How to read Kundli in Hindi के इस लेख में आपको कुण्डली पढ़ने की बेसिक जानकारी मिलेगी नमस्ते! राम-राम Whatever you feel connected with me. मैं ललित कुमार स्वागत करता हूँ आपका इस सिरीज में। आरम्भ करने से पहले मैं कहना चाहूँगा कि आप अगर ज्योतिष को दिल से समझना चाहते हैं तो इस सिरीज को प्रारम्भ से पढ़ कर आइए ताकि आपको सब कुछ समझ में आता चले।
विषय सूची
कुंडली में 12 राशियाँ (12 Rashiya)
How to read Kundli in Hindi के इस लेख में सबसे पहले हम कुंडली में 12 राशियाँ (12 Rashiya) क्या होती हैं इसका वर्णन करेंगे। कुल 12 राशियाँ होती हैं, इनको आपको याद करना पड़ेगा; बिना 12 राशियों को याद किए, आप लग्न कुंडली को पढ़ ही नहीं सकते हैं।
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि सम्पूर्ण ज्योतिष 12 राशियाँ, 12 भाव, 27 नक्षत्र और 9 ग्रहों पर टिका हुआ है।
12 Rashiya
स्वामी
तत्व
1) मेष
मंगल
अग्नि
2) वृषभ
शुक्र
पृथ्वी
3) मिथुन
बुध
वायु
4) कर्क
चंद्र
जल
5) सिंह
सूर्य
अग्नि
6) कन्या
बुध
पृथ्वी
7) तुला
शुक्र
वायु
8) वृश्चिक
मंगल
जल
9) धनु
गुरु
अग्नि
10) मकर
शनि
पृथ्वी
11) कुंभ
शनि
वायु
12) मीन
गुरु
जल
#jyotish
ये जो 12 Rashiya हैं इन्हीं के नंबर आपकी लग्न कुंडली में लिखे होते हैं जैसे 1 नंबर यानि कि मेष राशि, 8 नंबर यानि वृश्चिक राशि।
लग्न कुंडली में कुल 12 घर होते हैं जिसको हम लग्न चक्र भी कह सकते हैं। कुंडली का सम्पूर्ण चक्र 360° का होता है, इसलिए कुंडली का एक घर 30° के बराबर होता है।
इसी प्रकार एक राशि भी 30° की होती है, कुल 12 Rashiya होने से लग्न चक्र 360° का पूर्ण हो जाता है।
राशि के नक्षत्र
How to read Kundli in Hindi प्रत्येक राशि के नक्षत्र तीन होते हैं अर्थात् एक राशि में तीन नक्षत्र आते हैं जिनका विवरण कुछ इस प्रकार है:-
1) मेष राशि के नक्षत्र
अश्विनी, भरणी, कृतिका
2) वृषभ राशि के नक्षत्र
कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा
3) मिथुन राशि के नक्षत्र
मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु
4) कर्क राशि के नक्षत्र
पुनर्वसु, पुष्या, आश्लेषा
5) सिंह राशि के नक्षत्र
मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी
6) कन्या राशि के नक्षत्र
उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा
7) तुला राशि के नक्षत्र
चित्रा, स्वाति, विशाखा
8) वृश्चिक राशि के नक्षत्र
विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा
9) धनु राशि के नक्षत्र
मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा
10) मकर राशि के नक्षत्र
उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा
11) कुंभ राशि के नक्षत्र
धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद
12) मीन राशि के नक्षत्र
पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती
#lalitkumar
ये जो लिखा हुआ है कि मेष राशि के नक्षत्र x,y,z ये दरअसल मेष राशि में आने वाले नक्षत्र हैं;जिस राशि के आगे जो नक्षत्र लिखे हैं वो नक्षत्र उस राशि में आते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि एक नक्षत्र दो राशियों में कैसे आ सकता है जैसे कृतिका नक्षत्र मेष राशि में भी है और वृषभ राशि में भी है। फिलहाल आप आसान भाषा में ये समझो कि एक नक्षत्र के चार चरण होते हैं अर्थात् सीधे-सीधे कहा जाए तो एक नक्षत्र के चार बराबर-बराबर हिस्से।
अब एक राशि में केवल 9 हिस्से आते हैं और एक नक्षत्र में चार हिस्से होते हैं। तो जैसा उपर लिखा है कि मेष राशि में अश्विनी, भरणी और कृतिका नक्षत्र आते हैं तो इसका मतलब ये कि अश्विनी नक्षत्र के चारों हिस्से या चरण मेष राशि में आते हैं और भरणी नक्षत्र के भी चारों चरण मेष राशि में आते हैं; ठीक इसी प्रकार कृतिका नक्षत्र का एक हिस्सा या एक चरण या प्रथम चरण मेष राशि में आता है शेष 3 चरण वृषभ राशि में आते हैं क्योंकि एक राशि में केवल 9 हिस्से या चरण ही तो आते हैं।
