Ast Grah को समझने से पहले अस्त ग्रह का मतलब समझना चाहिए। जिस प्रकार सूर्य अस्त होते हैं जिसको सूर्यास्त कहा जाता है उसी प्रकार ग्रह भी अस्त होते हैं जिसको अस्त ग्रह कहा जाता है। सूर्यास्त होने से जैसे अंधकार आ जाता है ठीक वैसे ही ग्रह के अस्त होने से अमुक ग्रह अंधकार में चला जाता है। ये सब बातों को पढ़ के सब उलझा-उलझा लगे लेकिन अंत तक सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।
विषय सूची
अस्त ग्रह क्या है?
Ast Grah की गणना में केवल 7 ही ग्रह आते हैं लेकिन इन 7 में से 6 ग्रह अस्त होते हैं और 1 ग्रह इन सभी को अस्त करता है। कुल 9 ग्रह हैं जिसमें राहु-केतु का स्थायित्व नहीं है इसलिए इनको छाया ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है बाकी के सभी ग्रह सूर्य से ही ऊर्जा को प्राप्त करते हैं लेकिन जब ये ग्रह एक निश्चित मापन के अनुसार सूर्य के नजदीक आ जाएं तो वह अस्त हो जाते हैं और वो निश्चित मापन क्या होता है इसको अभी हम समझेंगे।
अस्त ग्रह का फल
यहाँ तक ये तो समझ आया कि राहु-केतु सूर्य से अस्त नहीं होते हैं बल्कि उल्टा सूर्य ग्रहण दोष का निर्माण कर देते हैं। अब अस्त ग्रह के फल की बात करें तो बिना कोई उपाय करे अस्त हुआ ग्रह किसी प्रकार का फल नहीं दे सकता है लेकिन अस्त ग्रह का उपाय करने के पश्चात् फल देने की संभावना बन जाती है। फ़िलहाल ये समझ के चलो कि अस्त ग्रह किसी भी प्रकार का फल नहीं दे सकता है।
अस्त ग्रह की डिग्री
उपर निश्चित मापन की बात कही थी और ये वही निश्चित मापन की गणना है। निम्न डिग्री अस्त ग्रह की गणना करने में काम आती हैं जैसे सूर्य से बुध ग्रह के अस्त होने की संभावना अधिक रहती है क्योंकि बुध लगभग सूर्य के ही साथ चलते हैं लेकिन यदि साथ नहीं होंगे तो कुंडली में सूर्य जहाँ विराजित हैं उसके अगले भाव में होंगे या फिर पिछले घर में अवश्य होंगे। तो बुध 13° सूर्य के नजदीक आ जाएँ तो सूर्य से अस्त हो जाते हैं। इसी प्रकार अन्य ग्रहों की सूर्य से अस्त होने की डिग्री निम्न हैं; अभी डिग्री देखो फिर अस्त कैसे होते हैं इसको भी समझेंगे।
ग्रह | अस्त की डिग्री |
चंद्र | 12° |
मंगल | 17° |
बुध | 13° |
गुरु | 11° |
शुक्र | 09° |
शनि | 15° |
अस्त ग्रह का उपाय
उपाय करने से पहले लग्न कुंडली का विवेचन करना आना चाहिए क्योंकि अनजाने में मारक अस्त ग्रह के उपाय में रत्न पहनकर अपने जीवन में और परेशानियाँ खड़ी कर सकते हैं। जैसे आपने पढ़ा कि शुक्र बुध की युति लक्ष्मीनारायण राजयोग का निर्माण करती है और इसमें दोनों ही ग्रह सूर्य से अस्त हैं लेकिन लग्न कुंडली में शुक्र और बुध दोनों ही ग्रह मारक हैं किन्तु बुधादित्य राजयोग व लक्ष्मीनारायण योग का फल पाने की लालसा में शुक्र-बुध का उपाय करके गलती कर ली क्योंकि ये दोनों ही ग्रह कुंडली में मारक थे।
इसलिए अस्त ग्रह का कोई भी उपाय करने से पहले ये जरूर जान लेना चाहिए कि वो ग्रह हमारी कुण्डली में योगकारक है अथवा मारक। यदि कोई मारक ग्रह कुंडली में अस्त होता है तब तो ये हमारे लिए अच्छी बात है क्योंकि जो ग्रह हमको अशुभ फल देने वाला था वो अब अस्त होने की वज़ह से अपने अशुभ फल नहीं दे पाएगा क्योंकि अस्त ग्रह की परिभाषा ही यही है कि ग्रह किसी भी प्रकार का फल (शुभ या अशुभ) देने की अवस्था में नहीं रहा है।
लेकिन योगकारक ग्रह जो कुंडली के अनुसार अत्यधिक शुभ था या किसी राजयोग का निर्माण कर रहा था और वो अस्त हुआ है तो इस स्थिति में अस्त ग्रह का उपाय करने की आवश्यकता बढ़ जाती है। क्योंकि वो योगकारक ग्रह हमको शुभ फल देने आया था लेकिन सूर्य से अस्त होने की वज़ह से अब अपना शुभ फल नहीं दे पाएगा।
उपाय में सम्बन्धित ग्रह के वैदिक बीज मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। इसके साथ ग्रह के रत्न का चयन भी लाभकारी सिद्ध होता है लेकिन रत्न का चयन करते समय अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे ग्रह की चलित कुंडली में क्या स्थिति है आदि।
कुंडली में अस्त ग्रह कैसे देखें?
