Budh Aditya Yoga कुंडली में बनने वाला बहुत ही ताकतवर राजयोग है। अधिकतर कुंडलियों में इस राजयोग का निर्माण होता है लेकिन कार्य नहीं करता है। दो ग्रहों की युति होने से ही इस राजयोग का निर्माण नहीं हो जाता है बल्कि युति होने के साथ-साथ कुछ अन्य नियम भी होते हैं जो इस राजयोग को फलदायी बनाते हैं। बुधादित्य राजयोग के इन्हीं नियमों के बारे में हम इस लेख में जानकारी हांसिल करेंगे और इस राजयोग के हमारे जीवन में फायदे क्या होते हैं इनको भी अच्छी तरह समझेंगे। नमस्ते! राम-राम Whatever you feel connected with me.
विषय सूची
बुधादित्य राजयोग क्या है?
Budh Aditya Yoga कुंडली के किसी भी घर में दो ग्रहों के एकसाथ होने से बनता है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है बुधादित्य अर्थात् बुध+आदित्य यानि कि बुध और सूर्य की युति से बनने वाला राजयोग। ये राजयोग अगर आपकी कुंडली में बनता है तो आपको यह वो सब कुछ दिला सकता है जिसको पाने की इच्छा आपके मन में किसी धनवान व्यक्ति को देखकर उत्पन्न होती है।
बुधादित्य राजयोग के नियम
Budh Aditya Yoga सिर्फ दोनों ग्रहों की युति होने से यह राजयोग नहीं बन जाता क्योंकि राजयोग को पूर्णरूप से कार्य करने के लिए कुछ नियम होते हैं जिनका विवरण निम्नलिखितानुसार है।
- कुंडली में दोनों ग्रह योगकारक हों
- बुध अस्त ना हो
- सूर्य-बुध नीच के ना हो
- कुंडली के त्रिक भाव में युति ना हो
बुधादित्य राजयोग देखते समय आपको ध्यान रखना है कि आपके पास लग्न कुंडली का ग्राफ हो क्योंकि किसी भी राजयोग या दोष का विश्लेषण केवल लग्न कुण्डली से ही किया जाता है। इसलिए बुधादित्य राजयोग को समझने के लिए अब हम मिथुन और धनु लग्न की कुंडली को उदहारण के रूप में समझेंगे।
मिथुन लग्न
1H में बुध और सूर्य की युति। उपर्युक्त मिथुन लग्न के ग्राफ में प्रथम भाव में मिथुन राशि में सूर्य+बुध के होने से दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं इसलिए प्रथम भाव में बुधादित्य राजयोग बनेगा।
2H में बुध और सूर्य की युति। द्वितीय भाव में सूर्य+बुध के होने से बुधादित्य राजयोग बनेगा क्योंकि इस भाव में भी दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं।
3H में बुध और सूर्य की युति। तृतीय भाव में सूर्य+बुध के होने से बुधादित्य राजयोग बनेगा क्योंकि यहाँ भी दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं।
4H में बुध और सूर्य की युति। चतुर्थ भाव में सूर्य+बुध के होने से बुधादित्य राजयोग बनेगा क्योंकि इस भाव में भी दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं।
5H में बुध और सूर्य की युति। पंचम भाव में सूर्य+बुध के होने से बुध तो योगकारक होते हैं लेकिन सूर्य नीच के हो जाते हैं इसलिए अगर सूर्य का नीच भंग होता है तो सूर्य योगकारक होंगे और फिर बुधादित्य राजयोग बनेगा अन्यथा नीच भंग ना होने पर बुधादित्य राजयोग नहीं बनेगा और सूर्य मारक हो जायेंगे।
