पाप कत्री योग से राजयोग भी फल नहीं दे पाता।

पाप कर्तरी योग क्या होता है?

Paap Kartari Yoga पाप अर्थात्‌ पापी ग्रह और कत्री या कर्तरी मतलब काटने वाला या कैंची ✂️ , इस प्रकार कहा जा सकता है कैंची की तरह काटने वाला पापी ग्रह इस योग को बनाता है। यह योग जब कुंडली में बनता है तो किसी-न-किसी योगकारक ग्रह के शुभ फलों को खा जाता है। तो चलिए पाप कर्तरी योग को विस्तार से समझते हैं।

पाप कर्तरी योग कैसे बनता है?

Paap Kartari Yoga कुंडली में जभी बनेगा जब कोई योगकारक ग्रह पापी ग्रहों के बीच में फस जाता है। लेकिन सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि पापी ग्रह कौनसे होते हैं क्योंकि तभी पाप कत्री योग समझ आएगा।

सौम्य ग्रहगुरू, चंद्र, शुक्र, बुध
क्रूर ग्रहमंगल, सूर्य
क्रूर+पापी ग्रह (ये दोनों होते हैं)शनि, राहु, केतु
Paap Kartari Yoga

उपर्युक्त सारणी से एक बात तो साफ होती है कि पापी ग्रह की श्रेणी में केवल शनि, राहु और केतु ही आते हैं। इसका मतलब ये तीनों ग्रह ही इस योग को बना सकते हैं। सटीक रूप से और कहा जाए तो केवल दो ही ग्रह बनायेंगे एक तो शनि और दूसरे राहु या केतु में से कोई भी हो सकते हैं।

नियम

  1. ये पापी ग्रह कुंडली में मारक होने चाहिए;
  2. पापी ग्रह के बीच में फसा हुआ ग्रह कुंडली में योगकारक होना चाहिए;
  3. पापी ग्रह का अंश बल अच्छा होना चाहिए;
  4. पापी ग्रह के बीच में फसा हुआ ग्रह शत्रु होना चाहिए;
  5. शनि सूर्य से अस्त ना हो।

मित्र ग्रह कौन-से हैं और शत्रु कौन-से इसका पता अब तक आपको चल गया होगा। अगर आप अभी भी यह सब नहीं जानते हो तो कृपया कुंडली कैसे देखें? सीरीज को प्रारम्भ से देखकर आइए ताकि आपको समझने में कोई भी परेशानी ना हो। तो चलिए पाप कर्तरी के इन नियमों को कुंडली का विश्लेषण करते हुए समझते हैं।

मकर लग्न में पाप कर्तरी योग

मकर लग्न में शनि लग्नेश होते हैं लेकिन फिर भी इस योग का निर्माण अपनी ही कुंडली में करते हैं। अभी देखना किस प्रकार मकर लग्न में ये इस योग का निर्माण करेंगे:-

