Gochar Kaise Dekhe गोचर चंद्र कुंडली के लिए भी देखा जाता है और लग्न कुंडली के लिए भी लेकिन अधिकतर चंद्र कुंडली के लिए ही गोचर का प्रयोग होता है और प्रत्येक दिन के राशिफल के लिए भी ग्रह-गोचर का देखना आवश्यक होता है। तो इस लेख में हम गोचर को अपनी लग्न कुंडली में कैसे लागू करें और वर्तमान स्थिति को किस प्रकार जानें इसका विश्लेषण करेंगे; साथ में ये भी देखेंगे कि गोचर के लिए हमें सर्वाधिक किन ग्रहों पर ध्यान देना है।
विषय सूची
गोचर क्या है?
Gochar Kaise Dekhe लग्न कुंडली यदि सम्पूर्ण जीवन का खाका है तो ग्रह-गोचर वर्तमान स्थिति का ब्यौरा है। मानो कि आपकी लग्न कुंडली में शिक्षा या धन का भाव प्रखर है तब क्या एकदम से ही आप सम्पूर्ण शिक्षा और धन प्राप्त कर लेंगे नहीं ना, लेकिन जीवन के अंत तक आप अत्यधिक शिक्षित और धनवान व्यक्ति जरूर होंगे। समय बदलता रहता है क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है और इस बदले हुए समय को समझने के लिए गोचर को समझना जरूरी होता है। किसी वर्ष धन अधिक जमा होगा तो किसी वर्ष बहुत कम या बिल्कुल नहीं।
गोचर का अर्थ
गोचर शब्द का निर्माण गम् धातु से हुआ है जिसका मतलब होता है गमन करने वाला या चलने वाला। गो का अर्थ ग्रह, नक्षत्र या तारा और चर का मतलब होता है गतिमय अर्थात् गति करने वाला। इस प्रकार कहा जा सकता है कि गोचर का शाब्दिक अर्थ है भ्रमण करने वाला अर्थात् ग्रह, नक्षत्र या पिण्ड की गति। प्रत्येक ग्रह अपनी चाल के अनुसार परिवर्तित होते रहते हैं और जातक पर लग्न कुंडली के अनुसार शुभाशुभ प्रभाव डालते हैं।
गोचर कैसे देखें?
तो जैसा कि अभी तक समझ आया कि गोचर से ग्रह की वर्तमानकालिक वास्तविक स्थिति का पता चलेगा लेकिन इससे अपनी वर्तमान स्थिति कैसी चलेगी इसका पता कैसे चलेगा? इसी को समझाने के लिए मैंने प्रारम्भ में ही बोला कि गोचर को लग्न कुंडली में अप्लाई करना सिखाऊंगा जिससे कि हम अपनी करंट पोजीशन (वर्तमान स्थिति) को जान सकें और गलत समय में क्या सावधानी वरतनी चाहिए इसको समझ सकें।
लग्न कुंडली VS ग्रह-गोचर
- सम्पूर्ण जीवन की स्थिति को समझने के लिए लग्न कुंडली का विश्लेषण जरूरी है वहीं अगर वर्तमान स्थिति को जानना है तो गोचर का देखना आवश्यक है।
- लग्न कुंडली में जो अंश रहता है वही अंश गोचर को लग्न कुंडली में अप्लाई करते समय अध्ययन के लिए काम आएगा।
- लग्न कुंडली में जो ग्रह योगकारक और मारक निकल कर आए उसी आधार पर गोचर में ग्रहों का फल होगा।
- जैसे यदि लग्न कुंडली में गुरु योगकारक हैं तो गोचर में वो कहीं भी भ्रमण करें, वहाँ के शुभ ही परिणाम देंगे; भले ही गोचर में गुरु नीच राशि में हों या त्रिक भाव में या कुछ भी परिस्थिति क्यों ना हो लग्न कुंडली में यदि ग्रह योगकारक तो गोचर में भी योगकारक।
- बस गोचर के अध्ययन से ये समझ आएगा की योगकारक ग्रह अभी वर्तमान में कहाँ के शुभ परिणाम देगा और मारक ग्रह अभी कहाँ पर अशुभ परिणाम दे रहा है।
कुंडली में गोचर कैसे देखें?
अब हम कुंडली में गोचर कैसे देखें? इसको समझने का प्रयास करेंगे लेकिन उससे पहले किसी एक लग्न कुंडली का विश्लेषण करेंगे फिर उसके पश्चात् उसी कुंडली में गोचर को अप्लाई करेंगे ताकि ये समझ आये कि वर्तमान में हमारी स्थिति क्या है?
जन्मतिथि | 31 दिसम्बर, 1993 |
जन्म समय | 08:00 AM |
जन्म स्थान | Batala, Punjab |
योगकारक | अंश | बल | बल | अंश | मारक |
गुरु | 15° | 100% | 0% | 11° | शुक्र (अस्त) |
शनि | 03° | 25% | 50% | 07° | राहु (नीच) |
मंगल (अस्त) | 14° | 0% | 50% | 07° | केतु (नीच) |
बुध (अस्त) | 13° | 0% | |||
चंद्र (विपरित) | 12° | 100% | |||
सूर्य | 15° | 100% |
उपर्युक्त चित्र में लग्न कुंडली के साथ चलित कुंडली भी है। चलित कुंडली में कुछ ग्रहों ने अपना स्थान बदल लिया है। लग्न कुंडली में जो ग्रह योगकारक होगा वो चलित कुंडली में भी अच्छे फल देगा जैसे राहु लग्न कुंडली में मारक हैं और 12H में हैं लेकिन चलित में 11H में हैं किन्तु लग्न कुंडली के अनुसार राहु मारक हैं इसलिए अब राहु 12H, 11H और जहाँ-जहाँ इनकी दृष्टि पड़ेगी वहाँ-वहाँ अपने समय में गलत ही परिणाम देंगे।
चलित कुंडली में किसी ग्रह के स्थान परिवर्तन होने से ग्रह की ऊर्जा विभाजित हो जाती है और इस प्रकार ग्रह लग्न कुंडली में जहाँ विराजित है और चलित कुंडली में जहाँ है; दोनों स्थानों को प्रभावित करता है। ग्रह का प्रभाव लग्न कुंडली में उसकी योगकारकता और मारकता पर निर्भर करता है।
- अब हम इसी कुंडली पर आज का गोचर अप्लाई करेंगे और जानेंगे कि फ़िलहाल में ग्रह कहाँ असरदार हैं।
वर्तमान स्थान | Zirakpur-Mohali Punjab |
वर्तमान समय | 04:30 PM |
वर्तमान तारीख | 28 जनवरी, 2023 |
वर्तमान स्थान जन्म स्थान से बदल गया है क्योंकि ये महोदय लंबे समय से फ़िलहाल यहीं रह रहें हैं और आपको भी गोचर देखते समय यही करना है। यदि कुछ समय के लिए घूमने या किसी कारणवश घर से बाहर आएँ हैं तब तो आप अपने स्थायित्व वाला ही स्थान का गोचर देखिए। जन्म स्थान और वर्तमान स्थान यदि अलग-अलग हों तो वर्तमानकालिक स्थायित्व वाला स्थान ही का गोचर देखा जाता है। इस समय ग्रहों का गोचर उपर्युक्तानुसार है। वैसे कोई भी स्थान चुनो भारत के लिए ग्रहों का गोचर समान रहता है; यहाँ तक कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर ग्रहों का गोचर समान रहता है सिर्फ चंद्रमा को छोड़कर। खैर!
- फिर भी आप अपनी संतुष्टि के लिए वर्तमान स्थान का गोचर देखें।
अब हमें अपनी लग्न कुंडली पर इस गोचर को अप्लाई करना है तो सबसे पहले अपनी लग्न कुंडली का एक खाली चित्र बनाइये कुछ इस प्रकार;
अब देखो हमने जो Zirakpur-Mohali का गोचर निकाला ना, उसमें जिस नंबर में जो ग्रह है वो ग्रह उसी नंबर में अपने खाली लग्न कुंडली में लिख दीजिए जैसे गोचर में मंगल 2 नंबर वृषभ राशि में है ना—- अपनी लग्न कुंडली में 2 नंबर (वृषभ राशि) छठे घर (6H) में है ना; वहाँ मंगल को बैठा दीजिए। इसी तरह सभी ग्रह अपनी कुंडली में छाप दीजिए, कुछ इस प्रकार:-
अंततः हमने ये निकाल लिया कि हमारी लग्न कुंडली में ग्रहों का गोचर इन घरों में भ्रमण कर रहा है। अब गोचर अप्लाई करने के बाद विश्लेषण करते समय ये ध्यान रखना है कि गोचर में भी सिर्फ़ क्रमशः गुरु, शनि, राहु और केतु ग्रह पर ही ध्यान देना है क्योंकि ये ग्रह ही अधिक समय तक एक राशि में रुकते हैं और जो अधिक समय तक रहेगा उसी का प्रभाव विश्लेषण करने पर समझ आएगा हालाँकि प्रभावकारी तो सभी ग्रह हैं और सभी अपने आप में महत्वपूर्ण हैं लेकिन अन्य ग्रह जल्दी-जल्दी राशि को बदल देते हैं जिससे कि गोचर में इन ग्रहों का अध्ययन मस्तिष्क में उलझन उत्पन्न करता है।
लेकिन यदि आप हर दो दिन या 45 दिन के समयान्तराल का गोचर समझना चाहते हैं तो फिर इन ग्रहों का गोचर में अध्ययन अवश्य करें। फ़िलहाल हम इस कुंडली में गोचर का विश्लेषण करते हैं:- उपर्युक्त धनु लग्न की कुंडली में वर्तमान समय में केतु की महादशा और शनि की अंतर्दशा चल रही है। गोचर का अध्ययन करते समय ये जरूर देखना है कि अभी आपकी लग्न कुंडली में किस ग्रह की महादशा और उसमें किसकी अंतर्दशा है; ऐसा करने से ग्रहों का प्रभाव जल्दी समझ आ जाता है।
अब हम गोचर के अनुसार ग्रहों का फल समझते हैं कि कौनसा ग्रह अशुभ फल देगा और कौनसा शुभ। इसके लिए लग्न कुंडली में योगकारक और मारक ग्रह की श्रेणी देखो, जो ग्रह लग्न कुंडली में योगकारक है वो ग्रह गोचर में कहीं भी हो शुभ फल ही देगा। जैसे राहु का उदाहरण लेते हैं:- राहु लग्न कुंडली में वृश्चिक राशि 12H में नीच होकर वक्री अवस्था में हैं (राहु-केतु सदैव वक्री ही रहते हैं)। गोचर में राहु मेष राशि 5H में हैं चूँकि राहु लग्न कुंडली में मारक हैं इसलिए गोचर में भी अशुभ ही परिणाम देंगे।
राहु लग्न कुंडली व गोचर के आधार पर कहाँ-कहाँ गलत परिणाम देंगे तो 1, 4, 5, 6, 8, 9, 11 और 12H से संबंधित समस्या उत्पन्न करेंगे। इसी तरह केतु 2, 3, 5, 6, 7, 10, 11 और बारहवें घर में; इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राहु-केतु ने सम्पूर्ण कुंडली को कवर कर लिया तो क्या इस समय महोदय के साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा, तो ऐसा नहीं है क्योंकि अन्य ग्रह भी है जो जातक को शुभ परिणाम देंगे लेकिन केतु का नकारात्मक प्रभाव इस समय अधिक रहेगा क्योंकि केतु की महादशा चल रही है जो 17/05/2024 तक रहेगी। इसलिए इस समय महोदय को केतु का उपाय अवश्य करना चाहिए।
