आयुर्वेद ज्योतिष उपाय करके ग्रहों को करें बलवान।

Ayurveda Astrology आज की जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज हम आयुर्वेद एवं ज्योतिष की बात करने जा रहें हैं और आयुर्वेद में ज्योतिष विज्ञान को जोड़ने का एक छोटा सा प्रयास करेंगे। जिस प्रकार वेबसाइट पर उपलब्ध सभी जानकारियाँ अपने आप में विशेष हैं वैसे ही आयुर्वेद ज्योतिष उपाय की यह जानकारी विशेष है क्योंकि इन उपायों से हम ग्रहों को तो बलवान कर ही सकते हैं साथ में कोई शारीरिक कष्ट होने पर या शरीर में कोई बीमारी विद्यमान रहने पर उसका भी निदान कर सकते हैं।

आयुर्वेद एवं ज्योतिष

Ayurveda Astrology ज्योतिष वेदों से ही हमें प्राप्त हुआ है बल्कि वेदों की आँखों की संज्ञा भी ज्योतिष विज्ञान को ही प्राप्त है और आयुर्वेद भी वेदों का ही अंग है तो अगर हम आयुर्वेद एवं ज्योतिष विज्ञान को आपस में मिला दें तथा उसके माध्यम से हम कोई उपाय करें तो निश्चय ही अमुक कार्य शीघ्रता से सफल होता है। तो आज हम ऐसी आयुर्वेदिक चीजों के उपर चर्चा करेंगे जिनका यदि आप नित्य सेवन करते हैं तो उस ग्रह को बल मिलेगा और आपके शरीर में उस ग्रह से संबंधित कोई कष्ट चल रहा है तो उसका निदान होगा या फिर ये समझ लीजिए कि शारीरिक कष्ट होने वाला ही नहीं है।

प्रयोग से पहले ध्यान

सर्वप्रथम हमको हमारी कुंडली में यह देखना है कि कौन-से ग्रह की महादशा और अंतर्दशा चल रही है क्योंकि सबसे अधिक प्रभाव हमारे जीवन में इन्हीं दशाओं का होता है। प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म दशा, प्राण दशा ये जो छोटी दशाएं होती हैं क्योंकि इनकी समयावधि लघु होती है इसलिए इनका प्रभाव कम होता है। कम समय के लिए हमारे उपर वो ग्रह असर करता है तो उतना अधिक प्रभाव हमारे उपर नहीं हो पाता मुख्य जो प्रभाव होता है वो महादशा और अंतर्दशा का ही होता है क्योंकि उस समयावधि पर ग्रह सबसे अधिक प्रभावशाली होता है और हमको सर्वाधिक प्रभावित भी करता है।

शरीर में अगर कोई कष्ट वाली परिस्थिति होगी या कोई राजयोग वाली परिस्थिति होगी लेकिन किसी भी परिस्थिति का निर्माण करने के लिए ग्रह को समय चाहिए होता है जोकि उनको महादशा और अंतर्दशा में मिल जाता है इसलिए हम कहते हैं कि महादशा और अंतर्दशा सबसे अधिक जीवन पर प्रभाव डालती हैं तथा इन्हीं दशाओं को ध्यान में रखते हुए हम ग्रह को बलवान कर सकते हैं लेकिन जिस ग्रह की महादशा या अंतर्दशा चल रही है वो ग्रह योगकारक होना चाहिए।

योगकारक का मतलब आपकी कुंडली में अच्छे परिणाम देने वाला होना चाहिए। अब आपने ये भी देख लिया कि ग्रह अच्छे परिणाम देने वाला है यानि कि वो आपको सकारात्मक परिणाम ही देगा फिर आपने अंश देखना है, अंश में आपने देखा कि उसमें बल नहीं है तो आप इस उपचार से इन आयुर्वेदिक तरीकों से उस ग्रह को बलवान कर सकते हैं। मन्त्रों और रत्नों के माध्यम से भी बलवान कर सकते हैं। सूर्य से अस्त होने पर; अस्त ग्रह शून्य होता है वह कोई भी परिणाम नहीं दे सकता है। कुलमिलाकर किसी भी परिस्थिति में इन आयुर्वेद ज्योतिष उपाय से ग्रह को बल दे सकते हैं बशर्ते ग्रह योगकारक होना चाहिए।

अस्त ग्रह क्या है?

