कुंडली में पितृ दोष कैसे बनता है

Kundali me Pitra Dosh Kaise Dekhe पितृ दोष व्यक्ति की कुंडली में अगर बन जाता है तो कह सकते हैं कि व्यक्ति की उन्नति सही ढंग से नहीं हो पाती साथ-साथ धन का अभाव व्यक्ति के जीवन में सदा बना ही रहता है और मानसिक अशांति की वज़ह सदा बरकरार रहती है। नमस्ते! राम-राम Whatever you feel connected with Me. तो चलिए Kundali me Pitra Dosh Kaise Dekhe लेख को प्रारम्भ करें:-

पितृ दोष कैसे बनता है

Kundali me Pitra Dosh Kaise Dekhe लग्न कुंडली में जब सूर्य के साथ शनि, राहु या केतु की युति नवम भाव में हो तो पितृ दोष का निर्माण होता है लेकिन किसी अन्य भाव में युति हो तो आंशिक पितृ दोष कह सकते हैं। पितृ दोष के साथ कभी-कभी कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष भी बनता है। लेकिन लघु पाराशरी में पितृ दोष का वर्णन कहीं नहीं मिलता है और ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र इस विषय पर अभी शोध कर रहें हैं।

पितृ दोष क्यों होता है

पितृ दोष बनने का मुख्य कारण पूर्वजों की अकाल मृत्यु होता है। हमारे पूर्वज या घर का सबसे बड़ा सदस्य या फिर घर में उपस्थित कोई बड़ा व्यक्ति जब अकारण ही काल के गाल में समा जाता है तो पितृ दोष का निर्माण होता है। जब कोई व्यक्ति किसी बीमारी के चलते या एक्सीडेंट आदि की असमय मृत्यु पाकर चला जाता है तब मृत्यु के पश्चात घर में किसी नए सदस्य के आने पर उसकी कुंडली में यह दोष आता ही है लेकिन अगर नहीं आता है तो मरने वाला व्यक्ति चाहें किसी भी कारण से क्यूँ न मरा हो पर समय से पहले नहीं मरता है अर्थात्‌ उसकी मृत्यु वैसे ही होनी होती है।

पितृ दोष के लक्षण

  1. मानसिक क्लेश :- पितृ दोष बनने पर व्यक्ति के जीवन में मानसिक क्लेश का कारण बना ही रहता है।
  2. गृह क्लेश :- घर में क्लेश का कारण अधिकतर आर्थिक स्थिति और पार्टनर का व्यवहार होता है।
  3. पिता से अनबन :- पिता श्री से मनमुटाव होता ही रहता है और कभी-कभी यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि कहानी अत्यधिक खराब हो जाती है।
  4. धन का अभाव :- व्यक्ति के जीवन में धन का अभाव बना ही रहता है। संक्षेप में कहें तो आर्थिक स्थिति सही नहीं रहती है।
  5. भाग्य कमजोर :- मेहनत करने पर मेहनत के अनुसार व्यक्ति को फल नहीं मिलता है और यहाँ तक कि पितृ दोष मेहनत न करने की आदत डाल देता है और आलसी बना देता है।
  6. नवम भाव से सम्बन्धित समस्या :- पितृ दोष आंशिक रूप से बने या पूर्ण रूप से लेकिन व्यक्ति के जीवन में भाग्य भाव से सम्बन्धित समस्या अधिकतर होती है।

पितृ दोष कैसे जाने

Kundali me Pitra Dosh Kaise Dekhe अब प्रश्न ये आता है कि पितृ दोष कैसे जाने अर्थात्‌ कुंडली ना होने पर पितृ दोष का पता कैसे लगाया जाए? इस अवस्था में आप घर में मौजूद बुजुर्ग व्यक्ति से पूछ सकते हैं कि हमारे घर में किसी की अकाल मृत्यु तो नहीं हुई है या फिर उपर्युक्त पितृ दोष के लक्षण से भी आप जान सकते हैं। यदि उपर्युक्त सभी समस्याएं आपके जीवन में चल रही है तो मुमकिन है कि पितृ दोष हो लेकिन यह कोई आवश्यक नहीं क्योंकि ऐसी समस्याएं किसी अन्य दोष से भी हो सकती हैं किन्तु संभावना है कि पितृ दोष भी हो।

