गुरु चांडाल योग लगाता है व्यक्ति के ज्ञान पर ग्रहण।

गुरु चांडाल योग क्या होता है?

Guru Chandal Yog के तहत व्यक्ति समाज के अनुरूप कार्य नहीं करता है लेकिन ऐसा नहीं है कि यह योग हर जगह गलत ही होता है, कहीं-कहीं सकारात्मक रूप में भी कार्य करता है। क्योंकि यह योग गुरु राहु की युति से बनता है इसलिए राहु को संक्षेप में समझें तो जब किसी भी इंसान के अंदर कुछ बड़ा करने की इच्छाशक्ति उत्पन्न होती है तो उसमें राहु की भूमिका अवश्य होती है। ठीक इसी तरह गुरु ज्ञान का स्वरूप होता है, व्यक्ति अपने जीवन में जो कुछ भी सीखता है उसमें गुरु का हाथ होता ही है।

गुरु चांडाल योग के फायदे

गुरु राहु की युति का सकारात्मक रूप व्यक्ति के अंदर कुछ भी कर गुजरजाने की इच्छाशक्ति को प्रबल करता है और व्यक्ति जो भी कुछ पाना चाहता है उसके लिए भरसक प्रयास करता है और उचित मार्ग का उपयोग करके अपनी इच्छा को पूर्ण कर लेता है।

ऐसे लोग भले लोगों का ही अच्छा करते हैं लेकिन चालाक लोगों की चालाकी इनके सामने नगण्य होती है, गलत व्यक्तियों को ये कभी माफ नहीं करते हैं और ऐसे लोगों को जब तक ये एहसास ना करा दें कि उसने ये गलत किया है तब तक इनको मानसिक शांति भी नहीं होती है। माफ करना इनके स्वभाव में नहीं होता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गुरु राहु की युति में राहु सकारात्मक होता है इसलिए अपने ज्ञान को चालाकी के साथ उपयोग करना भलीभाँति आता है। किन्तु चालाकी गुरु का स्वभाव नहीं है इसलिए इनके ज्ञान में चालाकी का प्रवेश राहु ही करवाता है।

गुरु चांडाल योग के नुकसान

जब गुरु राहु की युति कुंडली में होती है तो इसका नकारात्मक रूप का फल व्यक्ति के ज्ञान को दूषित करना और उसके ज्ञान को अनुचित मार्ग में प्रयोग करवाना होता है। गुरु है ज्ञान और जब राहु ज्ञान में ग्रहण लगाता है तो व्यक्ति का ज्ञान गलत हो जाता है या यूँ कहिए कि गलत दिशा में कार्य करता है। वो समाज में रहकर समाज के लिए एवं अपने लिए भी अनुचित कर्म करता है जिसकी वज़ह से व्यक्ति को परिवार व समाज के द्वारा दुत्कारा जाता है।

व्यक्ति के यश में कमी आती है और मान-सम्मान मट्टी में मिल जाता है। व्यक्ति ऐसे मे अनैतिक रास्तों को अपना लेता है और गलत माध्यम से पैसा कमाने के बारे में सोचता है जिसका परिणाम अंत में व्यक्ति के लिए अहितकर ही होता है; जिसका पछतावा उसको बहुत बाद में होता है लेकिन जब तक समाज में व्यक्ति की छवि या चरित्र ऐसा बन चुका होता है।

गुरु चांडाल योग के लक्षण

  1. अपने जीवन में प्रत्येक कार्य को सिद्ध करने के लिए गलत रास्ते का चयन करता है;
  2. अनुचित मार्ग से पैसा कमाने के बारे में सोचता है;
  3. अनैतिक कार्य करता है;
  4. व्यापार, नौकरी आदि सब में कुछ-न-कुछ ऐसा करने के बारे में सोचता है जो नीति के खिलाफ होता है;
  5. व्यक्ति के स्वभाव में धोखाधड़ी प्रवृत्ति का प्रवेश होता है;
  6. जुए-सट्टे की तरफ व्यक्ति का रुझान हो जाता है;
  7. नशा करने की लत अत्यधिक हो जाती है;
  8. अपनी पैतृक संपत्ति का व्यय अनुचित कर्म में ही करता है।

गुरु चांडाल योग कैसे बनता है?

किसी भी लग्न कुंडली में जब गुरु राहु की युति हो अर्थात्‌ दोनों ग्रह एकसाथ हों तो यह गुरु चांडाल योग बनता है। इसके साथ ही दृष्टि संबंध होने पर भी ये बनता है लेकिन दृष्टि संबंध वाला योग युति से कम प्रभावशाली होता है लेकिन 80% उसका भी फल मिलता है। गुरु राहु की दृष्टियाँ समान होती हैं जो क्रमशः 5-7-9 होती हैं। गुरु-राहु जब दोनों ही ग्रह कुंडली में योगकारक हों तो गुरु चांडाल योग बनता है जो अपने समय में अच्छा फल देता है, वहीं अगर दोनों ही ग्रह मारक हों या एक भी ग्रह मारक हो; मुख्य रूप से राहु मारक हो तो गुरु चांडाल दोष बनता है जो अपने समय में दुष्परिणाम ही देता है।

मीन लग्न में गुरु चांडाल योग

मीन लग्न में गुरु लग्नेश हैं इसलिए वो तो योगकारक होंगे ही क्योंकि लग्नेश सदा योगकारक होता है किन्तु कहीं-कहीं यह भी मारक हो जाता है। गुरु राहु की युति मीन लग्न में कहाँ शुभ होगी और कहाँ अशुभ इसका विवेचन हम प्रत्येक भाव में विस्तार से करने का प्रयास करते हैं:-