मानो कि उपर्युक्त ग्राफ कोई लग्न कुंडली है। इसमें सूर्य के साथ गुरु की युति पहले घर में है। अब जैसा कि हमने उपर देखा कि गुरु यदि सूर्य के 11° नजदीक आ जाएं तो अस्त हो जाते हैं। अब देखते हैं कि गुरु 11° नजदीक हैं या नहीं; अभी तक आपको ये तो पता चल गया होगा कि कुंडली का एक घर 30° का होता है इसलिए कोई भी ग्रह एक घर में 30° तक ही रहेगा और उसके बाद अगले घर में चला जाएगा। इस लग्न कुंडली में सूर्य पहले घर में 28° तक चल चुके हैं 2° और चलने के बाद सूर्य दूसरे घर में चले जायेंगे।
इसी तरह गुरु पहले घर में 10° तक का समय गुजार चुके हैं अभी इस घर में इनको 20° तक और रहना है उसके बाद अगले घर में जायेंगे। अब गुरु की अस्त अवस्था देखने के लिए सूर्य और गुरु के बीच का अन्तर देखना होगा अगर अन्तर 11° तक आया तो गुरु अस्त होंगे। अन्तर को देखने के लिए सूर्य की डिग्री में से गुरु की डीग्री को घटाना होगा 28° – 10° = 18° दोनों ग्रहों के बीच का अन्तर 18° का आया। चूँकि अन्तर 11° से उपर का आया इसलिए गुरु अस्त नहीं है।
अगर यहाँ गुरु की डिग्री 17 या इससे अधिक होती तो बीच का अन्तर 11° और इससे कम आता फिर ऐसा होने पर गुरु सूर्य से अस्त होते। अब ध्यान से समझना ये कोई आवश्यक नहीं कि सूर्य के साथ जो ग्रह होगा सूर्य उसी को अस्त कर सकते हैं। सूर्य जहाँ विराजित हैं वहीं से अगले वाले घर में बैठे ग्रह को भी अस्त कर सकते हैं और अपने से पीछे वाले घर में उपस्थित ग्रह को अस्त करने की क्षमता भी रखते हैं। कैसे? अब और ध्यान से समझना;
उपर्युक्त ग्राफ में सूर्य 25 डिग्री के साथ 6H में हैं और सप्तम भाव में सूर्य को जाने के लिए केवल 5° और चाहिए। इसी तरह सूर्य को शुक्र तक पहुँचने के लिए केवल 8° की आवश्यकता है क्योंकि शुक्र की 7H में 3° ही तो है। तो सूर्य और शुक्र के मध्य केवल 8° का ही तो अन्तर या फासला है। जबकि नियम ये कहता है कि शुक्र ग्रह कुंडली में सूर्य के 9 डीग्री तक पास या नजदीक आ जाएँ या फिर इन दोनों ग्रहों के बीच का फ़ासला या अन्तर या दूरी 9° की हो तो शुक्र ग्रह अस्त हो जायेंगे और यहाँ अन्तर 8° का आया जोकि 9° से कम का है इसलिए शुक्र अस्त हुए।
अब देखा ना आपने कि सूर्य बैठे 6H में हैं और 7H में बैठे हुए ग्रह को भी अस्त कर दिया। इसी तरह अपने से पीछे वाले घर में बैठे हुए ग्रह को भी अस्त कर सकते हैं। अब समझो कैसे? सूर्य उपर्युक्त ग्राफ में 9H में हैं जोकि 5° के हैं और मंगल 8H में 20 अंश के साथ हैं। तो मंगल और सूर्य के बीच 15° का फ़ासला है क्योंकि मंगल 10° और चलने के बाद 8H पार कर देंगे और सूर्य तक पहुंचने के लिए मंगल को 5° और चाहिए क्योंकि 10° तो 8H को छोड़ने के लिए और सूर्य तक पहुँचने के लिए 5° तो कुल दोनों ग्रहों के मध्य का फासला 15° तो ही हुआ।
नियम कहता है कि सूर्य-मंगल के मध्य की दूरी यदि 17° या इससे कम हो तो मंगल अस्त हो जाते हैं और ऐसा ही यहाँ हुआ कि अन्तर 17 अंश से कम का ही है। तो अब समझा ना आपने कि सूर्य ग्रहों को अस्त कैसे कर सकते हैं। अब जब कभी भी अस्त अवस्था देखनी हो तो सबसे पहले देखो की सूर्य के साथ कौनसा ग्रह है और अगला व पिछला घर देखो और डिग्री आपको पता ही हैं अन्तर निकालना आ ही गया। अगर निश्चित मापन में ग्रह आया तो अस्त वरना साथ होते हुए भी अस्त नहीं होते।
अस्त ग्रह की कुंडली
Example-1
जन्मतिथि | 06 September, 1993 |
जन्मस्थान | अहमदनगर, महाराष्ट्र |
जन्म समय | 11:15 AM |
