लक्ष्मी नारायण योग

Lakshmi Narayan Yog जातक को अपार धन सम्पदा देने के साथ-साथ ज्ञानी भी बनाता है। ज्ञानी होने से जातक अपने सम्पूर्ण धन का प्रयोग सही दिशा में ही करता है। लेकिन Lakshmi Narayan Yog बहुत ही कम कुंडलियों में पूर्ण रूप से बनता है क्योंकि सिर्फ युति होने से ये नहीं माना जा सकता कि यह Lakshmi Narayan Yog है क्योंकि निर्भर करता है कि युति कुंडली के अच्छे घर में हो इसके साथ-साथ अन्य नियम भी होते हैं जिनके तहत ये Lakshmi Narayan Yog बनता है। नमस्ते! राम-राम Whatever you feel connected with Me. तो चलिए अब हम इस लेख में सम्पूर्ण विवेचना के साथ Lakshmi Narayan Yog को समझेंगे:-

कुंडली में लक्ष्मीनारायण योग कब बनता है?

Lakshmi Narayan Yog कुंडली में शुक्र ग्रह और बुध ग्रह की युति से बनता है अर्थात्‌ लग्न कुंडली में जब ये दोनों ही ग्रह एकसाथ होकर कुंडली के किसी अच्छे भाव में योगकारक होते हैं और साथ में अंशबल भी सही हो और षडबल से भी अगर मजबूत हो जाएँ तो यह लक्ष्मी नारायण योग बनता है।

कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग कैसे चेक करें

लक्ष्मी नारायण योग को जाँचने के लिए निम्नलिखित नियम हैं जिनको आप अपनी कुंडली में मिलाकर योग को चेक कर सकते हैं:-

  1. योगकारक:- शुक्र और बुध दोनों ही ग्रह कुंडली में योगकारक हों;
  2. अंशबल:- दोनों ग्रहों का अंश बल अच्छा हो;
  3. अस्त अवस्था:- दोनों ही ग्रह सूर्य से अस्त ना हो क्योंकि दोनों ही ग्रह सूर्य के आसपास ही रहते हैं इसलिए इनके अस्त होने की संभावना अधिक रहती है;
  4. नीच अवस्था:- कोई भी ग्रह कुंडली में नीच का ना हो अगर हो तो उनका नीच भंग अवश्य हो;
  5. स्वग्रही:- शुक्र या बुध दोनों में से कोई एक ग्रह अगर स्वग्रही होता है तो षडबल से यह योग बलशाली होता है;
  6. मित्रग्रही:- शुक्र+बुध अगर मित्र ग्रह की राशि में होते हैं तो इनको षडबल मिलता है;
  7. त्रिक भाव:- कुंडली के त्रिक भाव में यह राजयोग नहीं बनता है।

मिथुन लग्न में लक्ष्मी नारायण योग

लक्ष्मी नारायण योग
Lakshmi Narayan Yog
  1. बुध और शुक्र की युति 1 भाव में होने पर दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं इसलिए यहाँ लक्ष्मी नारायण योग बनेगा;
  2. बुध और शुक्र की युति 2 भाव में होने पर दोनों ग्रह योगकारक होते हैं लेकिन शत्रु की राशि में होने से षडबल कमजोर होगा किन्तु योग फिर भी बनेगा;
  3. बुध और शुक्र की युति 3 भाव में होने से भी योग बनेगा लेकिन यहाँ षडबल कमजोर होगा क्योंकि तृतीय भाव में बुध तो मित्र की राशि में हैं लेकिन शुक्र शत्रु की राशि में हैं;
  4. बुध और शुक्र की युति 4 भाव में होने से बुध उच्च के होते हैं लेकिन शुक्र नीच के होते हैं इसलिए यहाँ नीच भंग राजयोग के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण योग भी बनेगा;
  5. बुध और शुक्र की युति 5 भाव में होने से दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं इसलिए राजयोग बनेगा;
  6. बुध और शुक्र की युति 6 भाव में होने से यह राजयोग नहीं बनेगा क्योंकि यह त्रिक भाव है;
  7. बुध और शुक्र की युति 7 भाव में होने पर लक्ष्मी नारायण योग बनेगा;
  8. बुध और शुक्र की युति 8 भाव में राजयोग का निर्माण नहीं करेगी क्योंकि कुंडली का त्रिक भाव है;
  9. बुध और शुक्र की युति 9 भाव में इस राजयोग का निर्माण करेगी;
  10. बुध और शुक्र की युति 10 भाव में बुध नीच के होते हैं लेकिन शुक्र उच्च के होने से नीच भंग राजयोग भी बनेगा और लक्ष्मी नारायण योग भी बनेगा;
  11. बुध और शुक्र की युति 11 भाव में इस राजयोग को बनाएगी लेकिन षडबल कमजोर होगा;
  12. बुध और शुक्र की युति 12 भाव में लक्ष्मी नारायण योग नहीं बनाएगी क्योंकि कुंडली का त्रिक भाव है जो अच्छा नहीं होता है।