कुंडली में पितृ दोष कैसे बनता है

जैसा उपर बताया गया कि कुंडली के 9H में सूर्य के साथ शनि, राहु या केतु की युति हो तो यह दोष बनता है लेकिन कुंडली के किसी अन्य भाव में युति होने पर आंशिक रूप से पितृ दोष है ऐसा कहा जा सकता है।

  1. पितृ दोष बनाने वाले दोनों ग्रह कुंडली में मारक हो अथवा कोई एक ग्रह मारक हों;
  2. पितृ दोष में आने वाले ग्रह कुंडली में अगर योगकारक हों तो दोष नहीं बनता है;
  3. पितृ दोष का निर्माण करने वाले मारक ग्रह का अंशबल 0,1,2,3 या 28,29 हो तो दोष का प्रभाव व्यक्ति को नहीं मिलता है और पितृ दोष सिर्फ नाममात्र के लिए होता है;
  4. सूर्य के साथ शनि पितृ दोष का निर्माण करे तो ध्यान देना होगा कि शनि सूर्य से अस्त ना हो अगर शनि कुंडली में अस्त हों तब भी पितृ दोष का प्रभाव व्यक्ति को नहीं मिलता है।

कुंडली में पितृ दोष कैसे देखें

अब हम एक उदाहरण से कुंडली में पितृ दोष को समझने का प्रयास करते हैं:-

Kundali me Pitra Dosh Kaise Dekhe
Kundali me Pitra Dosh Kaise Dekhe
  1. उपर्युक्त सिंह लग्न कुंडली में सूर्य+बुध+राहु की युति 9H में है लेकिन यहाँ हम बुध को भुला देते हैं क्योंकि हम पितृ दोष को देख रहे हैं;
  2. 9H में सूर्य+राहु की युति तो है जो पितृ दोष बनने का सबसे पहला लक्षण है लेकिन अब हमें ये देखना है कि सूर्य+राहु कुंडली में दोनों मारक हैं अथवा कोई योगकारक भी है;
  3. सूर्य लग्नेश हैं और नवम भाव में उच्च के भी इसलिए सूर्य सिंह लग्न कुंडली में योगकारक हुए;
  4. राहु मारक हैं क्योंकि राहु किसी भी लग्न कुंडली में शत्रु की राशि में हो तो मारक होते हैं उच्च राशि छोड़कर अतः यहाँ राहु शत्रु की राशि यानि की मेष राशि में है इसलिए इस सिंह लग्न कुंडली में राहु मारक ग्रह की श्रेणी में आते हैं;
  5. राहु का अंशबल 29 है जो 0% बल का है इसलिए यह युति पितृ दोष का निर्माण तो कर रही है लेकिन प्रभावहीन है तथा यह युति सूर्यग्रहण दोष का भी निर्माण कर रही है लेकिन यह दोष भी प्रभावहीन है;
  6. पितृ दोष प्रभावहीन होने की वज़ह से यहाँ कोई उपाय करने की जरूरत नहीं है।

पितृ दोष बनने के कुछ नियम

  1. अपनी लग्न कुंडली में सबसे पहले आपको यह देखना है कि सूर्य के साथ शनि, राहु अथवा केतु की युति है या नहीं; अगर सूर्य के साथ शनि-राहु-केतु में से कोई एक ग्रह होता है तो ऐसा हो सकता है कि कुंडली में पितृ दोष का निर्माण हो;
  2. अगर यह युति लग्न कुंडली के 9H में हो पितृ दोष होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है तथा कुंडली के अन्य भावों में युति आंशिक रूप से पितृ दोष का निर्माण कर सकती है;
  3. इसके बाद आपको देखना है कि सूर्य और सूर्य के साथ शनि-राहु-केतु में से जो ग्रह उपस्थित है वो कुंडली में योगकारक है अथवा मारक;
  4. अगर कुंडली में दोनों ग्रह (सूर्य+शनि/राहु/केतु) मारक हों तो दोनों ग्रह का उपाय करना है लेकिन अगर एक ही ग्रह मारक हो तो उसी ग्रह का उपाय करना है और अगर कोई भी मारक ना हो तो किसी का उपाय नहीं करना फिर पितृ दोष है ही नहीं।