एक चरण 3°20′ का होता है और एक नक्षत्र 13°20′ का होता है। एक राशि में 9 हिस्से आते हैं एक हिस्सा 3°20′ का तो 3°20′ × 9 = 30° = एक राशि = कुण्डली का एक घर अब आया समझ नहीं आया तो बार-बार पढ़ो समझ आ जाएगा फिर भी ना आए तो कमेंट करना।
मैं हमेशा आपकी सेवा में तत्पर हूँ, और ज्यादा माथा-पच्ची लगे तो अभी आरम्भ में आप बेसिक में इतना ही सीखो, आगे चलकर स्वतः आपको समझ आ जाएगा कि ये सब चंद्रमा की चाल की गणना है। साथ-साथ ये भी समझ आ जाएगा कि चंद्र कुंडली का क्या महत्व है, आपने अगर Part-6 पढ़ा होगा तो उसमें कुछ हद तक समझाने का प्रयास किया है।
नक्षत्र के स्वामी
नक्षत्र
स्वामी
कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा
सूर्य
श्रवण, रोहिणी, हस्त
चंद्र
चित्रा, धनिष्ठा, मृगशिरा
मंगल
आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती
बुध
पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, पुनर्वसु
बृहस्पति
पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, भरणी
शुक्र
उत्तराभाद्रपद, पुष्य, अनुराधा
शनि
स्वाति, शतभिषा, आर्द्रा
राहु
अश्विनी, मघा, मूल
केतु
#horoscope
ग्रहों की प्रकृति और स्वभाव
ग्रह
प्रकृति
स्वभाव
सूर्य
क्रूर
स्वतंत्र, न्यायप्रिय
चंद्र
सम
महत्वकांक्षी
मंगल
क्रूर
पराक्रमी
बुध
सम
बालकों सा स्वभाव
गुरु
शुभ
सत्य की पकड़
शुक्र
शुभ
ऐश्वर्य की चाह
शनि
पापी
दार्शनिकता
राहु
पापी
गहन अध्ययन
केतु
पापी
छलावा, जल्दबाज़ी
@lalitkumar
बुध = बुध ग्रह को कई ज्योतिषी सम ग्रह की स्थिति में रखते हैं और कई ज्योतिषी बुध ग्रह को जब शुभ मानते हैं जब बुध के साथ किसी शुभ ग्रह की युति हो अन्यथा पापी या क्रूर ग्रह की युति के साथ बुध ग्रह की प्रकृति को भी वैसा ही मानते हैं।
सूर्य-मंगल = सूर्य-मंगल को कई ज्योतिषी क्रूर की श्रेणी में रखते हैं और अन्य पापी ग्रह की श्रेणी में।
चंद्र = शुक्ल पक्ष का चंद्रमा शुभ प्रकृति का माना जाता है और कृष्ण पक्ष का चंद्रमा अशुभ या पापी ग्रह की श्रेणी में आता है।
पापी/शुभ/क्रूर/सम = इन सब का मतलब ये नहीं कि शुभ ग्रह की श्रेणी में गुरु-शुक्र के आ जाने से लग्न कुंडली में शुभ फल देते हैं। कोई भी ग्रह कब अच्छा परिणाम देगा और कब गलत इसका निर्धारण केवल लग्न कुंडली का विश्लेषण करने के पश्चात् ही पता लगाया जा सकता है।
ग्रहों के अंश बल
अंश
अवस्था
बल
0-6
बाल्यावस्था
25%
6-12
युवावस्था
50%
12-18
पूर्ण युवा
100%
18-24
प्रौढ़ावस्था
50%
24-30
वृद्धावस्था
25%
ग्रहों की उच्च-नीच राशियाँ
ग्रह
उच्च
नीच
सूर्य
मेष
तुला
चंद्र
वृषभ
वृश्चिक
मंगल
मकर
कर्क
बुध
कन्या
मीन
गुरु
कर्क
मकर
शुक्र
मीन
कन्या
शनि
तुला
मेष
राहु
वृषभ, मिथुन
वृश्चिक, धनु
केतु
वृश्चिक, धनु
वृषभ, मिथुन
ग्रहों की मित्रता और शत्रुता
देव
सम
दानव
सूर्य
बुध
शुक्र
चंद्र
शनि
मंगल
राहु
बृहस्पति
केतु
देव ग्रह और दानव ग्रह; इसका मतलब ये नहीं कि शुक्र के अधीन लग्न कुंडली दानवों सा व्यवहार करेगी। बस आप ये समझ के चलो की कुछ ग्रहों को देव की श्रेणी में रखा है और कुछ ग्रहों को दानवों की श्रेणी में और बुध ग्रह को सम की श्रेणी में।
देव ग्रह = देव ग्रह की श्रेणी में आने वाले ग्रह सभी आपस में मित्र हैं।
दानव ग्रह = दानव ग्रह आपस में मित्र हैं।
सम ग्रह = सम ग्रह की श्रेणी में केवल बुध आते हैं। बुध ग्रह की चंद्र-मंगल से शत्रुता है, बाकि सभी ग्रहों से बुध की मित्रता है।
नमस्ते!
मैं ज्योतिष विज्ञान का एक विद्यार्थि हूँ जो हमेशा रहूँगा। मैं मूलतः ये चाहता हूँ कि जो कठिनाइयों का सामना मुझे करना पड़ा इस महान शास्त्र को सीखने के लिए वो आपको ना करना पड़े; अगर आप मुझसे जुड़ते हैं तो ये मेरा सौभाग्य होगा क्योंकि तभी मेरे विचारों की सार्थकता सिद्ध होगी।
नमस्कार एल. के एस्ट्रोलॉजी वेबसाइट में आपका स्वागत है। यह वेबसाइट आपको ज्योतिष विद्या एवं उससे होने वाले लाभ के बारे में एक विस्तृत जानकारी प्रदान करती है, जिसके माध्यम से आप अपने जीवन की बाधाओं को आसानी से दूर कर सकते हैं।
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1 thought on “अपनी जन्म कुंडली आसान भाषा में पढ़ना सीखें बिल्कुल फ्री में।”