सभी लग्न में राजयोग का विश्लेषण

मेष लग्न?
वृषभ लग्नबनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
मिथुन लग्नबनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
कर्क लग्नकेवल 3H और 9H में
सिंह लग्नबनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
कन्या लग्नबनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
तुला लग्नबनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
वृश्चिक लग्नकेवल 5H और 11H में
धनु लग्न4,10 और 11 भाव में केवल
मकर लग्नबनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
कुंभ लग्नबनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
मीन लग्न1,3 और 7 भाव में केवल
Lakshmi Narayan Yog

मेष लग्न में Lakshmi Narayan Yog बनेगा या नहीं ये आप बताओगे क्योंकि आपके बताने से ही मुझे पता चलेगा कि मेरे द्वारा चलाई गयी कुंडली कैसे देखें? सीरीज आपको समझ में भी आ रही है या नहीं लेकिन मेरा विश्वास है कि अगर आप शुरू से देखकर आ रहें हैं तो अवश्य समझ में आ रही होगी इसलिए मैं ये वादा करता हूँ कि जो इस प्रश्न का उत्तर सही देगा उन प्रथम 10 व्यक्तियों की कुंडली मैं फ्री में देखूँगा

उदाहरण

नामयुगल प्रताप सिंह
जन्मतिथि14 अक्टूबर 2018
जन्मसमय11:45AM
जन्मस्थानसिकंदरा राव
Lakshmi Narayan Yog
Lakshmi Narayan Yog
योगकारकअंशबलबलअंशमारक
मंगल17°100%0%गुरु
शुक्र15°100%50%शनि
बुध12°100%0%29°चंद्र
सूर्य26°25%50%राहु
50%केतु
Lakshmi Narayan Yog

इस उदाहरण में शुक्र और बुध दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं और दोनों ग्रह सूर्य से अस्त भी नहीं है। इस जातक का यह राजयोग शुक्र की महादशा में बुध की अंतर्दशा आने पर फलीफूत होगा जोकि इसके जीवन में सन 2042 में आएगी जब ये जातक 24 वर्ष का अर्थात्‌ पूर्ण युवा होगा। ये काल व्यक्ति के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है क्योंकि इसी काल में व्यक्ति कुछ भी कर गुजर-जाने की क्षमता रखता है।

महत्वपूर्ण

इस राजयोग को देखते समय आपको सबसे पहले ये देखना है कि दोनों ग्रह कुंडली में किसी भी दशा में योगकारक हों और इन दोनों ग्रहों की युति कुंडली के त्रिक भाव अर्थात्‌ 6-8-12 में ना हो तथा सबसे महत्वपूर्ण कि ये दोनों ही ग्रह सूर्य से अस्त ना हो इसके साथ सबसे अधिक महत्वपूर्ण ये ध्यान देना है कि इस राजयोग का जीवन में समय कब आएगा जो आपको पता चलेगा महादशा देखने से जैसे इस व्यक्ति के जीवन में इस राजयोग का समय अच्छे समय आ रहा है।

शुक्र की महादशा हो या फिर बुध की महादशा हो और इसी महादशा में शुक्र या बुध की अंतर्दशा आने पर यह राजयोग पूर्ण रूप से कार्य करता है। हालाँकि प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म दशा और प्राण दशा में भी यह राजयोग काम करता है पर इनका समय कम अवधि का होता है इसलिए यह अधिक फलदायी नहीं होता है पर प्रभाव हीन नहीं होता है। लंबे समय तक टिकने वाला राजयोग ही प्रभावयुक्त होता है।

लक्ष्मीनारायण राजयोग के लाभ

बारह लग्न कुंडली में भिन्न-भिन्न फायदे इस राजयोग के होते हैं। यह निर्धारित नहीं किया जा सकता कि धनु लग्न में इस राजयोग का यह फायदा होगा तो अन्य लग्न में भी वही लाभ होगा। और ये भी आवश्यक नहीं कि सभी लग्नों में यह समान भाव में बने जैसे उपर्युक्त उदाहरण में एकादश भाव में यह राजयोग बन रहा है लेकिन यह कोई जरूरी नहीं कि अन्य धनु लग्न में इसी भाव में यह राजयोग बने।

