Beej Mantra प्रभावशाली कौनसा होता है? वैदिक या तांत्रिक आखिर हमें किस प्रकार के मंत्रों का जाप करना चाहिए; क्या ग्रहों के वैदिक बीज मंत्र निरर्थक हैं अगर सत्य में ऐसा है तो उनका विधान ही क्यों उपलब्ध है? आदि ऐसे ही महत्वपूर्ण सवालों को लेकर आज मैं इस विषय को लेकर उपस्थित हुआ हूँ। सबसे पहले हम 9 ग्रहों के वैदिक बीज मंत्र और तांत्रिक मंत्र क्या हैं वो समझेंगे फिर उनका विधान, उनका फल आदि सभी विषयों पर चर्चा करेंगे। तो चलिए प्रारम्भ करें:-
विषय सूची
बीज मंत्र का अर्थ
Beej Mantra अर्थात् किसी भी उद्भव कार्य में जो सबसे पहले क्रिया हो वही बीज कहलाती है। उदाहरणार्थ पेड़ का होना या दिखना बहुत बाद की क्रिया है किन्तु उससे पहले बीज ही होता है जो शनैः शनैः पनपता है। यानी की बीज मूल है। बीज मंत्र को एकाक्षर मंत्र भी कहते हैं। इस प्रकार जिस मंत्र में एक विशेष अक्षर हो जो बीज अक्षर हो; उस बीज अक्षर की उपस्थिति से ही वह मंत्र बीज मंत्र कहलाता है।
जैसे ओउम् शं शनैश्चराय नमः इस मंत्र में शं बीज अक्षर है और इसकी उपस्थिति से ही यह मंत्र बीज मंत्र कहलाएगा। बाकी इस मंत्र का मतलब निकालें तो शं शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और ओउम् की अपनी एक अलग विशेष महिमा है, इस प्रकार मतलब हुआ कि जपने वाला व्यक्ति शनि देव को नमन करता है।
बिना मंत्र के अर्थ को जानें उसके फल को नहीं पाया जा सकता है। इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए मंत्र योग संहिता में बताया गया है कि मंत्रार्थ भावनं जपः अर्थात् मंत्र के भाव को जानकर ही जप करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से ही उसका अभीष्ट फल जातक को मिलता है। मनः तारयति इति मंत्रः अर्थात् मन को तारने की तथा मंत्र में है। मन को तारना मतलब इसकी भिन्न-भिन्न व्याख्या हो सकती है लेकिन एक ज्योतिषी को चाहिए कि वो अमुक व्यक्ति की परिस्थिति को समझकर मंत्र का अर्थ और व्यक्ति का भावार्थ समयानुसार परिवर्तित कर दे क्योंकि जो समय को समझे वही ज्योतिषी है।
वैदिक मंत्र क्या है?
वैदिक शास्त्र और वैदिक संहिताओं की ऋचाओं में जो श्लोक उपस्थित हैं वही वैदिक मंत्र हैं किन्तु सभी श्लोक मंत्र नहीं होते हैं। कुलमिलाकर संक्षेप में, वैदिक मंत्र का जीवन में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और ना ही इनके जाप के लिए किसी विशेष विधान की आवश्यकता होती है तथा ये पूर्णतया गृहस्थ जीवन में रहते हुए सम्पन्न करने के लिए ही होते हैं। विशेषतः यहाँ प्रेम और भावना के माध्यम से गुहार लगाने का कार्य किया जाता है। जाकि जैसी भावना भई, प्रभु की वैसी लीला भई।
तांत्रिक मंत्र क्या होते हैं?
ये मंत्र विशेष होते हैं और विशेष विधान से ही संपन्न होते हैं। इन मंत्रों के जाप में लेश मात्र भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाती है। ऐसा होने पर मंत्र खंडित हो जाता है और दुष्परिणाम में कुछ भी अहित हो जाता है जिसको बताया नहीं जा सकता है क्योंकि जिसके साथ ऐसा होगा उसी को इसके दुष्परिणाम ज्ञात होंगे। किन्तु तांत्रिक मंत्र वैदिक मन्त्रों की अपेक्षा जल्द ही सिद्ध हो जाते हैं और प्रभावकारी भी होते हैं लेकिन इनकी शक्ति भी कार्य पूर्ण होते ही समाप्त हो जाती है।
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बीज मंत्र का जाप कैसे करें?