Paap Kartari Yoga
  • नियम कहता है कि पापी ग्रह ही इस योग को बना सकते हैं लेकिन वो पापी ग्रह कुंडली में मारक होना चाहिए और उनके बीच में फसा हुआ ग्रह कुंडली में योगकारक हो और साथ में शत्रु पक्ष का भी हो।
  • अब देखो इस मकर लग्न की कुंडली में, यहाँ शनि 6H में है और राहु या केतु (दोनों में से कोई एक) 4H में है तथा इन दोनों ग्रहों के बीच में (5H) चंद्र हो या मंगल हो या दोनों ही हो तो ये योग बनेगा; अब समझो कैसे? ध्यान से समझना क्योंकि थोड़ा सा जटिल योग है ये।
  • नियम कहता है कि कुंडली का कोई भी योगकारक ग्रह जहाँ बैठा है उसके पीछे वाले घर में एक पापी ग्रह हो और उसके आगे वाले घर में भी पापी ग्रह हो लेकिन जो आगे-पीछे पापी ग्रह हो वो कुंडली में मारक हो।
  • अब राहु या केतु के 4H में होने की चर्चा करें तो दोनों ही ग्रह कुंडली के इस घर में मारक होंगे क्योंकि शत्रु की राशि में है। अब शनि की बात करें तो भले ही शनि लग्नेश हैं लेकिन 6H में जाने से मारक हो गए। इसलिए 4H में राहु हुए या केतु हुए, कोई भी हुआ दोनों ही मारक होंगे और 6H में शनि भी मारक होंगे।
  • अब 5H की बात करें तो इस घर में चंद्र हुए तो योगकारक होंगे क्योंकि चंद्र वृषभ राशि में उच्च के होते हैं। लेकिन मंगल यहाँ इसलिए योगकारक होंगे क्योंकि मंगल इस लग्न कुंडली में सम ग्रह होते हैं और उनकी placement अच्छी जगह 5H में होने की वज़ह से योगकारक हो गए।
  • बस नियम का पहला चरण पास हुआ कैसे? देखो—- शनि और राहु/केतु पापी ग्रह हैं तथा दोनों ही इन घरों में आने से कुंडली में मारक हुए; इनके बीच में आने वाला ग्रह योगकारक हैं और शत्रु भी हैं (शनि-राहु-केतु की चंद्र और मंगल से शत्रुता है)।
  • नियम का दूसरा चरण जो योग को पूर्ण रूप से बनायेगा वो ये कि राहु या केतु 4H में हो तो उनका अंश बल अच्छा हो वो मृतक अवस्था में ना हो इसी तरह शनि का भी अंश बल अच्छा हो और शनि सूर्य से अस्त भी ना हो।
  • अगर दूसरा चरण भी पास हुआ तो पाप कर्तरी योग पूर्ण रूप से बनेगा और यह योग चंद्र और मंगल की योगकारकता को खा जाएगा अर्थात्‌ जीवन में मिलने वाले चंद्र और मंगल के शुभ फलों को समाप्त कर देगा।

पाप कर्तरी योग भंग के नियम

  1. शनि अगर सूर्य से अस्त हुए तो नहीं बनेगा;
  2. योग का निर्माण करने वाले पापी ग्रहों में से एक भी ग्रह योगकारक हुआ तो भी नहीं बनेगा;
  3. पापी ग्रहों के बीच में अगर मित्र ग्रह आ जाए तो भी नहीं बनेगा (बुध, शुक्र के आने से);
  4. योग का निर्माण करने वाले ग्रह का अंश बल कम हुआ तो भी नहीं बनेगा।

निष्कर्ष

इस प्रकार इस पाप कर्तरी को योग बोलना अच्छा नहीं लगता, जब ये नकारात्मक रूप में कार्य करता है तो इसको दोष कहना उचित होगा और ये दोष ग्रहों की योगकारकता को तो समाप्त कर ही देते हैं लेकिन इसके साथ यदि कोई ग्रह राजयोग बना रहा हो तो उस राजयोग को भी जीवन में फलने नहीं देते है जैसे उपर्युक्त मकर लग्न के 4H में अगर चंद्र मंगल की युति हुई तो चंद्र मंगल लक्ष्मी योग बनेगा किन्तु कितना भी बड़ा योग हो पाप कर्तरी दोष के बनने से कोई भी राजयोग समाप्त हो जाता है।

पाप कर्तरी दोष के उपाय

  1. शनि और राहु (केतु हो तो केतु) का दान उनकी महादशा और अंतर्दशा आने पर;
  2. दोष को बनाने वाले ग्रह का बीज मंत्र का जाप जीवनभर;
  3. प्रत्येक शनिवार शनि देव के मंदिर जाकर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें;
  4. शनि स्तुति रोजाना शाम 6 बजे बाद;
  5. उड़ने वाले पक्षियों को कुछ भी खिलाए जैसे ₹5 की हल्दीराम भुजिया;
  6. जहाँ मछलियां हों वहाँ जाकर छोटी-छोटी आटे की गोलियां जिसमें नमक मिला हो खिलाएं (पहले दिन से ही हो सकता है ना खाएं लेकिन नियमित समय पर प्रतिदिन जाने पर वो दिन आ ही जाएगा जब से वो खाने के लिए आपका इंतजार करेंगी);
  7. अपने खाने में से एक रोटी निकाल के प्रतिदिन किसी बाहर के कुत्ते को खिलाएं।

विनम्र निवेदन

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