इसलिए फलकथन करते समय अन्य ग्रहों की स्थिति को भी ध्यान में रखना होता है; इसके साथ-साथ अन्य बहुत सारे ऐसे तथ्य होते हैं जिनका ध्यान फलकथन करते समय एक विशेषज्ञ को रखना चाहिए। जैसे उपर्युक्त युगल प्रताप सिंह की कुंडली में इस राजयोग के समय ही इस जातक का विवाह होगा लेकिन फलकथन का यह केवल एक बिन्दु है। तथापि फलकथन को समझाने का समय अभी नहीं आया है किन्तु जैसे-जैसे कुंडली कैसे देखें? सीरीज को आप देखते चलेंगे आपको स्वतः ही फलकथन करना भी आ जाएगा और रहा बचा आपकी खोजी बुद्धि आपको सीखा देगी।

लक्ष्मीनारायण योग को बलवान कैसे करें?

मानो कि आपकी कुंडली में लक्ष्मीनारायण योग बन रहा है लेकिन दोनों ग्रह या कोई एक सूर्य से अस्त है तब ऐसी स्थिति में आप सम्बन्धित ग्रह का रत्न धारण कर सकते हैं लेकिन रत्न धारण करते समय आपको चलित कुंडली भी एक बार देखनी है और यह भी ध्यान रखना है कि जिस ग्रह का आप रत्न धारण कर रहें हैं वो ग्रह आपकी लग्न कुंडली में नीच का तो नहीं; नीच भंग होने की अवस्था में भी नीच हुए ग्रह का रत्न धारण नहीं किया जाता है।

चलित कुंडली में कभी-कभी ग्रहों की स्थिति लग्न कुंडली से भिन्न हो जाती है। रत्न चयन करते समय चलित कुंडली में आपको यह देखना है कि जिस ग्रह का आप रत्न धारण करना चाहते हैं वो ग्रह चलित कुंडली में त्रिक भाव में तो नहीं चला गया या फिर चलित कुंडली में नीच का तो नहीं है; ऐसा होने की स्थिति में रत्न को धारण नहीं किया जाता है।

शुक्र-बुध ग्रह का अंशबल कम होने की अवस्था में भी आप रत्न को धारण कर सकते हैं। इसके साथ आप इन ग्रहों के बीज मंत्र को भी सिद्ध कर सकते हैं जिससे कि आपको लक्ष्मीनारायण राजयोग का उचित फल मिल सके। बीज मंत्र का विवरण अग्रानुसार है:-

  • शुक्र ग्रह बीज मंत्र – ओउम् शुं शुक्राय नमः
  • बुध ग्रह बीज मंत्र – ओउम् बुं बुधाय नमः

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि शुक्र+बुध की युति कुंडली में होती तो है लेकिन दोनों ही ग्रह या कोई एक ग्रह मारक होता है किन्तु दोनों को हम कुंडली में ना सिर्फ योगकारक ही करना चाहते हैं बल्कि लक्ष्मीनारायण योग का भी फल लेना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में आप निम्नलिखित बीज अक्षर का जाप रूद्राक्ष की माला पर प्रत्येक दिन शाम 6 बजे से पहले 108 बार कर सकते हैं जिससे आपको जल्द अत्यधिक शुभ फल की प्राप्ति हो:-

  • शुक्र के लिए बीज अक्षर श्रीं
  • बुध के लिए बीज अक्षर गं

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इन्हें भी देखें

  1. नीचभंग राजयोग
  2. मांगलिक दोष
  3. राशिफल 2023

प्रतिष्ठा, काम और अर्थ; परिवर्तित होता है तो केवल इनके उपयोग और अर्जित करने की विधि लेकिन फिर भी व्यक्ति इनके प्रवाह के वेग में प्रवाहित हो जाता है—– आखिर क्यों?

ललित कुमार

नमस्ते! मैं ज्योतिष विज्ञान का एक विद्यार्थि हूँ जो हमेशा रहूँगा। मैं मूलतः ये चाहता हूँ कि जो कठिनाइयों का सामना मुझे करना पड़ा इस महान शास्त्र को सीखने के लिए वो आपको ना करना पड़े; अगर आप मुझसे जुड़ते हैं तो ये मेरा सौभाग्य होगा क्योंकि तभी मेरे विचारों की सार्थकता सिद्ध होगी।

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