6H में बुध और सूर्य की युति। षष्ठम भाव कुंडली का त्रिक भाव है और इस घर को कुंडली का अच्छा घर नहीं माना जाता है क्योंकि अधिकतर इस घर से नकारात्मक पहलुओं का ही आंकलन होता है। इसलिए इस घर में सूर्य+बुध के होने से Budh Aditya Yoga भी नहीं बनेगा बल्कि दोनों ही ग्रह मारक भी हो जायेंगे।
7H में बुध और सूर्य की युति। सप्तम भाव में सूर्य+बुध की युति होने से दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं और बुधादित्य राजयोग भी बनता है।
8H में बुध और सूर्य की युति। अष्टम भाव में सूर्य+बुध की युति अच्छी नहीं होती है क्योंकि कुंडली का आठवां घर त्रिक भाव होता है और इस घर में दोनों ग्रह योगकारक होने के बावजूद मारक हो जाते हैं और गलत परिणाम देने के लिए बाध्य हो जाते हैं इसलिए यहाँ बुधादित्य राजयोग नहीं बनता है।
9H में बुध और सूर्य की युति। नवम भाव में सूर्य+बुध के होने पर दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं और Budh Aditya Yoga का निर्माण भी करते हैं।
10H में बुध और सूर्य की युति। दशम भाव में सूर्य+बुध के होने पर सूर्य तो योगकारक होते हैं लेकिन बुध नीच के हो जाते हैं। इसलिए अगर बुध का नीच भंग होता है तो बुध योगकारक भी होंगे और बुधादित्य राजयोग भी बनेगा लेकिन नीच भंग ना होने पर बुधादित्य राजयोग नहीं बनेगा और बुध मारक भी हो जाएंगे जो गलत परिणाम देने के लिए बाध्य रहेंगे।
11H में बुध और सूर्य की युति। एकादश भाव में सूर्य+बुध दोनों ही योगकारक होते हैं इसलिए Budh Aditya Yoga का निर्माण करते हैं।
12H में बुध और सूर्य की युति। द्वादश घर कुंडली का त्रिक भाव है। बारहवाँ घर कुंडली का अच्छा घर नहीं माना जाता है इसलिए बुध+सूर्य की युति शुभफलदायी नहीं होती है क्योंकि दोनों ही ग्रह मारक होते हैं और Budh Aditya Yoga का निर्माण नहीं होता है।
धनु लग्न
कुंडली के घर | बुधादित्य राजयोग |
1H | ✔️ |
2H | ✔️ |
3H | ✔️ |
4H | बुध नीच |
5H | ✔️ |
6H | ✖️ |
7H | ✔️ |
8H | ✖️ |
9H | ✔️ |
10H | ✔️ |
11H | सूर्य नीच |
12H | ✖️ |
4H में सूर्य+बुध की युति होने पर बुध चतुर्थ भाव में नीच के हो जाते हैं। इसी तरह सूर्य धनु लग्न में एकादश भाव में नीच के होते हैं। अगर सूर्य+बुध की निचता भंग होती है तो नीच भंग राजयोग भी बनता है और साथ में बुधादित्य राजयोग भी बनता है अन्यथा की स्थिति में बुधादित्य राजयोग नहीं बनता है।
प्रथम उदाहरण
Budh Aditya Yoga को उपर्युक्त दो लग्न से समझाने का प्रयास किया लेकिन उपर्युक्त गणना में सूर्य से अस्त होने का नियम रह जाता है क्योंकि उपर्युक्त गणना कच्ची अवस्था की गणना है इसलिए अब हम यथार्थ उदाहरण से बुधादित्य राजयोग को अच्छे से समझेंगे।
नाम | लीलाधर |
जन्मतिथि | 06/09/1993 |
जन्मसमय | 11:15AM |
जन्मस्थान | अहमदनगर, महाराष्ट्र |
उपर्युक्त चित्र तुला लग्न की कुंडली का है। वैसे तो सूर्य तुला लग्न में मारक होते हैं लेकिन यहां सूर्य स्वयं की राशि में विराजमान हैं इसलिए स्वराशि होने की वज़ह से सूर्य योगकारक हुए। सूर्य+बुध की युति एकादश भाव में हैं चूँकि दोनों ही ग्रह योगकारक हैं इसलिए बुधादित्य राजयोग बन गया।