उपर्युक्त कुंडली में मंगल, गुरु और शुक्र की सूर्य से दूरी निश्चित मापन से अधिक है इसलिए सूर्य से ये ग्रह अस्त नहीं है लेकिन सूर्य से बुध अस्त हैं क्योंकि सूर्य 11H में 19° चल चुके हैं और बुध 27° तो सूर्य को बुध तक पहुँचने में केवल 8 अंश और चलना पड़ेगा चूँकि सूर्य और बुध की आपस की दूरी केवल 8 अंश की है जोकि नियमानुसार 13° से कम है इसलिए बुध इस कुण्डली में अस्त हुए।
अब बुध इस कुंडली में योगकारक थे और बुधादित्य राजयोग का निर्माण भी कर रहे थे वो भी लाभ स्थान पर लेकिन अस्त होने की वज़ह से राजयोग विफल। अब यहाँ पर अस्त ग्रह का उपाय करना जरूरी हो जाता है। उपाय में सर्वप्रथम पन्ना धारण करें और बुध के वैदिक बीज मंत्र का जाप प्रतिदिन करे साथ में गणेश जी के सौम्य रूप की साधना करे या सामर्थ्य और परिस्थिति उचित हो तो उच्छिष्ट गणपति की साधना भी कर सकते हैं। अन्यथा सबकुछ भुला के गणेश जी का एकाक्षर बीज मंत्र ही काफी है बुध को जाग्रत करने के लिए।
Example-2
जन्मतिथि | 18 अप्रैल, 2022 |
जन्म समय | 02:38 PM |
जन्म स्थान | अलीगढ़, उ॰ प्र॰ |
ये आपके लिए छोड़ा है। अब आप कमेंट करके मुझे बताएं कि इस कुंडली में बुध अस्त हैं अथवा नहीं क्योंकि जभी तो मुझे पता चलेगा कि आपको मेरा बताया हुआ समझ में आ रहा है या नहीं।
निष्कर्ष
अस्त ग्रह के विषय में सारी जानकारी हांसिल की लेकिन सच में अस्त ग्रह का मतलब समझ आया क्या आपको? अब ध्यान से सुनो इंद्र धनुष जो बरसात के मौसम में अधिकतर देखा भी होगा आपने उसके सात रंग, सात तत्व और सात ही ग्रह। जब किसी व्यक्ति का जन्म होता है उस समय ब्रह्माण्ड में सूर्य के पास यदि कोई ग्रह होता है और वो निश्चित मापन के अनुसार हो तो वह अपने तेज को खो देता है अर्थात् उस अस्त हुए ग्रह का तत्व जन्मे व्यक्ति के शरीर में उपस्थित नहीं होता है जिससे कि सम्बन्धित ग्रह की रश्मियां जन्में व्यक्ति के शरीर में नहीं होती हैं।
इसका मतलब ये कि अगर मानो कि बुध ग्रह अस्त हुआ तो शरीर में बुध ग्रह का तत्व निष्क्रिय है अब बुध ग्रह की रश्मियां शरीर पर कोई प्रभाव नहीं दिखा पायेंगी अर्थात् अस्त ग्रह का मतलब हुआ कि वो ग्रह हमारे लिए अस्त है। रत्न या कोई भी उपाय करने से वो तत्व सक्रिय होगा जिससे कि उस ग्रह के हमको फल मिलेंगे। अब फल शुभ मिलेगा या अशुभ ये ग्रह के योगकारक और मारक होने पर निर्भर करता है। रत्न क्या है? रत्न क्या कोई जादू करेगा; रत्न बस सम्बन्धित ग्रह की रश्मियों को आप तक अधिक-से-अधिक पहुंचाने का कार्य करेगा।
- अस्त ग्रह को समझने के लिए Youtube वीडियो देखें।
विनम्र निवेदन
दोस्तों Ast Grah से संबंधित प्रश्न को ढूंढते हुए आप आए थे इसका समाधान अगर सच में हुआ हो और अस्त ग्रह का उपाय सच में समझ आया हो तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक महानुभाव तक पहुंचाने में मदद करिए ताकि वो सभी व्यक्ति जो ज्योतिषशास्त्र में रुचि रखते हैं, अपने छोटे-मोटे आए प्रश्नों का हल स्वयं निकाल सकें। इसके साथ ही मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए ताकि आपको सभी तथ्य समझ में आते चलें इसलिए यदि आप नए हो और पहली बार आए हो तो कृपया मेरी विनती को स्वीकार करें।
ज्ञानवर्धक लेख और बहुत ही स्पष्ट और सरल भाव में, धन्यवाद इस जानकारी के लिए ।
मुझे पढ़ने का शौक है साथ ही ज्योतिष की जिज्ञासा भी इसलिए ज्योतिष से सम्बन्धित आर्टिकल पढता हूँ और समझने की कोशिश करता हूँ ।
आपको पढ़ा अच्छा लगा।
पृथ्वीराज
धन्यवाद!