महोदय का प्रश्न है कि क्या मेरा विदेश में सेटलमेंट हो पायेगा? तो नहीं हो पाएगा यदि प्रयास करने पर कुछ समय के लिए चलें भी गए तो कुछ समय पश्चात् विघ्न अवश्य पड़ेगा और गोचर को ध्यान में रखते हुए मई 2024 तक विदेश यात्रा सम्भव ही नहीं है। इस समय की माँग जातक को शांत रहकर पिता की आज्ञा मानने की है हालाँकि जातक के संबंध पिता से मधुर नहीं है विरोधाभास अवश्य रहता है लेकिन पिता जातक का कभी अहित नहीं करेंगे और डांटना-डपटना अहित करना नहीं होता बल्कि पिता की तरफ से आशीर्वाद होता है पुत्र को सही मार्ग और उचित रास्ता समझाने का।
ये उचित समय हैं अपने घर में रहकर अपनी सारी गलतियों को मानकर पिता की बात मानने का और इस समय आपका सहयोग आपकी माता करेंगी क्योंकि इस समय माता आपके पक्ष में हैं वैसे सदा ही रहतीं हैं। यदि पिता की बात मानेंगे तो शनि की दृष्टि शुभ हो जाएगी और भाग्य प्रखर हो जाएगा अन्यथा विदेश मेहनत करो या घर उचित मात्रा में की गई मेहनत का फल नहीं मिलेगा। तो कुलमिलाकर मैं इस लेख में फलकथन करना नहीं सीखा रहा था क्योंकि ये एक लंबी प्रक्रिया है इसको चंद शब्दों में नहीं समझाया जा सकता है।
इसलिए मैं आपसे अपने प्रत्येक लेख में कहता हूँ कि कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए क्योंकि बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जो छुपी रह जाती हैं जिसकी जानकारी आपको कभी किसी लेख में मिलेगी तो कभी किसी में और अधूरा ज्ञान वैसे भी जी का जंजाल होता है।
निष्कर्ष
लेख को यदि आपने पूरा पढ़ा होगा तो ये तो समझ आ गया होगा कि Current Position यदि जाननी है तो गोचर देखना ही होगा। ग्रह गोचर के अनुसार 50% रिजल्ट देते हैं तो 50% लग्न कुंडली के अनुसार। लेख के मध्य में मैंने कहा था कि राहु, केतु, गुरु और शनि को छोड़ बाकी किसी ग्रह पर ध्यान नहीं देना है वो इसलिए कि बाकी ग्रहों का राशि स्थायित्व समय बहुत कम होता है। जैसे चंद्र सवा दो दिन लगभग 54 घण्टे में अपनी राशि को बदल लेते हैं इसी प्रकार सभी ग्रहों का गोचर समय निम्न है:-
- सूर्य, मंगल, बुध और सूर्य का गोचर समय 30 से 45 दिन का होता है अर्थात् इतने समय में ये ग्रह राशि को बदल लेते हैं।
- राहु-केतु का गोचर समय 18 महीने का होता है अर्थात् एक राशि में ये ग्रह 18 महीने तक रुकते हैं।
- शनि का गोचर समय 30 महीने का होता है।
- अंत में गुरु एक राशि में 13 महीने तक रुकते हैं
- गोचर को समझने के लिए YouTube वीडियो देखें।
विनम्र निवेदन
दोस्तों Gochar Kaise Dekhe से संबंधित प्रश्न को ढूंढते हुए आप आए थे इसका समाधान अगर सच में हुआ हो तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक महानुभाव तक पहुंचाने में मदद करिए ताकि वो सभी व्यक्ति जो ज्योतिषशास्त्र में रुचि रखते हैं, अपने छोटे-मोटे आए प्रश्नों का हल स्वयं निकाल सकें। इसके साथ ही मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए ताकि आपको सभी तथ्य समझ में आते चलें इसलिए यदि आप नए हो और पहली बार आए हो तो कृपया मेरी विनती को स्वीकार करें।
Hi mr. Lalit sir
I am Avinash Kumar from Punjab . Bahut bahut dhanyawad sahi margdarshan k liye. Hum kafi saloon se Mitra k bhanti ek dusre se jude hai . AP ek jyotishi hune k sath sath mere bade bhai saman hai . Bhagwati maa mahashakti mahakali apko or saflta or sidhi pardan kare. ….
गुरुजी गोचर में यदि कोई ग्रह अस्त हो और लग्न कुंडली में भी अस्त हो तो क्या वह ग्रह गोचर में प्रभावी होंगे