उपर बताये गये बुधादित्य राजयोग के नियमों में तीन नियम तो पास हुए लेकिन एक नियम जो अस्त होने का है उसको परखते हैं अब तो पहले सूर्य से बुध अस्त कैसे होते हैं इसको समझते हैं। लगभग सभी कुंडलियों में बुध सूर्य के साथ ही रहते हैं। या तो बुध सूर्य जहां बैठे हैं उसी घर में बुध होंगे अन्यथा अगले वाले भाव में या फिर पिछले वाले भाव में अवश्य होते हैं। बुध की चलने की गति लगभग सूर्य के समान ही होती है और कभी-कभी यह स्थिति कुंडली में इतनी नजदीक हो जाती है कि सूर्य से अस्त हो जाते हैं बुध।
वस्तुतः बुध अगर सूर्य के 13° नजदीक आ जाएँ तो सूर्य से अस्त हो जाते हैं। उपर्युक्त तुला लग्न में बुध एकादश भाव में 27° चल चुके हैं और सूर्य 19° चल चुके हैं। अगर दोनों ग्रह के बीच का अन्तर निकाले तो 8° का आता है जोकि 13° के कम का अन्तर है। इसलिए बुध तुला लग्न में अस्त हैं। अब देखा ना आपने बुधादित्य राजयोग बनने के बाद भी कार्य नहीं करेगा अस्त होने की वज़ह से अगर बुध को यहाँ एक्टिवेट किया जाए रत्न या बीज मंत्र के माध्यम से आदि अन्य स्पेशल उपाय करके तो यह Budh Aditya Yoga पूर्ण रूप से कार्य करेगा और बुधादित्य राजयोग के फायदे भी इस जातक को मिलने लगेंगे।
द्वितीय उदाहरण
Budh Aditya Yoga को तुला लग्न की कुंडली से हमने समझा अब हम सिंह लग्न की कुंडली से इसको समझने का प्रयास करेंगे।
नाम | Tusar |
जन्मतिथि | 18/04/2022 |
जन्म समय | 02:45PM |
जन्म स्थान | Aligarh,UP |
उपर्युक्त ग्राफ सिंह लग्न का है। इसमें नवम भाव में सूर्य+बुध की युति है। इस लग्न में दोनों ही ग्रह योगकारक हैं। अब बुध के अस्त होने की बात करें तो नवम भाव में बुध 19° चल चुके हैं और सूर्य 4° अगर दोनों का अन्तर निकाले तो 15° का आता है जोकि 13° से अधिक का अन्तर है जबकि नियम कहता है कि बुध अगर सूर्य के 13° नजदीक आ जाएं तो अस्त हो जाते हैं जबकि यहां ऐसा नहीं है इसलिए यहाँ बुध अस्त नहीं हैं और बुधादित्य राजयोग पूर्णरूपेण बन रहा है।
निष्कर्ष
Budh Aditya Yoga की गणना करते समय आपको ध्यान रखना है कि दोनों ही ग्रह योगकारक होने ही चाहिए और इसके साथ अस्त होने की गणना अवश्य करनी है क्योंकि दोनों ही ग्रह लगभग एकसाथ ही रहते हैं इसलिए बुध के अस्त होने के चांस अधिक हो जाते हैं जैसा कि आपने उपर्युक्त ग्राफ में देखा। बुधादित्य राजयोग अगर अच्छी तरह बनेगा तो व्यक्ति के जीवन में भलीभाँति कार्य भी करेगा अन्यथा आप सोचते ही रहेंगे कि सूर्य+बुध की युति तो है फिर पैसा वाला इंसान कब बनूँगा मैं, आखिर ये राजयोग काम कब करेगा।
ज, ज, ज, – ज़मीन, जोरु, जायदाद। इतिहास रचने के जिम्मेदार हैं ये और वर्तमान जी रहा है इनके लिए तथा भविष्य काल निर्भर हैं इन पर।
ललित कुमार
ज्योतिष परामर्श
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