Guru Chandal Yog

1H-2H-5H-9H-10H

इन सभी घरों में राहु शत्रु की राशि में होने की वज़ह से मारक होते हैं और 9H-10H में तो नीच के भी होते हैं। लेकिन गुरु इन घरों में योगकारक होते हैं और 1H-10H में तो स्वराशि भी होते हैं; चूँकि केंद्र में गुरु स्वराशि हुए हैं इसलिए पंच महापुरुष योग में से हंस योग भी बनाते हैं। 4H में गुरु उच्च के होते हैं इसलिए यहाँ अति योगकारक होते हैं। अतः गुरु राहु की युति इन भावों में गुरु चांडाल दोष को बनाती है जिसमें राहु अपना दुष्प्रभाव दिखाते हैं।

3H-4H

इन घरों में गुरु-राहु दोनों ही अति योगकारक होते हैं। राहु 3H-4H में उच्च के भी होते हैं और गुरु तो हैं ही लग्नेश इसलिए यहाँ गुरु राहु की युति अत्यधिक शुभ होती है और गुरु चांडाल योग को बनाती है जो शुभ फलदायी होती है।

7H

इस घर गुरु योगकारक होते हैं लेकिन राहु मित्र ग्रह की राशि में हैं इसलिए यदि मित्र बुध कुंडली में योगकारक हुए तो राहु भी योगकारक होंगे लेकिन अगर मित्र मारक हुए तो राहु भी मारक हो जायेंगे।

11H

इस घर में राहु योगकारक होंगे भले ही मित्र मारक हो क्योंकि किसी भी लग्न कुंडली के तीसरे और ग्यारहवें घर में राहु सदा योगकारक होते हैं फिर चाहें जो परिस्थिति हो लेकिन गुरु इस घर में नीच के हो जाते हैं इसलिए यदि गुरु का नीच भंग हुआ तो ना सिर्फ गुरु के द्वारा नीच भंग राजयोग बनेगा बल्कि साथ में सकारात्मक गुरु चांडाल योग भी बनेगा।

6H-8H-12H

इन घरों को कुंडली का त्रिक भाव बोला जाता है और ये घर अच्छे नहीं होते हैं। यदि इन घरों में गुरु राहु की युति हुई तो दोनों ही ग्रह अति मारक सिद्ध होंगे और गुरु के इन घरों में होने पर लग्न दोष भी बनेगा और साथ में गुरु चांडाल दोष भी बनेगा जो अशुभ होगा।

उपाय किसका करें?

कुंडली का विश्लेषण करते हुए सबसे पहले ये देखना है कि गुरु और राहु कुंडली में योगकारक हैं अथवा मारक; जो ग्रह मारक निकल कर आये उसी का उपाय करना है। अगर आप योगकारक ग्रह को शांत कर देंगे तो उनकी शक्ति छिड़ हो जाएगी जिससे वो जीवन में अपनी योगकारकता नहीं दिखा पाएगा इसलिए अपने ज्योतिषी स्वयं बने और छोटी-मोटी परेशानियों का हल अपनी इच्छानुसार करें।

गुरु चांडाल योग के उपाय

यहाँ लग्नेश गुरु हैं इसलिए गुरु के उपाय में उनका दान नहीं करना है, गुरु को सिर्फ उनके बीज मंत्र के माध्यम से ही शांत करना है क्योंकि लग्नेश का दान कभी नहीं किया जाता है। बाकी अन्य किसी लग्न कुंडली में गुरु का दान किया जा सकता है यदि वो मारक होते हैं तो।

  1. गुरु का वैदिक बीज मंत्र “ओउम् ब्रं बृहस्पतये नमः”
  2. बुजुर्गों और गुरूजनों का हमेशा आदर करें और आशीर्वाद लेते रहें
  3. राहु का वैदिक बीज मंत्र “ओउम् रां राहवे नमः”
  4. क्रीं बीज अक्षर का जाप शाम 6 बजे के बाद रोजाना 108 बार रूद्राक्ष की माला पर; (ये उपाय मुख्य है)
  5. शाम को प्रत्येक दिन अपने खाने में से एक रोटी किसी बाहर के कुत्ते को खिलाएं;
  6. सिद्ध कुंजीका स्त्रोत का पाठ रोजाना सुबह कम-से-कम एक बार। (ये उपाय मुख्य है)

दोनों ग्रह में से कोई भी एक ग्रह मारक होने पर भी ये मुख्य उपाय किए जा सकते हैं। बीज मंत्र ग्रह योगकारक हो या मारक दोनों ही स्थिति में जाप कर सकते हैं।

दान विधि

ग्रहदान वस्तुदिन
गुरुचीनी, केला, पीले वस्त्र, नमक, पीली मिठाई, हल्दीगुरुवार
राहुकाले तिल, नारियल, कंबल काला या नीला, मीठी रोटी कौवे को खिलाएंशनिवार
Guru Chandal Yog
  1. कम-से-कम ₹50 का दान करें किसी गरीब को या जरूरतमंद को जब ग्रह की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तब; हफ्ते में एकबार करना है;
  2. दान की वस्तु खरीदने के पैसे आपकी मेहनत की कमाई के होने चाहिए, पैसे ना कमाने की स्थिति में दान ना करें;
  3. ध्यान रखें जब भी दान करें धन किसी को न दें, केवल चयनित वस्तुओं का ही दान करना है।

विनम्र निवेदन

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3 thoughts on “गुरु चांडाल योग लगाता है व्यक्ति के ज्ञान पर ग्रहण।”

  1. My self Dhananjai
    मेरी कुंडली कन्या लगन की हैं दूसरे भाव में सूर्य और शुक्र और 12 भाव में गुरु शनि राहु हैं कुछ उपाय बताए
    करिअर को ले के काफी समस्या है

    Reply

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