चंद्र ग्रहण दोष का उपाय क्या करें?

चंद्र ग्रहण दोष क्या होता है?

Chandra Grahan Dosh बनने पर व्यक्ति किसी भी कार्य को पूर्ण नहीं कर पाता है और जीवन में किसी-न-किसी बात को लेकर बैचैन ही रहता है। जब व्यक्ति किसी भी कार्य में एकाग्र नहीं हो पाएगा तो उस कार्य को अंजाम कैसे दे पाएगा। वो कहते हैं ना मन के हारे हार और मन के जीते जीत ये कहावत सर्वथा उचित है। ऐसे व्यक्ति जीवन में हमेशा अपने आप को हारा हुआ समझते हैं और ऐसे विचार केवल उनके मन में ही आते हैं। ऐसे व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यधिक कमजोर होते हैं।

चंद्र ग्रहण दोष कैसे बनता है?

Chandra Grahan Dosh चंद्र राहु की युति या फिर चंद्र केतु की युति से बनता है। जब ये दो ग्रह कुंडली के किसी भी घर में एकसाथ हों तो ये दोष बनता है लेकिन यदि दोनों ग्रह कुंडली में योगकारक हों तो यह दोष सिर्फ नाम मात्र के लिए होता है अर्थात्‌ इस युति का प्रभाव जीवन में नगण्य होता है या फिर नाम मात्र के लिए होता है। कुंडली में चंद्र राहु की युति हो या चंद्र केतु की किसी भी अवस्था में फल एक जैसा होता है इसलिए निम्नलिखित उदाहरण में हम केवल चंद्र राहु की युति के बारे में बात करेंगे।

चंद्र ग्रहण दोष के लक्षण

  1. अस्थिर मन:- मन हमेशा अस्थिर रहता है कभी एक जगह टिकता ही नहीं है।
  2. फोबिया:- एक अजीब सा डर व्यक्ति को परेशान करता ही रहता है और डर का कारण कुछ भी हो सकता है।
  3. माँ का स्वास्थ्य:- जब चंद्र योगकारक हो लेकिन राहु मारक तो माँ का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है जिसकी वज़ह से जातक भी चिंतित रहता है।
  4. माँ से सुख:- जब चंद्र मारक हो और राहु योगकारक या फिर दोनों ही ग्रह मारक हों तो माँ से बनती नहीं है और माँ से मनमुटाव का कारण बना ही रहता है क्योंकि चंद्रमा माँ का प्रतिनिधित्व करता है।
  5. आत्मविश्वास:- ऐसे जातकों में आत्मविश्वास में कमी देखी जा सकती है और कुंडली में मंगल का अंश बल कम होने पर जातक डरे हुए भी रहते हैं।
  6. स्वास्थ्य:- कुंडली में पूर्ण रूप से चंद्र ग्रहण दोष बनने पर ना सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य खराब रहता है बल्कि इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी होता है।

मिथुन लग्न में चंद्र ग्रहण दोष

Chandra Grahan Dosh

मिथुन लग्न चंद्र ग्रहण दोष को समझने से पहले आपको ये समझना होगा कि चंद्र-राहु योगकारक होते हैं या मारक। चंद्र की बात करें तो उनको द्वितीय भाव का मालिक बनाया गया है और वो इस लग्न कुंडली में मारक होते हैं। अब क्यों मारक होंगे ये आप मुझे बताओ क्योंकि यदि आप कुंडली कैसे देखें? सीरीज को देखते हुए आ रहें हैं तो अब तक आपको ये आ गया होगा और राहु का प्रत्येक घर में विश्लेषण करते हैं कि कहाँ मारक होंगे तथा कहाँ मारक।

चंद्र का विश्लेषण

चंद्र इस लग्न कुंडली में द्वितीय घर को छोड़कर प्रत्येक घर में मारक होंगे। द्वितीय घर में स्वराशि होंगे इसलिए योगकारक हो जायेंगे। चंद्र वृषभ राशि में उच्च के होंगे लेकिन घर गलत होने की वज़ह से मारक ही रहेंगे इसी तरह चंद्र वृश्चिक राशि में नीच के होंगे यदि चंद्र का नीच भंग हुआ तब भी मारक रहेंगे क्योंकि घर गलत है। इसलिए चंद्र मिथुन लग्न में द्वितीय घर को छोड़कर अन्य सभी जगह मारक ही रहेंगे।