  • दैनिक खान-पान से इस पहलू को ना जोड़ा जाए इसलिए आपकी जो भी खाने-पीने की प्रक्रिया हो उसमें कोई भी बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है।

बीज मंत्र की भूमिका

बीज मंत्र सदा शुभ; बीज मंत्र से ऐसा नहीं होता कि वो ग्रह शांत हो जाएगा या गलत परिणाम देने लगेगा। बीज मंत्र करने से ग्रह शुभ फल ही देगा भले ही वो ग्रह योगकारक हो या मारक तो बीज मंत्र तो रामबाण चीज़ है। बीज मंत्र से मन एकाग्र होता है, मन स्थिर होता है और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है कि शरीर के अंदर जो हार्मोंस है उनका संतुलन होता है, हमारे चक्र संतुलित होते हैं और चक्रों से संबंधित जितनी भी चीजें हैं, इससे दूसरों का जो संबंध है उससे सकारात्मक परिणाम मिलते हैं साथ-साथ में शरीर का सिस्टम भी सही रहता है और हेल्थ समस्या भी शरीर में नहीं रहती है।

आयुर्वेद में ज्योतिष

हम बीज मन्त्रों से सभी चीजों का समाधान कर सकते हैं लेकिन जैसे मान लीजिए रत्न हैं जैसे ही रत्न हम धारण करते हैं तो योगकारक ग्रह जो होता है वो और बलशाली होता है और अधिक अच्छे फल देता है। ठीक इसी प्रकार से आयुर्वेद ज्योतिष उपाय ( Ayurveda in Astrology ) को यदि हम प्रयोग करते हैं और जैसे-जैसे ग्रहों की दशाएं परिवर्तित होती है उसी के अनुरूप प्रयोग करते हैं तो ग्रह बलशाली होता है और हमको उस ग्रह से सकारात्मक शुभ फल मिलते हैं, शारीरिक कष्ट नहीं होता है तथा कोई हारी-बीमारी यदि लगी हुई है तो वो भी हमारे पास से चली जाती है अर्थात्‌ वो बीमारी हमसे दूर हो जाती है।

इसका सीधा संबंध हमारे शरीर के हार्मोनिक सिस्टम से होता है और हार्मोंस ग्रंथियों से संबंधित होते हैं; वो ग्रंथियां जो हमारे चक्रों से जुड़ी हैं, वह चक्र जिसका संबंध सीधे हमारे ग्रह-नक्षत्रों से होता है और यह सभी चीजें एक-दूसरे से वैज्ञानिक रूप से जुड़ी हुईं हैं। अगर हम कोई भी उपाय करके किसी ग्रंथी को सही करते हैं या सक्रीय करते हैं तो उससे संबंधित ग्रह स्वतः ही सही हो जाता है क्योंकि अमुक ग्रह का संबंध उस ग्रंथी से ही होता है और उस ग्रंथी से स्रावित होने वाले हार्मोन हमारे शरीर को संतुलित और सही रखते हैं तथा परिणामस्वरूप शरीर में कोई भी विकार नहीं आता है।

तो चलिए सिद्धांत बहुत हुआ अब उपाय समझते हैं, दरअसल सिद्धांत पर चर्चा करना भी जरूरी था क्योंकि कोई भी उपाय करने से पहले मस्तिष्क में एक रूपरेखा तैयार होनी चाहिए और क्यों? क्या? कैसे? के सवाल नहीं होने चाहिए; तभी कोई भी उपाय शीघ्रता से संपन्न होता है।

आयुर्वेद ज्योतिष उपाय {Ayurveda Astrology}
ग्रहवस्तु
सूर्यमैथी
चंद्रदूध
मंगलगुड़
बुधसौंप या तुलसी
गुरुहल्दी
शुक्रशहद
शनिअलसी के बीज
आयुर्वेद एवं ज्योतिष {Ayurveda in Astrology}
  1. दूध सभी के साथ है;
  2. सभी वस्तुओं का सेवन रात में सोने से पहले है;
  3. मात्रा का ध्यान रखें;
  4. मौसम परिवर्तन का भी ध्यान रखें;
  5. बुध योगकारक हों या मारक लेकिन तुलसी के दो पत्तों का सेवन प्रत्येक दिन कर सकते हैं।
  • प्रयोग विधि :- मानो कि मंगल कुंडली में योगकारक हैं पर अस्त हैं या बलहीन हैं या फिर किसी दोष का निर्माण कर रहें हैं जैसे अंगारक योग या बलवान ही क्यों ना हों तो गुड़ का सेवन सर्दियों में 30 ग्राम के आसपास और गर्मियों में सरसों के दाने के बराबर शाम को खाना खाने के एक घण्टे बाद या सोने से लगभग एक घण्टे पहले दूध के साथ गुड़ को लेने से मंगल बलवान होते हैं। यह जब तक करनी है जब तक मंगल की महादशा या अंतर्दशा चलेगी। इसी तरह सभी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए; असमंजस की अवस्था में कमेंट करें मैं सभी वस्तुओं की प्रयोगविधि को बताऊँगा।

