Ganesh Chaturthi पर सर्वप्रथम मैं आपको परिवार सहित हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। आशा करता हूँ “Ganesh Chaturthi 2022 पूजा विधि” सफलता पूर्वक संपन्न हो। आपके उपर लंबोदराय की विशेष कृपा अब से जीवन भर बनी रहे। आप अपने जीवन में अधिकाधिक प्रफुल्लित रहें। ऐसी ही प्रार्थना मैं विघ्नहर्ता से करता हूँ। साथ-ही-साथ मैं ये भी गणेश चतुर्थी जैसे पावन पर्व पर बालगणपति से प्रार्थना करता हूँ कि मेरी और आपकी बुद्धि सुख व दुख में हमेशा तटस्थ रहे तथा हम सभी निरन्तर सत्कर्म करते हुए जीवन का निर्वाह करें।
नमस्ते! जय गणपति! whatever you feel connected with me मैं ललित कुमार स्वागत करता हूँ आपका गणेश चतुर्थी पूजा विधि में; “बोलो गजानन भगवान की जय” Ganesh chaturthi 2022 की जानकारी देने से पहले मैं आपसे विनती करता हूँ कि आज आप कमेंट में जय श्री मंगलमूर्ति अवश्य लिखें कमेंट करने में आज आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिए। तो चलिए शुरू करते हैं——–
विषय सूची
गणेश चतुर्थी क्या है?
Ganesh Chaturthi 2022 में भक्तगण गौरीसुत का व्रत रहेंगे, सिद्धिविनायक की अपने-अपने ढंग से आराधना करेंगे तथा भूपति से अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए प्रार्थना करेंगे। गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। क्योंकि ग्रंथों के अनुसार गजवक्र का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि को मध्याह्न (दोपहर) के समय सोमवार वाले दिन स्वाति नक्षत्र तथा सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए इस एकदंत जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और कहीं-कहीं डंडा चौथ भी कहते हैं।
अगर आपको महीनों के नाम नहीं पता है कि पहले महीनों को किस प्रकार गिना जाता था तो आप “12 Months Name In Hindi” लेख को पढ़े ताकि आपको पता चले कि भादों का महीना कौनसा होता है।
गणेश चतुर्थी पर लाखों भक्तगण व्रत रहेंगे, मैं भी रहूँगा लेकिन ऐसा किसी भी शास्त्र में वर्णित नहीं है कि इस दिन व्रत रखा जाए तथा जो व्रत रहेगा उसी को बुद्धिविधाता की विशेष कृपा प्राप्त होगी। ये व्रत रहना तो हमारी आस्था से जुड़ा हुआ है; रुद्रप्रिय के प्रति हमारी श्रद्धा अनंत है। हमारा वश चले तो हम जीवनभर व्रत रहें परन्तु गणेश चतुर्थी का दिन विशेष होने के कारण हम अपने-आप को व्रत रखने से रोक नहीं पाते।
खाना न खाना पूजा से संबंधित भी हो सकता है। जैसे अगर आप खाना खा लेंगे तो रोजमर्रा की तरह शरीर से मल-मूत्र इत्यादि का विसर्जन भी करेंगे: सोचो—- आरती चल रही है और आप पेट-भर खड़े हैं, बीच में आपके मुख से डकार की आवाज आयी ओउम्।
तो पूजा-विधान में इस तरह की हरकतों का होना वर्जित है, इसमें पूजा में नकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है और इसका वर्णन शास्त्रों में है क्योंकि खाने से पेट भर जाना आलस्य और प्रमाद को जन्म देता है, ध्यान और एकाग्रता को नहीं। शायद इसलिए भी किसी भी अनुष्ठान के लिए व्रत रहना या केवल हल्का फलाहार करना ही उचित कारण हो सकता है।
गणेश चतुर्थी मुहूर्त
11:01 AM से 01:30 PM तक
गणेश चतुर्थी कब है?
Ganesh chaturthi 31 अगस्त 2022 दिन बुधवार को है।
सावधानियां
- आप जो चौकी की स्थापना करने वाले हैं अर्थात् जहाँ जिस प्रकार से मन्दिर सजाने वाले हैं वो सजाने से पहले आपको दिशा का ध्यान रखना होगा।
- या तो मन्दिर का मुख पूर्व दिशा की और हो या फिर आपका मुख पूर्व दिशा की और हो।
- पूर्व दिशा में घर में कोई कूड़े-कचरे का डिब्बा न रखा हो अगर घर में रखने का वही स्थान निश्चित हो तो गणेश चतुर्थी पूजा विधि करने से पहले हटा दें।
- आपका आसन कुश का हो तो सबसे बढ़िया अन्यथा साफ लाल कपड़े का ही आसन बनाये।
- व्रत से 24 घंटे पहले आप कन्द-मूल प्रकार का भोजन खाएं जैसे फलाहार कर सकते हैं, अधकचा-उबला हुआ खाना खा सकते हैं बिना मिर्च-मसाले का जैसे उबली हुयी लौकी आदि इस प्रकार का कुछ भी।
- पूजा समाप्ति के 24 घण्टे के भीतर ही चौकी का जो भी सामान होता है जैसे फूल, चावल इत्यादि सभी बहते हुए जल में प्रवाहित किए जाते हैं अन्यथा आपके क्षेत्र में जहाँ पथवारी माता हो वहां विसर्जित किया जाता है।
Ganesh chaturthi 2022 पूजा विधि से बुध ग्रह पर प्रभाव
बुध ग्रह पहले केवल ग्रह थे लेकिन समय के चलते बुध ग्रह को बुध देव की उपाधि मिली; हालाँकि शास्त्रों को खंगालने पर आपको पता चलेगा कि दोनों भिन्न-भिन्न हैं। वस्तुतः हमारे ज्योतिष शास्त्र में बुध देव के आराध्य जगत के चतुर्भुज अर्थात् भगवान गणेश हैं। इसलिए श्री गणाध्यक्ष की पूजा-आराधना और भक्ति से कुण्डली में बुध ग्रह योगकारक होते हैं, और आपको शुभाशुभ फलों की प्राप्ति करवातें हैं।
बुध का कुण्डली में बहुत महत्त्व है, जन्म कुंडली में बुध देव भद्र योग भी बनाते हैं जो पंच महापुरुष योग में से एक योग है, इसके साथ-साथ बुध देव सूर्य की युति से बुधादित्य राजयोग का भी निर्माण करते हैं।
वैसे तो बुध देव बुद्धि, व्यवसाय आदि के कारकेश होते हैं और आपकी जन्मकुंडली में जहाँ विराजित होते हैं, जहां उनकी राशियां होती है और जहाँ उनकी दृष्टि पड़ती है उन सभी जगह वो अच्छे परिणाम देते है अगर बुध देव आपकी कुण्डली में योगकारक हो तो या फिर किसी प्रकार की आराधना से योगकारक हो जाएं जैसे बुध के आराध्य गणेश जी की गणेश चतुर्थी पर विशेष प्रकार से आराधना करके।
गणेश चतुर्थी व्रत उद्यापन विधि
गणेश चतुर्थी व्रत उद्यापन विधि में कुछ जरूरी बिंदुओं को मैं उपर बता चुका हूँ बाकी के उपर अभी चर्चा करेंगे :—–
हाँ तो, गणेश चतुर्थी व्रत उद्यापन विधि में अपने आराध्य शुभगुणकानन की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा कर सकते हैं। पर मेरी माने तो आराध्य श्री सिद्धिप्रिय की 16 प्रकारों से पूजा करें अर्थात् षोडशोपचार पूजा।
वर्ष में एक दिन तो ऐसा समय आता है कि आप भगवान को जितना प्रेम कर पाएं उतना उचित है। हालाँकि भजना तो जीवनभर है लेकिन पंचोपचार पूजा किसी भी अनुष्ठान को जल्दी करने का माध्यम है। जो कह सकते हैं कि पंडितों-पुरोहितों के लिए बना है। या फिर यूं कहिए कि जिस किसी को भी जल्दी हो वो ऐसा कर सकता है। हमें तो किसी बात की जल्दी नहीं इसलिए हम तो षोडशोपचार पूजा ही करेंगे।
गणेश चतुर्थी मंत्र जाप
गणेश चतुर्थी व्रत वाले दिन आप अधिक समय जितना आप के लिए मुमकिन हो उतना “ओउम् गं गणपतये नमः” का जाप करें बिना गिनती करे हुए।
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