सिंहासन राजयोग बना भी है आज तक किसी का

Singhasan Yoga In Astrology राजा के तुल्य जीवन दिलाने वाला योग सिंहासन राजयोग जो बनता है मारक ग्रहों से और कुंडली के त्रिक भावों में सभी ग्रहों के आने से; जिस प्रकार 6-8-12 के मालिक जब 6-8-12 में ही बैठ जाते हैं तो विपरित राजयोग बनता है, ठीक कुछ इसी प्रकार यह सिंहासन राजयोग भी बनता है। नमस्ते! राम-राम Whatever you feel connected with Me. तो चलिए शुरू करते हैं कि ये राजयोग किस प्रकार बनता है और कब कार्य करता है:-

कुंडली में सिंहासन योग

Singhasan Yoga In Astrology सिंहासन योग में लग्न कुंडली के 2H,6H,8H और 12H को शामिल किया जाता है क्योंकि सिंहासन के जो चार पैर होते हैं वो लग्न कुंडली के इन घरों को सम्मिलित करने से बन जाते हैं। राहु-केतु छाया ग्रह होने से इस राजयोग में शामिल नहीं है, इसलिए लग्न कुंडली में वो किसी भी घर में हो कोई फर्क़ नहीं पड़ता है।

ज्योतिष सिंहासन योग

सिंहासन राजयोग में राहु-केतु को छोड़कर जितने भी ग्रह हैं वो सभी लग्न कुंडली के दूसरे घर में हो या छठे घर में हो या आठवें घर में हो या बारहवें घर में हो या इनमें से किन्हीं दो घरों में हों; कुलमिलाकर 2H-6H-8H-१२H में से किसी एक घर, दो घर, तीन घर या चारों घरों में राहु-केतु को छोड़ सभी ग्रह बैठ जाते हैं तो सिंहासन राजयोग बनता है।

सिंहासन राजयोग के प्रकार

सिंहासन राजयोग को दो भागों में बाँटा जा सकता है जोकि कुछ इस प्रकार है:-

  1. पहला जब लग्नेश लग्न कुंडली के दूसरे घर चला जाए और बाकी ग्रह चयनित घरों में कहीं विराजित हों तो इस प्रकार के राजयोग को सर्वशक्तिशाली सिंहासन राजयोग माना जाता है;
  2. लेकिन अगर लग्नेश लग्न कुंडली के दूसरे घर में ना जाए और 6H-8H-12H में हों तो इसे भी सिंहासन राजयोग का दूसरा प्रकार माना जाता है लेकिन पहले वाले प्रकार से थोड़ा कम असरदार होता है किन्तु प्रभावी ये भी अत्यधिक होता है।
Singhasan Yoga In Astrology
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उपर्युक्त सभी लग्न कुंडली सिंहासन राजयोग के उदाहरण हैं लेकिन इनमें सबसे दमदार राजयोग वह है जिसमें लग्नेश लग्न कुंडली के 2H में चले गये हैं। सिंहासन राजयोग को देखते समय आपको कुछ पहलुओं को ध्यान में अवश्य रखना है जिनका विवरण अग्रानुसार है:-

  1. सूर्य से कितने ग्रह अस्त हैं ये अवश्य देखना है;
  2. कितने ग्रहों के अंश बल कम हैं जैसे 1,2,3,27,28 या 29;
  3. लग्नेश भी अगर 6-8-12 में हो तब तो कोई बात नहीं लेकिन 2H में हों और नीच के ना हों तो आप उनका रत्न अवश्य धारण करें;
  4. इसी प्रकार ये देखना है कि 2H में कितने ग्रह हैं और वो योगकारक हैं अथवा मारक; योगकारक हैं पर नीच के नहीं तो भले ही उनका अंश बल अच्छा हो लेकिन फिर भी आप उनका रत्न धारण करिये;
  5. रत्न धारण करते समय चलित कुंडली को अवश्य देखना है।

योग को बलशाली करने के नियम

  1. लग्न कुंडली का विश्लेषण करने के पश्चात्‌ यदि आप रत्न धारण कर सको तो सबसे पहले रत्न ही धारण करो।
  2. सभी ग्रहों का बीज मंत्र सिद्ध करो।
  3. अमावस्या और पूर्णिमा को गाय को पाँच आटे के लौवा दो।
  4. मछलियों को नमकीन आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खिलाओ।
  5. अपने खाने में से शाम को प्रत्येक दिन एक रोटी बाहर के कुत्ते को खिलाओ।
  6. शाम 6 बजे के बाद क्रीं बीज अक्षर का जाप 108 बार प्रत्येक दिन।
  7. सिद्ध कुंजिक स्त्रोत का पाठ मात्र एक बार शाम को प्रत्येक दिन।

निष्कर्ष

Singhasan Yoga In Astrology जातक की कुंडली में सिंहासन योग बनना बहुत ही दुर्लभ है। साधारणता ये राजयोग बनता ही नहीं है क्योंकि कोई-न-कोई ग्रह अवश्य ही राजयोग के नियम से बाहर हो जाता है इसलिए 1000 कुंडलियों में किसी एक का यह राजयोग बन भी गया तो उसको लगभग 30 वर्ष तक कोई फल नहीं देता है। जातक को जीवन में संघर्ष करने के लिए छोड़ देता है और जब व्यक्ति संघर्षो से जुझते हुए किसी एक काम का चयन करता है तथा व्यक्ति की उम्र भी जब 30 वर्ष पार कर जाती है तो सिंहासन राजयोग कार्य करने लगता है लेकिन ध्यान देने योग्य बात ये है कि व्यक्ति को कुछ अवश्य करना होता है।

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ललित कुमार

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