पितृ दोष कब फलता है

वैसे तो पितृ दोष की परेशानियों का सामना जीवनभर करना ही पड़ता है लेकिन पूर्ण रूप से यह परेशानियाँ जब ही देता है जब कुंडली में किसी एक ग्रह की महादशा आ जाए और अन्य ग्रह की अंतर्दशा जैसे सूर्य की महादशा और उसमें शनि-राहु-केतु की अंतर्दशा।

मानो कि आपकी कुंडली में सूर्य+शनि/सूर्य+राहु/सूर्य+केतु पितृ दोष का निर्माण कर रहे हैं तो जब सूर्य/शनि/राहु/केतु की महादशा आएगी और इसमें सम्बन्धित अन्य ग्रह की अंतर्दशा आने के समय पितृ दोष के दुष्परिणाम अधिक मिलेंगे।

पितृ दोष के उपाय लाल किताब

पितृ दोष के उपाय लाल किताब के अनुसार और मेरे 11000 फ्री कुंडली देखने के अनुभव से निम्नलिखितानुसार बतलाए जा रहे हैं जो पितृ दोष के प्रभाव को नगण्य करने में सक्षम हैं:-

  1. अमावस्या और पूर्णिमा को गाय को 5 या 7 आटे के लोवा बनाकर उसमें थोड़ा सा गुड़ और हल्दी मिलाकर दें।
  2. अमावस्या को सरसों के तेल का दीपक घर के मुख्य दरवाजे पर शाम 6 बजे के बाद लगाएँ।
  3. अमावस्या को खीर या मिठाई का भोग पूर्वजों को अर्पित करें व उनको नमन करें फिर बाद में उस भोग को कौवे या कुत्ते को खिलाएं।
  4. अमावस्या को सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ पर लगाएं और पूर्वजों को नमन करें तथा उनकी शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करें तत्पश्चात पेड़ के घड़ी की दिशा में 7 चक्कर लगाएं और नमन करते हुए बिना पीछे देखे घर वापिस आ जाएं।
  5. अमावस्या को दान :- काले तिल+काला वस्त्र+उड़द दाल+सरसों का तेल+स्टील बर्तन+नारियल+तिल सफेद ये सभी चीजें (मात्रा सामर्थानुसार) किसी गरीब परिवार को दें।
  6. अमावस्या को गरीब को भोजन कराएं; भोजन घर बुलाकर कराएँ या फिर भोजन को सुव्यवस्थित ढंग से संगठित करके अमुक व्यक्ति को अर्पित करें।
  7. बुजुर्गों, घर के बड़ों, गुरूजनों और पिता श्री का हमेशा सम्मान करें; पिता श्री किसी भी प्रवृत्ति के क्यों ना हों पर आदर के पात्र हमेशा होते हैं। अगर आप स्वपन में भी पिता श्री के अनिष्ट के बारे में नहीं सोचते और उनके प्रति हमेशा अच्छा व्यवहार करते हैं तो आपके जीवन की सभी जटिलताएं कब सरल हो जायेंगी आपको खुद पता नहीं चलेगा।

विनम्र निवेदन

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पुत्र का काम होता है पिता से झूठ बोलने का और पिता का काम होता है पुत्र से बार-बार पूछने का; यह क्रिया प्रत्येक पिता-पुत्र के सम्बंध में निरन्तर चलती रहती है।

ललित कुमार

ज्योतिष परामर्श

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