्वयं निकाल सकें। इसके साथ ही मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए ताकि आपको सभी तथ्य समझ में आते चलें इसलिए यदि आप नए हो और पहली बार आए हो तो कृपया मेरी विनती को स्वीकार करें।

नमस्ते! मैं ज्योतिष विज्ञान का एक विद्यार्थि हूँ जो हमेशा रहूँगा। मैं मूलतः ये चाहता हूँ कि जो कठिनाइयों का सामना मुझे करना पड़ा इस महान शास्त्र को सीखने के लिए वो आपको ना करना पड़े; अगर आप मुझसे जुड़ते हैं तो ये मेरा सौभाग्य होगा क्योंकि तभी मेरे विचारों की सार्थकता सिद्ध होगी।

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