वैदिक, तांत्रिक या शाबर मंत्र ये निर्भर करता है कि किस प्रकार का मंत्र है और इसका वक्ता किस उद्देश्य से बता रहा है। यहाँ मैं सभी प्रकार के मंत्रों को जपने का विधान नहीं बता रहा हूँ क्योंकि वो मेरा विषय भी नहीं और ना ही सभी प्रकार के मंत्र जपने का विधान मुझे पता है। इस विषय में हम केवल 9 ग्रहों के जाप कैसे करें? इसके विधान पर ही चर्चा करेंगे क्योंकि मैं वही मंत्र बताता हूँ जो स्वयं मैंने सिद्ध किए हैं।
मासिक धर्म में पूजा कैसे करें।
जिस प्रकार मंत्र का विधान निम्नलिखितानुसार है ठीक उसी प्रकार मासिक धर्म में भी पूजा करनी है। बस इस समय कुछ बातों का ध्यान रखना है जो हैं:-
- मंदिर वाले कमरे में जाप नहीं करना हैं;
- जप माला पर जाप नहीं करना है;
- रोज का पूजा वाला आसन प्रयोग नहीं करना है;
- दीपक प्रज्वलित नहीं करना है;
- अन्य किसी कमरे में मंत्र का मानसिक जाप करना है;
- धरती पर कोई अन्य आसन बिछाकर ही बैठना है।
ग्रहों के वैदिक मंत्र
सभी ग्रहों के बीज मंत्र होते हैं जिनको जपने से वह ग्रह प्रभावित होता है। अगर कोई मारक ग्रह है और उसके बीज मंत्र का जप करते हैं तो उसकी मारकता में कमी आती है, उसी तरह योगकारक ग्रहों का जप करने से उनकी योगकारकता में बढ़ोत्तरी होती है। किसी भी ग्रह का जाप उनके दिन में 108 बार ही जप करना है। किसी भी ग्रह का जाप उनके दिन से आरम्भ करें और दिन की शुरुआत अर्थात् सूर्योदय के पश्चात् मंत्र का जाप करें। केवल शनि, राहु और केतु देव का जाप शाम 6 बजे के बाद करें। निम्नलिखित सारणी को ध्यान से देखें:-
देव | बीज मंत्र | सिद्ध संख्या | शुभारंभ दिन | शुभारंभ पक्ष |
सूर्य का वैदिक मंत्र | ॐ घृणिः सूर्याय नमः | 7000 | रविवार | शुक्ल |
चंद्र का वैदिक मंत्र | ॐ सों सोमाय नमः | 11000 | सोमवार | शुक्ल |
मंगल का वैदिक मंत्र | ॐ अं अंगारकाय नमः | 1000 | मंगलवार | शुक्ल |
बुध का वैदिक मंत्र | ॐ बु बुधाय नमः | 9000 | बुधवार | शुक्ल |
गुरु का वैदिक मंत्र | ॐ ब्रं बृहस्पतेय नमः | 19000 | गुरुवार | शुक्ल |
शुक्र का वैदिक मंत्र | ॐ शुं शुक्राय नमः | 16000 | शुक्रवार | शुक्ल |
शनि का वैदिक मंत्र | ॐ शं शनैश्चराय नमः | 23000 | शनिवार | कृष्ण |
राहु का वैदिक मंत्र | ॐ रां राहवे नमः | 18000 | शनिवार | कृष्ण |
केतु का वैदिक मंत्र | ॐ कें केतवे नमः | 17000 | शनिवार या मंगलवार | कृष्ण |
जपने का तरीका
- ग्रहों के सभी वैदिक बीज मन्त्रों का जाप रूद्राक्ष की माला पर कर सकते हैं;
- जप करने से पहले रूद्राक्ष की माला को प्राण-प्रतिष्ठित कर लें तथा जिस माला पर जप करें उस माला को कभी धारण न करें;
- माला को शुद्ध करने के पश्चात् गौमुख के अंदर ही रखें और जाप भी उसी में हाथ डालकर करें;
- जप माला पर परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य किसी की नजर ना पड़े;
- जप माला को 3 महीने के अन्तराल में शुद्ध करते रहें;
- सूतक-पातक में माला अशुद्ध हो जाती है इसलिए ऐसा होने पर उसको पुनः शुद्ध किया जाता है;
- लग्नेश और ईष्ट देव के बीज मंत्र का जप निरन्तर जीवन पर्यंत तक करें तथा इनके साथ-साथ महादशा और अंतर्दशा वाले ग्रह का जाप भी करें;
- बीज मंत्र प्रारम्भ करने के कम-से-कम 45 दिन पश्चात् ही असर दिखाता है और कभी-कभी मंत्र व्यक्ति की मनोदशा, वातावरण और अन्य तथ्यों पर भी निर्भर करता है कि वो कब फल देगा लेकिन किसी पर जल्दी तो किसी पर देर से, पर फल अवश्य देता है;
- बीज मंत्र जब तक सिद्ध नहीं होता तब तक एक भी दिन का गेप नहीं करना है अन्यथा छोड़ने के पश्चात् प्रारम्भ की गई बीज मंत्र की संख्या ही सिद्ध होने के आंकलन में आंकी जाएगी;
- किसी विषम परिस्थिति में फंसकर यदि एक दिन का गेप हो भी जाता है तो अगले दिन आप अमुक मंत्र को दो बार बोल सकते हैं अर्थात् 108 की जगह 216 बार (एक छूटे हुए दिन का और एक आज का) किन्तु एक दिन से अधिक का गेप नहीं चल सकता है।
विशेष
परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी सदस्य के लिए बीज मंत्र का जाप कर सकता है। उसके लिए जाप करने वाले व्यक्ति को संकल्प लेना पड़ता है और यह संकल्प प्रत्येक दिन बीज मंत्र करने से पहले लिया जाता है।
- संकल्प विधि:- सीधे हाथ में जल लेकर यह कहिए कि यह बीज मंत्र मैं इसके लिए कर रहा हूँ या कर रही हूँ और उस जल को मंदिर में छोड़ दीजिए और किसी पात्र में थोड़ी मात्रा में जल भी रखें और वो जल बीज मंत्र पूर्ण होने के बाद जिस व्यक्ति के लिए कर रहें हैं उसको पिला दीजिए; बस इतना ही करना होता है।
- अति विशेष:- बालकों के लिए कोई भी विधान उनकी माँ करें तो उचित रहता है लेकिन किसी कारणवश सम्भव ना होने पर कोई भी कर सकता है।
निष्कर्ष
जब से आप बीज मंत्र जपना आरम्भ करेंगे और जब तक ये सिद्ध नहीं होते, इस बीच के समयान्तराल में आपको ये सब व्यर्थ का कार्य लगेगा तथा इनको छोड़ने की स्थिति में आप आ जायेंगे किन्तु ध्यान रखना है कि बीज मंत्र आरम्भ करने के पश्चात् सिद्ध होने तक एक भी दिन नहीं छोड़ना है।
कोई भी मंत्र विशेष, महान, लघु या तुच्छ नहीं होता; सभी मंत्र अपने-आप में अहमियत रखते हैं। मंत्रों का फलना निर्भर करता है व्यक्ति की चित्तवृत्ति और मन की प्रखरता पर। बीज मंत्र मस्तिष्क के औरा को प्रखर और शुद्ध करने का कार्य करता है और जैसे-जैसे मंत्र को जपते जाते हैं वैसे-वैसे आस-पास का वातावरण शुद्ध होता जाता है। सकारात्मक लोग ही मिलते हैं और जीवन में नकारात्मक विचारों तथा व्यक्तियों का साथ दूर होता जाता है।
जब शं के साथ ओउम् का सम्फुट लगता है तो यह बहुत कुछ परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। जब हम प्रतिदिन शं शं शं 108 बार बोलते हैं तो एक विशेष प्रकार की ऊर्जा हमारे मस्तिष्क में पहुँचती है जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शं का केवल एक उदाहरण था सभी बीज मंत्र शरीर के किसी-न-किसी अंग को प्रभावित करते हैं लेकिन यह सभी ऊर्जा पहुँचती हमारे मस्तिष्क के माध्यम से ही है।
अगर किसी को यह क्रिया तुच्छ लगती भी है तो मेरा यह मानना है कि पहले तुच्छ में ही महानता हांसिल करनी चाहिए फिर बाद में यदि आवश्यक हो तो जिस मंत्र विधान की क्रिया को आप महान या विशेष समझते हैं उसको साधो किन्तु छोटे रूप में ही करना चाहिए। विशेष विधान का फल सुनने में तो आपको अच्छा लगता है और शायद इसलिए ही हम उस अमुक विधान की खोज में रहते हैं जिससे कि हमारा सबकुछ परिवर्तित हो जाए।
कुलमिलाकर अचानक ख्याली पुलाव के मुताबिक धन प्राप्त हो जाए। लेकिन अचानक (शॉर्टकट) जीवन में कुछ भी नहीं होता है। जिस विशेष विधान को पाने के लिए आप भटक रहें हैं उसके सम्पूर्ण करने में जो प्रक्रिया होती है उससे आप अनभिज्ञ हैं इसलिए ही भटकाव स्थिर है। खैर! ये विषय हमारा विशेष साधनाओं के बारे में नहीं है; नहीं तो इस विषय के संदर्भ में जितना बताया जाए उतना ही कम है इसलिए मैं अपने शब्दों को यहीं पर विराम देता हूँ।
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विनम्र निवेदन
दोस्तों Beej Mantra से संबंधित प्रश्न को ढूंढते हुए आप आए थे इसका समाधान अगर सच में हुआ हो तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक महानुभाव तक पहुंचाने में मदद करिए ताकि वो सभी व्यक्ति जो पूजा करने में रुचि रखते हैं, अपने छोटे-मोटे आए प्रश्नों का हल स्वयं निकाल सकें। इसके साथ ही मैं आपसे विनती करता हूँ कि यदि आप अपनी जन्म कुंडली का विवेचन स्वयं करना चाहते हैं तो कृपया कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए ताकि आपको सभी तथ्य समझ में आते चलें इसलिए यदि आप नए हो और पहली बार आए हो तो कृपया मेरी विनती को स्वीकार करें।
Excellent information in simple words very useful thanks for this article
Sir maine apni marzi se buddh ke beej mantra ka jaap kar diya hai jiske wajeh se mere sar main bharipan aur dimag kaam nahi kar raha hai. Please meri help ke kijiye
Ese kaise ho sakta hai,,,, ye jo aapne bataya bo negative hai and negative vedik beej mantra se kabhi nhi hota,,,, iska reason khuch aur hoga ☺️🙏