Aries Horoscope आपकी आक्रमकता के कारण सबकुछ पलट सकता है इसलिए समय रहते आपको अपने गुस्से पर काबु पाना होगा नहीं तो काम खराब हो सकता है। नमस्ते! रामराम, Whatever You Feel Connected With Me. तो चलिए शुरू करते हैं:-
विषय सूची
मेष राशि का चयन
Aries Horoscope मेष राशि मंगल ग्रह की है; मंगल की दो राशियाँ हैं एक मेष और एक वृश्चिक। मेष राशि में जन्में व्यक्ति का तत्व अग्नि होता है। मेष राशि तीस डिग्री की होती है प्रत्येक राशि तीस डिग्री की होती है कुल बारह राशियाँ होती हैं जिनके नाम इस प्रकार है मेष(Aries), वृष(Taurus), मिथुन(Gemini), कर्क(cancer), सिंह(Leo), कन्या(Virgo), तुला(Libra), वृश्चिक(Scorpio), धनु(Sagittarius), मकर(Capricorn), कुंभ(Aquarius), मीन(Pisces)।
तीन सौ साठ डिग्री का चक्कर
अगर बारह राशियों को तीस डिग्री से गुणा करें तो परिणाम तीन सौ साठ डिग्री आयेगा और किसी भी व्यक्ति के राशि का निर्धारण चंद्रमा के आधार पर होता है और चंद्रमा एक राशि में लगभग सवा दो दिन तक रहता है अर्थात् तीन सौ साठ डिग्री का चक्कर चंद्रमा लगभग अट्ठाइस दिन में पूर्ण कर लेता है या यूं कहें कि चंद्रमा पहले दिन से जिस राशि से चलेगा पुनः उसी राशि में पहुंचने में उसको 28 दिन का समय लगेगा।
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कुंडली में चंद्रमा का महत्व
इसलिए तो कहते हैं कि चंद्रमा का कुण्डली में सकारात्मक होना नितान्त आवश्यक है शायद इसलिए महादेव की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि चंद्रमा के आराध्य शिव जी है। आपको पता होगा रावण की कुण्डली जब दिखाई गई तो कहा था कि रावण तू सबकुछ बन सकता है पर विश्व विजेता नहीं, क्योंकि उसकी कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति सही नहीं थी इसलिए कदाचित रावण शिव का उपासक था और चंद्रमा का सम्बंध सीधे मन से होता है जिस व्यक्ति का मन स्थिर नहीं रहेगा वो व्यक्ति किसी भी कार्य को शायद ही अंतिम चरण तक पहुँचा पायेगा।
मेष राशि के अक्षर
ये तो समझ लिया कि मेष राशि अग्नि तत्व की होती है लेकिन जिनकी मेष राशि होती है उनके नाम का पहला अक्षर चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ होता है। मेष राशि में भी तीन नक्षत्र आते हैं एक अश्विनी जो केतु ग्रह का होता है और दूसरा भरणी जो शुक्र ग्रह का नक्षत्र है और तीसरा कृतिका जिसके स्वामी सूर्य ग्रह हैं।
मेष राशि के नक्षत्र
अश्विनी नक्षत्र
जिसकी आकृति कुछ इस प्रकार की होती है 0° से 13°20′(13 अंश 20 मिनट) तक का होता है।
भरणी नक्षत्र
कुछ इस प्रकार का दिखता है हमारे तारामंडल में जिसकी स्थिति 13°20′ से 26°40′ तक की होती है।
कृतिका नक्षत्र
कृतिका नक्षत्र जो 26°40′ से 30° तक का मेष राशि में होता है।
नक्षत्र स्पष्टीकरण
सीधे प्रकार से बताए तो जिन लोगों की मेष राशि है उनका नक्षत्र या तो अश्विनी होगा या फिर भरणी या कृतिका नहीं तो आप चेक कर लेना और समझाने का प्रयास करूँ तो चंद्रमा जब मेष राशि में होता है और मेष राशि में भी चंद्रमा की स्थिति 0° से 13°20′ तक की होगी तो उस समय जन्में व्यक्ति का नक्षत्र अश्विनी होगा, ठीक इसी प्रकार चंद्रमा की स्थिति मेष राशि में 13°20′-26°40′ तक की होगी तो उस समय जन्में व्यक्ति का नक्षत्र भरणी होगा और 27°40′-30° तक चंद्रमा की स्थिति मेष राशि में होने से व्यक्ति कृतिका के नक्षत्र में जन्म लेता है।
नक्षत्र निष्कर्ष
इस प्रकार मेष राशि में कृतिका नक्षत्र 26°40′-30° तक होता है और शेष 10° भाग वृष राशि में होता है (कृतिका कुल 13°20 का होता है), वृष राशि के बारे में अगली पोस्ट में इसी तरह डट के बात करेंगे। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अगर आपको ऐसा लगता है कि इसमें कुछ और भी जानकारी जोड़नी चाहिए तो आप कमेंट करके बतायें ताकि में वृष राशि में वो जानकारी भी शामिल कर सकूँ।
मेष राशि का स्वभाव
- मेष राशि में जन्में व्यक्ति अग्नि तत्व होने के कारण थोड़े गुस्सैल, आक्रामक और अड़ियल होते हैं।
- इनकी जन्म कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति अगर अच्छी है तो ये व्यक्ति जो ठान लेते हैं वो करके भी रहते हैं।