निष्कर्ष

ये तो ग्रहों को बलवान करने के उपाय हुए लेकिन कुछ चीजें इसमें ऐसी हैं जिनका प्रयोग हम विशेष परिस्थिति में नहीं कर सकते हैं जैसे यदि डायबिटीज़ होने पर शहद का इस्तेमाल नहीं कर सकते फिर चाहें शुक्र योगकारक ही क्यों ना हों, इसी तरह हल्दी का सेवन अधिक मात्रा में नहीं कर सकते लेकिन सरसों के दाने के बराबर प्रतिदिन ली जा सकती है। इसी तरह गुड़ को गर्मियों में अधिक मात्रा में प्रतिदिन नहीं लिया जा सकता मुकाबले सर्दियों के; ऐसे ही सौंप को सर्दियों में नहीं ले सकते तथा प्रेग्नेंसी में भी अलसी, हल्दी और गुड़ को त्यागना ही उचित होता है।

कुलमिलाकर कहने का मतलब केवल इतना है कि वस्तुओं का प्रयोग करने से पहले अपनी स्थिति और वस्तु के अनुरूप मौसम तथा वस्तु की मात्रा का विशेष ध्यान रखना होता है। यदि हल्दी का सेवन प्रतिदिन किया जाए बृहस्पति के कुंडली में योगकारक होने पर, तब भी हल्दी के प्रतिदिन सेवन से एक समय बाद दिल से संबंधित समस्या होती ही है। वो कहते हैं ना अति हर चीज़ की नुकसानदेह है और ये सत्य है। इसलिए प्रारम्भ में ही कहा कि योगकारक ग्रह की महादशा या अंतर्दशा में ही सम्बन्धित वस्तु का सेवन करना है वो भी वस्तु के गुण व अवगुण को जानकर।

विनम्र निवेदन

दोस्तों आयुर्वेद एवं ज्योतिष (Ayurveda Astrology) से संबंधित प्रश्न को ढूंढते हुए आप आए थे इसका समाधान अगर सच में हुआ हो तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक महानुभाव तक पहुंचाने में मदद करिए ताकि वो सभी व्यक्ति जो ज्योतिषशास्त्र में रुचि रखते हैं, अपने छोटे-मोटे आए प्रश्नों का हल स्वयं निकाल सकें। इसके साथ ही मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए ताकि आपको सभी तथ्य समझ में आते चलें इसलिए यदि आप नए हो और पहली बार आए हो तो कृपया मेरी विनती को स्वीकार करें।

  • ज्योतिष सीखने के लिए YouTube चैनल देखें।

नमस्ते! मैं ज्योतिष विज्ञान का एक विद्यार्थि हूँ जो हमेशा रहूँगा। मैं मूलतः ये चाहता हूँ कि जो कठिनाइयों का सामना मुझे करना पड़ा इस महान शास्त्र को सीखने के लिए वो आपको ना करना पड़े; अगर आप मुझसे जुड़ते हैं तो ये मेरा सौभाग्य होगा क्योंकि तभी मेरे विचारों की सार्थकता सिद्ध होगी।

शेयर करें:

4 thoughts on “आयुर्वेद ज्योतिष उपाय करके ग्रहों को करें बलवान।”

  1. श्रीमान आपने अलसी का इस्तेमाल दूध के साथ मुझे बताया लेकिन इस पोस्ट में लिखा है की इस ग्रह की दशा या अंतर्दशा में ही उससे संबंधित वस्तु का इस्तेमाल करना है यहां थोड़ा मेरा कन्फ्यूजन दूर करे

    Reply
    • महोदय, ये लेख सार्वजनिक है यदि कोई मुझसे बिना ज्योतिष परामर्श लिए ये उपाय अपने ऊपर लागू करता है तो कोई नुकसान ना हो इसलिए ज़न समुदाय को ध्यान में रखते हुए मैं लेख को प्रकाशित करता हूँ लेकिन आपको जो बताया है वो व्यक्ति विशेष है अर्थात्‌ आपकी कुंडली का सम्पूर्ण अध्ययन करके आपके अनुसार जो बताया है वो उचित है; आप परेशान ना होइए सब सही है।

      Reply

Leave a Comment

नमस्कार एल. के एस्ट्रोलॉजी वेबसाइट में आपका स्वागत है। यह वेबसाइट आपको ज्योतिष विद्या एवं उससे होने वाले लाभ के बारे में एक विस्तृत जानकारी प्रदान करती है, जिसके माध्यम से आप अपने जीवन की बाधाओं को आसानी से दूर कर सकते हैं।

हमसे जुड़ें

आप हमसे अब सोशल मीडिया के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं।