Lagna Dosh कुंडली में बनने वाला एक ऐसा दोष है जो राजयोग के प्रभाव को भी कम कर देता है और अक्सर ऐसा देखा गया है कि व्यक्ति सबकुछ पाते-पाते रह जाता है सिर्फ लग्न दोष के कारण। जातक का ना कि सिर्फ भाग्य ही कमजोर होता है बल्कि खुद से किसी नए कार्य को अंजाम देने की इच्छा भी व्यक्ति की लगभग समाप्त सी हो जाती है। नमस्ते! राम-राम Whatever you feel connected with Me. तो चलिए लग्न दोष क्या है? इसको अच्छे प्रकार से समझने का प्रयास करें:-
विषय सूची
लग्न कुंडली क्या होती है
Lagna Dosh जानने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि लग्न कुंडली क्या होती है? किसी भी जातक के जन्म के समय ग्रह-नक्षत्र की स्थिति जो ब्रह्माण्ड में होती है ठीक वैसी ही स्थिति जहाँ अंकित हो जाए वही लग्न कुंडली होती है और लग्न कुंडली से ही सम्पूर्ण जीवन का फलादेश किया जा सकता है।
कुंडली में लग्नेश क्या है?
कुंडली में कुल 12 घर होते हैं जो बराबर भागों में बंटे होते हैं लेकिन कुंडली का पहला घर लग्न कहलाता है और लग्न में जो राशि होती है उस राशि का स्वामी लग्नेश होता है। लग्नेश यानि कि सम्पूर्ण कुंडली का मालिक जो कुंडली में सदा ही योगकारक होता है अगर कुंडली में नीच का और त्रिक भाव में ना जाए तो भले ही लग्नेश की एक राशि त्रिक भाव में क्यों ना हो लेकिन लग्नेश सदा योगकारक होता है। लग्नेश यानि की आप, आपके कार्य करने की क्षमता, आपकी स्फूर्ति, आपका स्वभाव, आपका व्यक्तित्व, आपका चरित्र, आपके सोचने-समझने की क्षमता अर्थात् आप।
अब सोचो कि आपको शरीर में कोई छती पहुँचे तो तन-मन सम्पूर्ण व्यवस्था हिल जाती है और परिणाम स्वरूप आप कहीं-न-कहीं कमजोर ही होते हो उसी प्रकार जब कुंडली में लग्नेश को छती पहुँचती है तो राजयोग भी फीका पड़ जाता है। मानो कि कहीं बुद्धि या बल का प्रदर्शन हो रहा है और आपका लग्नेश कमजोर है अर्थात् आप स्वयं कमजोर हो तब किसी भी प्रकार का कोई प्रदर्शन हो अथवा नहीं आपके लिए तो व्यर्थ है क्योंकि आप उसमें भाग ही नहीं ले सकते। इसी व्यथा को कुंडली की भाषा में कहते हैं लग्न दोष, जब लग्न को किसी प्रकार का कोई दोष लगे तो लग्न पीड़ित होता है।
कुंडली में लग्न दोष क्या होता है?
किसी भी लग्न कुंडली में जब लग्नेश कुंडली के छठवें भाव, आठवें भाव या बारहवें भाव में चला जाए तो इस स्थिति को लग्न दोष कहा जाता है। इसके साथ कुछ अन्य नियम भी हैं जिनके होने पर लग्न दोष की संज्ञा दी जा सकती है जो निम्नलिखितानुसार है:-
- लग्नेश का अंशबल 0,1,2,3,27,28 या 29 हो तो;
- लग्नेश सूर्य से अस्त हो तो;
- लग्नेश किसी दोष में अगर फस रहा हो तो;
- लग्नेश नीच का हो लेकिन उसका नीच भंग ना हो तो।
लग्नेश त्रिक भाव में जाए अथवा उपर्युक्त एक भी नियम लग्नेश पर अगर लागू हो तो लग्न दोष बनता है।
उदाहरण
Lagna Dosh को हम एक उदाहरण से समझने का प्रयास करेंगे:-
उपर्युक्त धनु लग्न कुंडली में लग्नेश बृहस्पति देव हैं जो कुंडली के 12H में विराजमान है इसलिए इस कुंडली में लग्न दोष उपस्थित है। 6H, 8H और 12H कुंडली के त्रिक भाव होते हैं और किसी भी लग्न कुंडली में लग्नेश जब इन त्रिक भावों में चले जाते हैं तो लग्न बनता है। इसी प्रकार लग्नेश गुरु उपर्युक्त कुंडली में अगर 2H में होते तो मकर राशि में नीच के हो जाते फिर अगर इनका नीच भंग नहीं होता तो भी इस अवस्था को लग्न दोष की संज्ञा दी जा सकती है।
इसी प्रकार लग्नेश गुरु की डिग्री अगर 0,1,2,3,27,28 या 29 होती तो भी लग्न दोष कहा जा सकता है फिर चाहें गुरु कुंडली के किसी भी घर में क्यों न बैठे हों लेकिन अन्य घर में होने से इनका रत्न धारण किया जा सकता है जिससे इनके बल में बढ़ोत्तरी होती है।
लग्न दोष के उपाय
लग्न दोष के उपाय में सर्वश्रेष्ठ उपाय है लग्नेश का वैदिक बीज मंत्र सिद्ध करना व उनके बीज मंत्र का जाप जीवनभर करना। कुंडली में लग्नेश कितना भी मारक क्यों ना हो पर लग्नेश का दान नहीं किया जाता है बल्कि लग्नेश को पूजा-आराधना के माध्यम से प्रसन्न किया जाता है। लग्नेश के आराध्य की पूजा करके भी लग्न दोष के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। जैसे उपर्युक्त धनु लग्न में गुरु लग्नेश हैं लेकिन अगर गुरु का उपाय ना करके उनके आराध्य विष्णु जी की पूजा की जाए तो लग्न दोष के प्रभावों से बचा जा सकता है।
- सूर्य का मंत्र – ओउम् घृणि सूर्याय नमः
- चंद्र का मंत्र – ओउम् सोम सोमाय नमः
- मंगल का मंत्र – ओउम् अं अंगारकाय नमः
- बुध का मंत्र – ओउम् बुं बुधाय नमः
- बृहस्पति का मंत्र – ओउम् ब्रं बृहस्पतेय नमः
- शुक्र का मंत्र – ओउम् शुं शुक्राय नमः
- शनि का मंत्र – ओउम् शं शनैश्चराय नमः
- राहु का मंत्र – ओउम् रां राहवे नमः
- केतु का मंत्र – ओउम् कें केतवे नमः
उपर्युक्त जो ग्रह आपका लग्नेश हो उनके वैदिक बीज मंत्र का जाप आप जीवनभर कर सकते हैं। इससे लग्नेश को बल मिलता है और वह कुंडली में लग्न दोष होने के बाद भी अच्छे परिणाम देता है।
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झूठ क्या है? मैं, तुम, परिवार,समाज, यश, मान-सम्मान, बल, सामर्थ्य, आस्था, श्रद्धा, शरीर, मन, इस संसार में जो है और जो नहीं है चाहें वो चलायमान हो या स्थिर सब कुछ झूठ है; सत्य है तो केवल झूठ; झूठ के सिवा कुछ भी सत्य नहीं।
ललित कुमार
ज्योतिष परामर्श
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