Daan Ke Niyam आसान हैं लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखना है कि जिस भी ग्रह का दान करें वो ग्रह कुंडली में पूर्णतया मारक होना चाहिए क्योंकि योगकारक ग्रह का दान कभी नहीं किया जाता है। यदि योगकारक ग्रह का दान किया जाए तो उस ग्रह की सकारात्मक रश्मियां हमसे विलग हो जाती हैं जिससे वो ग्रह हमको शुभ फल नहीं दे पाता है। इसलिए आप स्वयं से दान करो या किसी के बताए अनुसार किन्तु आपको इतना अवश्य पता होना चाहिए कि जो या जिस वस्तु का हम दान कर रहें हैं वो वस्तु कोई ऐसे ग्रह से तो नहीं संबंध रखती है जो कुंडली में योगकारक ग्रह की श्रेणी में आता हो।
विषय सूची
दान के नियम
Daan Ke Niyam अधिक कुछ नहीं सिर्फ एक ही सबसे बड़ा नियम है जो अभी बताया कि दान वस्तु का ग्रह मारक होना चाहिए इसके अलावा एक-दो और नियम हैं जो निम्नलिखितानुसार हैं:-
- जब भी दान करें कम-से-कम ₹50 का दान करें किसी गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को और वो भी तब, जब ग्रह की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो।
- दान हफ्ते में केवल एक बार करना है।
- दान की वस्तु खरीदने के पैसे स्वयं की मेहनत के होने चाहिए किन्तु यदि ऐसा ना हो तो दान विधि को ना अपनाकर उपाय का रास्ता चुनना अच्छा होता है।
- दान करते समय ये भी ध्यान रखना चाहिए कि दान में धन कभी नहीं देना चाहिए बल्कि सम्बन्धित ग्रह की वस्तुओं का ही दान करना चाहिए।
सूर्य का दान
तांबा, गेंहूँ, गुड़, सूर्य को जल चढ़ाएं प्रतिदिन। ये वस्तु सूर्य ग्रह के अंतर्गत आती हैं और इनका दान रविवार को करना चाहिए। सूर्य को अर्घ्य हमेशा सूर्योदय के पश्चात् ही दिया जाता है और तांबे के लौटे या वर्तन में थोड़ा सा गुड़ डालकर ही अर्घ्य दिया जाता है उनके बीज मंत्र को बोलते हुए। बीज मंत्र का उच्चारण 3, 5 या 7 बार कर सकते हैं। सूर्य को सादा जल मतलब केवल जल या उसमें चीनी डालकर और स्टील के बर्तन में कभी नहीं अर्पित या अर्घ्य दिया जाता है।
अगर आप बेवजह सूर्य को अर्घ्य देंगे या गलत विधि से अर्घ्य देंगे तो आपके लिए सूर्य की स्थिति कमजोर होगी। जन्म कुंडली का कुछ अता-पता ना होने पर सूर्य को अर्घ्य ना दें बस उनका बीज मंत्र सिद्ध करें या कोई अन्य उपाय करें क्योंकि यदि आपकी कुंडली में सूर्य योगकारक हुए तो आपने अनजाने में अर्घ्य दे-दे कर अपने लिए बलहीन कर लिया और ऐसा होने पर सूर्य आपकी कुंडली में जहाँ बैठें थे वहाँ के तो फल नहीं देंगे बल्कि साथ में सूर्य स्वास्थ्य के भी कारक ग्रह होते हैं; इसलिए ही स्वास्थ्य भी गड़बड़ा जाता है और शरीर में किसी गम्भीर बीमारी का जन्म हो जाता है।
- ज्योतिष सीखने के लिए Youtube चैनल देखें।
किन्तु यह कोई आवश्यक नहीं लेकिन ऐसा हो भी सकता है। इसके साथ-साथ सूर्य संतानों की संख्या को कम भी कर सकता है विशेषतः पुत्र संतानों को; कभी-कभी गर्भपात हो जाता है और कभी होने के बाद विलग हो जाती हैं। इसलिए जन्म कुंडली का पता ना होने पर सूर्य को अर्घ्य ना दें बस उनको बीज मंत्र के माध्यम से प्रसन्न करें।
यहाँ कुछ महानुभाव का मत हो सकता है कि उपर्युक्त विचार यदि सत्य भी है तो हमने अंजाने में ऐसा किया किन्तु हमारी भावना ऐसी नहीं थी। जाकि जैसी भावना भई प्रभु की लीला वैसी भई एकदम सत्य वचन किन्तु गलत जगह प्रयोग किया दोहे को वो भी केवल अपनी मन की सांतना को सिद्ध करने के लिए। हथोड़ा हड्डी में मारोगे तो टूटने के अलावा कुछ और भी हो सकता है क्या? शायद टूटने से भी कोई फायदा हो जबकि बिना टूटे भी कार्य को सम्पन्न किया जा सकता है—– सूर्य देव का वैदिक बीज मंत्र सिद्ध करके फिर चाहें कुंडली में योगकारक हो या मारक लेकिन फल शुभ ही मिलेगा।
चंद्र का दान
दान वस्तु | दिन |
सफेद वस्त्र, चांदी, चावल, दूध, पानी (दूध नहीं पीना सोमवार को) | सोमवार |
मंगल का दान
लाल वस्त्र, मसूर की दाल, मीठी रोटी, गरीब को भोजन कराना, बन्दर को गुड़ व चने खिलाना, ब्रह्ममुहूर्त में मेडिटेशन अवश्य करना। मंगल से संबंधित वस्तुओं का दान मंगलवार को करना है। किन्तु मेडिटेशन (ध्यान करना) को आप मंगल के योगकारक होने की अवस्था में भी कर सकते हैं। ध्यान में ओउम् बीज अक्षर का जाप मानसिक रूप से कर सकते हैं। ध्यान करने से एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का आभास या अनुभव होता है और यह क्रिया विशेष लाभदायी एवं प्रभावकारी भी होती है।
बुध का दान
हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग की दाल ये वस्तु आतीं हैं और तुलसी में पानी दें लेकिन तुलसी में पानी बुध ग्रह के योगकारक होने पर भी दे सकते हैं। किंतु मारक होने पर तुलसी के पत्तों को कभी ना तोड़े और किसी भी प्रकार के पेड़-पौधे को कभी ना काटें लेकिन जरूरत पड़ने पर परिवार के किसी अन्य सदस्य से ऐसा करवा सकते हैं जिससे कि आपकी जरूरत पूरी हो सके।
गुरु का दान
केला, पीले वस्त्र, नमक, पीली मिठाई, हल्दी और गुरूजनों व बुजुर्गों से आशीर्वाद लें तथा उनका सम्मान करें हमेशा। अब ये ना समझना कि गुरु ग्रह योगकारक हैं तो गुरूजनों व बुजुर्गों का सम्मान नहीं करना है। यहाँ इसका ये मतलब है कि गुरु ग्रह के मारक होने पर ऐसा करना कभी नहीं भूलना है क्योंकि फिर ये आवश्यक हो जाता है। योगकारक होने पर आवश्यक नहीं है लेकिन यदि आप ऐसा करेंगे तो आपके लिए ही ये शुभ होता है क्योंकि ये विषय नैतिकता से जुड़ा हुआ है; इससे आपका चरित्र ही सुदृढ़ होगा।
शुक्र का दान
रंगीन वस्त्र, सेंट, चन्दन, कपूर और चीनी का दान शुक्र ग्रह के अंतर्गत आता है। कुंडली में शुक्र मारक होने पर इन वस्तुओं का तो दान कर ही सकते हैं और साथ में एक गोले में चीनी भरकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे या बरगद के पेड़ के नीचे गाड़ सकते हैं अधिक नहीं दबाना है बस इतना की मट्टी से ढक जाए या फिर जहाँ भी अत्यधिक चीटियां हों वहाँ भी चीनी से भरे हुए गोले को दबा सकते हैं ऐसा प्रति शुक्रवार को कर सकते हैं। ये शुक्र को शांत करने का सबसे बेहतर उपाय है।
शनि का दान
काला वस्त्र, उड़द दाल, काले तिल, सरसों का तेल और स्टील बर्तन का दान शनि के मारक होने की अवस्था में कर सकते हैं। शनि ग्रह कुंडली में योगकारक हो अथवा मारक लेकिन शनि देव के मंदिर जाकर दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं किन्तु योगकारक होने पर शनि देव पर सरसों का तेल अर्पित नहीं कर सकते हैं। शनि देव पर तेल केवल कुंडली में शनि ग्रह के मारक होने पर ही किया जाता है।
राहु का दान
नारियल, कंबल काला या नीला और मीठी रोटी कौवे को खिलाएं। पहले दिन या कुछ दिन तक ऐसा हो सकता है कि आपकी रोटी बिगड़ जाएं लेकिन नियमित रूप से करने पर एक दिन अवश्य ही कौवे आपके सामने खायेंगे। ये क्रिया राहु की महादशा या अंतर्दशा आने पर प्रतिदिन कर सकते हैं।
केतु का दान
तिल सफेद, लोहा, भूरे रंग की वस्तु या कोई वस्त्र और कुत्ते को रोटी खिलाएं। पालतू कुत्ता और बाहर के कुत्ते में अन्तर है। जो पालतू कुत्ता होता है वो एक तरह से आपके परिवार का सदस्य है उसका पेट भरना आपकी जिम्मेदारी है लेकिन बाहर का कुत्ता किसी पर निर्भर नहीं उसको मिल जाए तो ठीक और ना मिले तो ठीक। केतु के मारक होने पर अपने खाने में से शाम को प्रतिदिन एक रोटी निकाल के अलग रखें और खाना खाने के बाद बाहर के कुत्ते को खिला दें।
अब कुत्ते को रोटी खिलाने के चक्कर में आप ऐसा ना करें कि शाम को अपनी खुराक में एक रोटी और बढ़ा लें नहीं बल्कि आपकी जितनी भी खुराक हो उस में से कटौती करके कुत्ते को देना है। अपनी भूख का कुछ हिस्सा कुत्ते को देने से केतु बहुत जल्दी ही शांत होते हैं। वैसे यदि आप कुत्ते को रोटी खिलाते हैं तो उसमें भी कोई समस्या नहीं बस फर्क इतना होगा कि अब जो रोटी जायेगी वो आपकी भूख का हिस्सा नहीं होगा। आप अलग से 8-10 रोटी बनाकर बाहर के जितने कुत्ते हैं सभी में बांट दें।
निष्कर्ष
दान में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है आपके भाव और उसके पीछे का उद्देश्य। जैसे लोहा शनि ग्रह के अंतर्गत भी आता है और केतु के भी लेकिन आपका भाव केतु को शांत करने का है तो लोहे के दान करने से केतु ग्रह ही शांत होंगे। उसी तरह इस भाव के पीछे का उद्देश्य यही होना चाहिए कि आप जिस किसी भी वस्तु का किसी को दान कर रहें हैं उससे उसका भला ही हो और कभी कोई नुकसान ना हो। और ये जो मैं दान कर रहा हूँ वो मेरा था ही नहीं या मेरा नहीं है या उसी का था या उसके क्षणभंगुर पेट भरने का मैं केवल निमित्त मात्र हूँ।
दान की क्रिया में जहाँ दिखावा या अहंकार आया वहीं दान का फल समाप्त। जीवन के किसी पड़ाव पर ये चित्त में कभी नहीं आना चाहिए कि मैंने इतना तो दान कर दिया अगर ऐसा आप अपने को बना पाए तो समझो आप कुछ ना होते हुए भी सबकुछ हो क्योंकि आप समाज में शायद तुच्छ हों लेकिन आत्मा आपकी महान है।
ऐसे व्यक्तित्व में आत्मा वास करके अपने को पवित्र ही समझती है, वो ये महसूस करती है कि मैं इस शरीर में आयी लेकिन मुझसे भी महान ये शरीर था जिसने मुझको पवित्र ही रखा क्योंकि मैं तो भौतिक सुखों से विलग ही रहती हूँ लेकिन ये भौतिक सुखों का आनंद लेते हुए तनिक मात्र भी गन्दा नहीं हुआ। ऐसी ही विचारधारा आपके चरित्र को समाज में सर्वगुणसंपन्न बनाती है।
विनम्र निवेदन
दोस्तों Daan Ke Niyam संबंधित प्रश्न को ढूंढते हुए आप आए थे इसका समाधान अगर सच में हुआ हो तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक महानुभाव तक पहुंचाने में मदद करिए ताकि वो सभी व्यक्ति जो दान करने में रुचि रखते हैं, अपने छोटे-मोटे आए प्रश्नों का हल स्वयं निकाल सकें। इसके साथ ही मैं आपसे विनती करता हूँ कि यदि आप अपनी जन्म कुंडली का विवेचन स्वयं करना चाहते हैं तो कृपया कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए ताकि आपको सभी तथ्य समझ में आते चलें इसलिए यदि आप नए हो और पहली बार आए हो तो कृपया मेरी विनती को स्वीकार करें।