Kemdrum Yog है या दोष और कुंडली में ये किस प्रकार बनता है? क्या सच में अगर केमद्रुम योग कुंडली में हो तो व्यक्ति दरिद्र हो जाता है? क्या सच में दरिद्रता का कुछ लेना-देना इस योग या दोष से है? नमस्ते! राम-राम Whatever You Feel Connected With Me. आज के इस लेख में हम इन्हीं सब बातों पर चर्चा करेंगे और सबसे पहले ये जानेंगे कि यह दोष/योग कुंडली में बनता कैसे है:-
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केमद्रुम योग कैसे बनता है?
Kemdrum Yog कुंडली में चंद्रमा के अकेले होने से बनता है अर्थात् चंद्रमा लग्न कुंडली के किसी भी भाव में अकेला, चंद्र के साथ किसी अन्य ग्रह की युति ना हो और इसके साथ-साथ उसके अगले वाले भाव तथा पीछे वाले भाव में भी कोई ग्रह ना हो तो केमद्रुम योग बनता है। जैसे मानो कि किसी भी लग्न कुंडली में चंद्रमा 3H में है और 3H में चंद्र के साथ कोई अन्य ग्रह भी नहीं है तथा 2H और 4H में भी कोई ग्रह नहीं है तो केमद्रुम योग बनेगा।
राहु या केतु दोनों में से कोई भी ग्रह 2H, 3H या 4H में हो तो इनके होने से ये योग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि राहु-केतु को योग के नियम में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ये दोनों छाया ग्रह है इसलिए ये चंद्रमा के साथ हो अथवा अगले या पिछले घर में कोई फर्क नहीं पड़ता है और केमद्रुम योग बनता है।
केमद्रुम योग का फल
व्यक्ति स्वयं के बारे में अधिक सोचता है या कह सकते हैं कि व्यक्ति अंतर्मुखी होता है। केमद्रुम योग अगर जातक की कुंडली में बनता है तो व्यक्ति की उम्र जब तक 18 वर्ष की नहीं होती तब तक बहुत परेशान करता है। व्यक्ति के मन में किसी-न-किसी बात को लेकर द्वन्द चलता ही रहता है। जातक ऐसा समझता है कि अभी लोग उसको जानते नहीं है कि वो कौन है, व्यक्ति अपने आप को अन्य से विशेष समझता है और अपने आप पर सामने वाले लोग गौर दें ऐसा कोई कार्य करने का प्रयास करता है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि व्यक्ति समझता है की उसको कोई महत्व नहीं देता और अन्य लोगों की नजरों में उसकी कोई इज्जत नहीं है, ये अन्य लोग उसके परिवार के भी हो सकते हैं। जातक को अकेला रहना पसंद होता है, भीड़-भाड़ या लोगों के साथ रहना इनको कम भाता है। ऐसे लोगों में हस्तमैथुन का शिकार होने का चांस अधिक होता है और फिर एक बार यदि लत लग जाए तो व्यक्ति सेक्स से अधिक स्वयं से हस्तमैथुन करना अधिक उचित समझता है क्योंकि उसको आनन्द की अनुभूति सेक्स में कम होती है।
लग्न कुंडली में चंद्र और मंगल दोनों का अंश बल यदि कम हो जातक डरा हुआ रहता है या कह सकते हैं कि वो जल्दी ही भयभीत हो जाता है। ऐसे लोग निडर कम और धैर्य या सहनशीलता से संपन्न नहीं होते हैं। निर्णय लेने की क्षमता इनके अंदर बहुत कम होती है। लग्न कुंडली में चंद्रमा और शनि का अंश बल यदि अच्छा हो और दोनों ही ग्रह कुंडली में योगकारक हों तो जातक जटिल परिस्थिति को भी बड़े ही आसानी से सुलझा लेता है। ऐसे व्यक्ति गुप्त विद्या सीखने के योग्य और अनसुलझे रहस्य को सुलझाने में प्रवीण होते हैं।
किसी भी बात को बहुत गहराई तक सोच सकते हैं। ऐसे जातक किसी भी विषय में रिसर्च करे तो सफल होने के चांस अधिक रहते हैं। लग्न कुंडली में चंद्र का अंश बल अच्छा हो और योगकारक भी हो लेकिन मंगल का अंश बल अच्छा होने के साथ कुंडली में मारक हो तो ऐसे जातक जब तक शांत रहते हैं तब तक तो ठीक लेकिन बिगड़ने पर आग उगलते हैं।
गुस्सा आने पर इनको नियंत्रण में करना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे जातक गुस्से में अपना या किसी अन्य का अहित अवश्य कर लेते हैं क्योंकि गुस्से में इनको अच्छे-बुरे की समझ ही नहीं रहती और कभी-कभी तो ये जानते हुए कि अमुक कर्म का परिणाम अनुचित होगा फिर भी उस कृत्य को करने से नहीं चूकते हैं।
केमद्रुम योग भंग
अस्त अवस्था लग्न कुंडली में चंद्र सूर्य से अगर अस्त हों तो केमद्रुम दोष का फल जातक को नहीं मिलता है लेकिन कुंडली में चंद्र का अस्त होना अपने आप में एक प्रकार का दोष ही है क्योंकि लग्न कुंडली में चंद्रमा योगकारक हो अथवा मारक लेकिन चंद्र मन का कारक होता है, हमारे मन का संबंध सीधे चंद्रमा से होता है।
गुरू की भूमिका चंद्र के साथ गुरू की युति होने पर या फिर गुरू की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ने पर भी केमद्रुम योग भंग हो जाता है। लग्न कुंडली में ये दोनों ग्रह भले ही मारक हों लेकिन फिर गुरु की युति या दृष्टि संबंध होने पर केमद्रुम योग भंग हो जाता है। इसके साथ चंद्रमा लग्न कुंडली में अगर उच्च का हो तो भी केमद्रुम योग भंग हो जाता है।
केमद्रुम योग का उपाय
- चंद्र बीज मंत्र ओउम् सोम सोमाय नमः केमद्रुम दोष बनने पर चंद्र का बीज मंत्र का जाप जीवनभर नहीं तो कम-से-कम चंद्र की महादशा और अंतर्दशा में तो अवश्य ही करना चाहिए।
- मेडिटेशन ब्रह्ममुहूर्त में किया गया ध्यान विशेष फलदायी होता है। मेडिटेशन से मन शांत और एक जगह कार्य करने के लायक बनता है।
- शिव आराधना प्रत्येक सोमवार को व्रत व्यक्ति को रहना चाहिए और सोमवार को शिवलिंग पर मीठा जल ओउम् नमः शिवाय बोलते हुए अर्पित करना चाहिए; ऐसा करने से मन सुव्यवस्थित होता है।
विनम्र निवेदन
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आपके इस लेख को पढ़कर इस दोष के बारे में तथा इसके उपायों के बारे में बहुत ही सुंदर जानकारी प्राप्त हुई
धन्यवाद