राहु का विश्लेषण

राहु प्रथम, तृतीय और एकादश घर में योगकारक रहेंगे तथा त्रिक भाव में मारक रहेंगे। दूसरा, सातवां और दसवां घर मिथुन लग्न के इन घरों में राहु मारक रहेंगे क्योंकि शत्रु की राशि में हैं। चौथे, पांचवें और नवें घर में राहु मित्र की राशि में है इसलिए राहु यहाँ जभी योगकारक होंगे जब मित्र योगकारक होंगे लेकिन यदि मित्र मारक हो गए तो राहु भी मारक हो जायेंगे।

गलत फल कौन देगा?

Chandra Grahan Dosh में जो ग्रह मारक होगा वही गलत परिणाम देने के लिए बाध्य होगा। जैसे उपर्युक्त मिथुन लग्न के दूसरे घर में चंद्र योगकारक हैं लेकिन राहु मारक तो राहु यहाँ पर गलत परिणाम देंगे। इसी तरह सप्तम भाव में राहु चंद्र दोनों ही मारक हैं तो यहाँ दोनों ही ग्रह गलत परिणाम देंगे लेकिन उपर्युक्त लग्न में सबसे अधिक खतरनाक चंद्र ग्रहण दोष कुंडली के त्रिक भाव में बनेगा।

उपाय किसका करें?

चंद्र राहु की युति में जो ग्रह मारक हो उसी ग्रह की शांति करनी चाहिए लेकिन यदि दोनों ग्रह मारक हो तो दोनों ग्रहों को शांत करना आवश्यक हो जाता है। उपाय या शांति हमेशा मारक ग्रह का ही किया जाता है। अज्ञानतावश यदि आप योगकारक ग्रह को शांत कर देंगे तो वो आपको शुभ फल कैसे दे पाएगा।

कोई ग्रह कुंडली में आपका योगकारक था लेकिन आपने सिर्फ चंद्र राहु की युति देखी और समझा चंद्र ग्रहण दोष बन गया जबकि इन दोनों की युति में आपके चंद्र योगकारक थे या कहीं राहु और अन्य किसी लग्न में तो ये दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं जैसे कर्क लग्न के एकादश भाव में चंद्र राहु की युति शुभफलदायी होती है क्योंकि दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं।

किसी भी लग्न कुंडली में चंद्र राहु की युति है तो थोड़ा सा नकारात्मक प्रभाव अवश्य देखने को मिलता है लेकिन यदि दोनों ही ग्रह योगकारक हो तो उनको शांत करने का उपाय नहीं करना चाहिए। बस युति होने पर चंद्र-राहु के बीज मंत्र का जाप किया जा सकता है। राहु की प्रकृति ही ऐसी है कि उनके साथ नकारात्मकता संलग्न रहती है चाहें कितने भी योगकारक हों। उसी प्रकार चंद्र राहु की युति योगकारक होने के पश्चात्‌ भी नकारात्मकता अवश्य दिखाती है किन्तु अंततः फल शुभ ही होता है।

चंद्र ग्रहण दोष के उपाय

मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए आरम्भ के एक महीने तक आपको बेवजह की क्रिया लग सकती है लेकिन यदि आप तीन महीने तक इसको बरकरार रख पाए तो फिर स्वतः ही आप नहीं छोड़ेंगे क्योंकि इसका अनोखा फायदा आपको महसूस होगा। चंद्र ग्रहण दोष, अमावस्या दोष और केमद्रुम दोष मिलते जुलते हैं इसलिए आप इनके बारे में अवश्य जानें क्योंकि चंद्रमा का उपाय वहाँ भी बताया गया है।

बीज मंत्र का जाप आप कर सकते हैं। वैदिक बीज मंत्र का जप योगकारक ग्रह और मारक ग्रह का किया जा सकता है। यदि आप योगकारक ग्रह के वैदिक बीज मंत्र का जाप उनकी महादशा या अंतर्दशा में करते हैं तो उनकी योगकारकता में और बढ़ोत्तरी हो जाती है ठीक इसी तरह मारक ग्रह के बीज मंत्र का जप करने से उनकी मारकता में कमी आती है।

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