जानें क्या लाभ होगा आपको हनुमान जयंती पर व्रत रखने से।

Hanuman Jayanti को व्रत रखने से हनुमान जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही मंगल देव के द्वारा निर्मित सभी दोषों का समापन होता है।

hanuman jayanti
@lkastrologer

हनुमान जी की मूर्ति स्थापना कैसे करें?

हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा को पूर्व दिशा की ओर स्थापित करें। चौकी स्थापना से लेकर पूजा के समापन तक का विधान षोडशोपचार पूजा में बताया गया है एक बार आप यह लेख अवश्य पढ़े ताकि आपकी साधना या पूजा सफल हो।

2023 में हनुमान जयंती कब है? [Hanuman Jayanti Kab Hai]

2023 में अप्रैल के महीने में 6 तारीख को पूर्णिमा के दिन गुरुवार को hanuman jayanti मनाई जायेगी।

हनुमान जयंती कौन से महीने में पढ़ती है?

प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती हिन्दू कलैंडर के अनुसार चैत्र के महीने में पूर्णिमा को मनाई जाती है लेकिन कई जगहों पर hanuman jayanti कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन भी मनाई जाती है।

पहलाचैत्रमार्च-अप्रैल
दूसराबैसाखअप्रैल-मई
तीसराज्येष्ठमई-जून
चौथाआषाढ़जून-जुलाई
पांचवांश्रावण (सावन)जुलाई-अगस्त
छटवांभाद्रपद (भादों)अगस्त-सितंबर
सातवांआश्विन (क्वार)सितंबर-अक्टूबर
आठवांकार्तिकअक्टूबर-नवंबर
नौवांमार्गशीर्ष (अगहन)नवंबर-दिसंबर
दसवांपौष (पूस)दिसंबर-जनवरी
ग्यारहवांमाघजनवरी-फरवरी
बारहवांफाल्गुन (फागुन)फरवरी-मार्च
Hanuman Jayanti

व्रत के नियम

  1. ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करके “ओउम्” बीज अक्षर का मानसिक ध्यान करें जितना हो सके उतना।
  2. पूजा आरंभ करने से पहले हाथ में गंगाजल लें और अपना निर्धारित संकल्प लें और संकल्प को व्रत समाप्ति तक पूर्ण कर लें।
  3. संकल्प कुछ भी हो सकता है जैसे अमुक मंत्र का इतनी बार जाप करूंगा या कुछ भी।
  4. व्रत के 24 घंटे पहले और बाद में जमीन पर सोयें भगवान राम और माता सीता का ध्यान करते रहें या फिर सारे दिन सुंदर कांड का पाठ करें।
  5. पूजा आरंभ करने से पहले तांबे के किसी बर्तन या लौटे में जल भर के उसमें थोड़ा सा गंगाजल डाल के मन्दिर में रखें और पूजा-अर्चना समापन के बाद उस जल को आप स्वयं ग्रहण कर लें।
  6. पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की और होना चाहिए।
  7. Hanuman jayanti वाले दिन हनुमान जी के वैदिक बीज मंत्र का जाप रूद्राक्ष की माला पर करें लेकिन वह माला केवल जप के लिए होती है पहनने के लिए नहीं।
  8. व्रत हो सके तो खाली पेट ही रहे अगर ना हो सके तो केले और दूध का ही सेवन करें किसी प्रकार का परहेज होने पर साबू दाने की खीर या फिर सिगाड़ी के आटे की कतरी खा सकते हैं।

श्री हनुमान जन्म कथा

पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी की माता का नाम अंजना था जोकि एक अप्सरा थीं जिनको श्राप मिलने के कारण पृथ्वी पर जन्म मिला और ये श्राप जब ही हट सकता था जब ये एक संतान को जन्म देती। अंजना ने 12 वर्षों तक संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की आराधना की जिसके फलस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी भगवान रुद्र का ही अंश है।

श्री हनुमान जन्म स्थान

हनुमान जी के पिता का नाम केसरी था। पौराणिक कथाओं के अनुसार केसरी बृहस्पति के पुत्र थे जोकि सुमेरु के राजा थे। ज्योतिष की गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म लगभग 59 हजार वर्ष पहले त्रेता युग के अंतिम चरण में चैत्र माह की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में सुबह 06:03 बजे हुआ था। वर्तमान भारत देश में झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था।

हनुमान जयंती व्रत के लाभ

आपकी लग्न कुण्डली में मंगल मारक हो तो यह व्रत आपके लिए विशेष लाभकारी सिद्ध होगा। क्योंकि, इससे आपका किसी भी प्रकार का दोष जो मंगल देव के द्वारा निर्मित है समाप्त होगा जैसे मांगलिक दोष, अंगारक दोष, मंगल की नीच अवस्था आदि। चूँकि मंगल देव के आराध्य हनुमान जी है और हनुमान जी की आराधना करने से मंगल आपके सदा के लिये शुभ फल देने वाले तथा योगकारक हो जायेंगे।

हनुमान जी का वैदिक मंत्र

ओउम् श्री हनुमते नमः” यही हनुमान जी का वैदिक मंत्र है जिसका अर्थ है कि हनुमान जी को नमन करना। इसी मंत्र का आप Hanuman jayanti 2023 को कम-से-कम 1100 बार या अधिक-से-अधिक 11000 बार जाप करने का संकल्प लें। मंत्र जाप आप रूद्राक्ष की माला पर कर सकते हैं। लेकिन माला का शुद्धिकरण होना चाहिए।

हनुमान जी की आरती

Hanuman jayanti को 6 April शाम को 06:30PM-8:00PM के समय में हनुमान जी की आरती बोलें।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरवर कांपै। रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनी पुत्र महा बल दाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सीय सुधि लाये॥

लंका सो कोटि समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। लाय सजीवन प्राण उबारे॥

पैठि पाताल तोरि जम कारे। अहिरावन की भुजा उखारे॥

बायैं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे॥

सुर नर मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे॥

कंचन थाल कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमान जी की आरती गावै। बसि बैकुंठ परमपद पावै॥

व्रत खोलने का समय

Hanuman Jayanti का व्रत प्रतिपदा तिथि को खोला जाएगा। आप विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें और हनुमान जी की आरती को बोलने के बाद व्रत का समापन करें तत्पश्चात अपने माता-पिता और बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

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