- अगर चंद्रमा डमाडोल है तो इन व्यक्ति का मन भी डमाडोल होता है जिस जोश से ये किसी भी कार्य को शुरू करते हैं उसी जोश के साथ ये उस कार्य को पूरा नहीं कर पाते बल्कि कार्य को बीच में छोड़ के कोई दूसरा कार्य हाथ में ले लेते हैं और फिर उस कार्य के साथ भी यही करते हैं मतलब मन में अशान्ति का कारण बना ही रहता है।
मेष राशि का चरित्र
- मेष राशि के जातक किसी भी कार्य को बहुत जल्दी-जल्दी करते हैं इसी जल्दबाज़ी के कारण कभी-कभी कार्य को बिगाड़ भी लेते हैं। इनका प्रतीक चिन्ह मेढ़ा होता है इसलिए ये बहुत ही आशावादी और आत्मकेंद्रित होते हैं साथ ही शिशु की तरह मासूम भी होते हैं। प्यार से इनसे कुछ भी करवा लो परंतु जिद या नीचे झुका के इनसे कोई भी कुछ भी नहीं करवा सकता है, इस राशि के जातक हमेशा अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीना पसंद करते हैं
- मेष राशि के जातक बहुत ही जल्दी किसी पर भी विश्वास कर लेते हैं और अंत में अधिकतर धोखा ही खाते हैं लेकिन मेष राशि में जन्में लोग अत्यधिक विश्वास के पात्र होते हैं- 100 में से 75 व्यक्ति ऐसे होते हैं जिन पर आंख बंद करके भरोसा किया जा सकता है।
मेष राशि का जीवनसाथी
मेष राशि वाले जातकों की कुण्डली में 7 वें घर में अगर मेष राशि होती है तो उनका जीवनसाथी अधिकतर साँवला ही होता है, जिस प्रकार से जातक तीव्र बुद्धिमता से संपन्न होते हैं उसी प्रकार से ये अपने जीवनसाथी को चाहते हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो अपने जीवनसाथी को छोटी से छोटी बात का बहुत ही बेहतरीन तरीके से स्पष्टीकरण देते हैं और अगर इनका जीवनसाथी इनकी किसी बात को इतनी जल्दी नहीं समझ पाते तो ये बहुत जल्दी भड़क भी जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद अपने आप सुलझ जाते हैं।
मेष राशि में नक्षत्रों का फल
मेष राशि अश्विनी नक्षत्र
- मेष राशि में अश्विनी नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण के अधिपति केतु-मंगल होते हैं जो जातक को अधिक उग्र, ऊर्जावान और निरंकुश बना देते हैं। इसलिए जातक अपने अनुसार ही कार्य और बात करना पसंद करता है।
- अश्विनी नक्षत्र दूसरे चरण के अधिपति केतु-शुक्र होते हैं जो जातक को अधिक आलसी बनाते हैं, किन्तु बुद्धि बहुत सार्प होती है इनकी।
- अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण के अधिपति केतु-बुद्ध होते हैं जो जातक के विचारों में शालीनता लाते हैं।
- चौथे चरण के अधिपति केतु-चंद्रमा होने से जातक को लेखन कला में प्रभुत्व हांसिल होता है इसके साथ-साथ जातक भ्रमणशील भी होता है।
मेष राशि भरणी नक्षत्र
- प्रथम चरण- [स्वामी: शुक्र-सूर्य] जिसके कारण व्यक्ति घमंडी, अहम वाला या चापलूसी करने वाला होता है।
- द्वितीय चरण- [स्वामी: शुक्र-बुद्ध] जातक या तो शिक्षक या फिर संचार के माध्यम से धन कमाता है।
- तृतीय चरण- [स्वामी: केवल शुक्र] जातक को बुद्धिमान, चालाक, विलासिता-प्रिय, जो कार्य कोई भी इतनी आसानी से ना कर पाये वो ये कर ले ऐसा बनाते हैं।
- चतुर्थ चरण- [स्वामी: शुक्र-मंगल] जिसके कारण व्यक्ति का अपने जीवनसाथी से मनमुटाव का कारण हमेशा बना रहता है, कभी-कभी मंगल की position कुण्डली में अच्छी ना होने से जातक का तलाक भी हो जाता है।
मेष राशि कृतिका नक्षत्र
मेष राशि में कृतिका नक्षत्र के पहले चरण के स्वामी सूर्य-गुरु होते हैं, जो जातक को शालीनतावान, गुणवान, सद्विचारों वाला, सामाजिक व दूसरों के प्रति सद्भावना रखने वाला बनाता है। और सूर्य-गुरु की स्थिति कुण्डली में अच्छी होने से जातक के सरकारी नोकरी के योग बनते हैं साथ में प्रतिष्ठावान व्यक्ति बनाते हैं अन्यथा व्यक्ति चरम रोग का शिकारी और परिवार से निर्धन भी हो सकता है।
बताने को तो और भी बहुत कुछ बताया जा सकता है लेकिन इतना एक सामान्य जानकारी रखने के लिये प्रयाप्त है बाकी अगली पेशकश वृष राशि के बारे में होगी जिसके लिए मेरा सम्पूर्ण प्रयास रहेगा कि वो आपको और पसंद आए।
तब तक के लिए नमस्ते! राम-राम! जय हिंद, जय भारत।
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