Nadi Dosha का सत्य 90% लोगों को पता ही नहीं है। सामन्यतः वर-वधु की एक नाड़ी होने पर पंडित जी कह देते हैं कि यह विवाह श्रेयस्कर नहीं है क्योंकि इसमें Nadi Dosha है।
नमस्ते! रामराम! Whatever you feel connected with me. मैं ललित कुमार स्वागत करता हूँ आपका How to read Kundli सीरीज के Nadi Dosha अध्याय में।
विषय सूची
नाड़ी का चयन
Nadi Dosha को समझने से पहले आपको यह जानना होगा कि आपकी नाड़ी का निर्धारण हुआ कैसे है उसके पश्चात् हम Nadi Dosha को समझेंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तीन प्रकार की नाड़ी होती है आदि, मध्य और अंत इन्हीं में से कोई एक नाड़ी आपकी भी होगी, इन्हीं तीन प्रकार की नाड़ीयों से Nadi Dosha बनता है। अगर आपको अपना जन्म नक्षत्र पता है तो आप अपनी नाड़ी को कुछ इस प्रकार जान सकते हैं:-
आदि नाड़ी
अश्विनी, आद्रा, पुनर्वसु, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले व्यक्ति की आदि नाड़ी होती है। अगर इनमें से कोई एक नक्षत्र आपका है तो आपकी आदि नाड़ी होगी।
मध्य नाड़ी
भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा, उत्तराभाद्रपद अगर आपका इनमें से कोई एक जन्म नक्षत्र है तो आपकी मध्य नाड़ी होगी।
अंत नाड़ी
अंत नाड़ी में आने वाले नक्षत्र हैं कृतिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, स्वाती, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, रेवती।
आपने अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार अपनी नाड़ी तो जान ली लेकिन सवाल तो ये है कि आपको अपने जन्म नक्षत्र का कैसे पता चलेगा? जिन लोगों के पास अपनी जन्म पत्रिका है वो तो वहां से जान सकते हैं लेकिन जिनके पास नहीं है और अगर उनके पास अपनी जन्म का विवरण है जैसे जन्म समय, जन्मस्थान, जन्मतिथि तो वो लोग किसी ज्योतिषी से बात करके या फिर कोई सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके पता लगा सकते हैं। किन्तु किसी के पास ये जानकारी भी नहीं है तो वो लोग कैसे जानेंगे, वो लोग जानेंगे अपने नाम के पहले अक्षर से। जिसका विवरण निम्नलिखितानुसार है:—
अक्षर | नक्षत्र | चरण | राशि |
चू | अश्विनी | 1 | मेष |
चे | अश्विनी | 2 | मेष |
चो | अश्विनी | 3 | मेष |
ला | अश्विनी | 4 | मेष |
ली | भरणी | 1 | मेष |
लू | भरणी | 2 | मेष |
ले | भरणी | 3 | मेष |
लो | भरणी | 4 | मेष |
अ | कृतिका | 1 | मेष |
इ | कृतिका | 2 | वृषभ |
उ | कृतिका | 3 | वृषभ |
ए | कृतिका | 4 | वृषभ |
ओ | रोहिणी | 1 | वृषभ |
वा | रोहिणी | 2 | वृषभ |
वी | रोहिणी | 3 | वृषभ |
वु | रोहिणी | 4 | वृषभ |
वे | मृगशिरा | 1 | वृषभ |
वो | मृगशिरा | 2 | वृषभ |
का | मृगशिरा | 3 | मिथुन |
की | मृगशिरा | 4 | मिथुन |
कु | आर्द्रा | 1 | मिथुन |
घ | आर्द्रा | 2 | मिथुन |
ङ | आर्द्रा | 3 | मिथुन |
छ | आर्द्रा | 4 | मिथुन |
के | पुनर्वसु | 1 | मिथुन |
को | पुनर्वसु | 2 | मिथुन |
ह | पुनर्वसु | 3 | मिथुन |
ही | पुनर्वसु | 4 | कर्क |
हु | पुष्य | 1 | कर्क |
हे | पुष्य | 2 | कर्क |
हो | पुष्य | 3 | कर्क |
ड़ | पुष्य | 4 | कर्क |
डी | आश्लेषा | 1 | कर्क |
डू | आश्लेषा | 2 | कर्क |
डे | आश्लेषा | 3 | कर्क |
डो | आश्लेषा | 4 | कर्क |
मा | मघा | 1 | सिंह |
मी | मघा | 2 | सिंह |
मू | मघा | 3 | सिंह |
मे | मघा | 4 | सिंह |
मो | पूर्वाफाल्गुनी | 1 | सिंह |
टा | पूर्वाफाल्गुनी | 2 | सिंह |
टी | पूर्वाफाल्गुनी | 3 | सिंह |
टू | पूर्वाफाल्गुनी | 4 | सिंह |
टे | उत्तराफाल्गुनी | 1 | सिंह |
टो | उत्तराफाल्गुनी | 2 | कन्या |
पा | उत्तराफाल्गुनी | 3 | कन्या |
पी | उत्तराफाल्गुनी | 4 | कन्या |
पू | हस्त | 1 | कन्या |
ष | हस्त | 2 | कन्या |
ण | हस्त | 3 | कन्या |
ठ | हस्त | 4 | कन्या |
पे | चित्रा | 1 | कन्या |
पो | चित्रा | 2 | कन्या |
रा | चित्रा | 3 | तुला |
री | चित्रा | 4 | तुला |
रू | स्वाति | 1 | तुला |
रे | स्वाति | 2 | तुला |
रो | स्वाति | 3 | तुला |
ता | स्वाति | 4 | तुला |
ती | विशाखा | 1 | तुला |
तू | विशाखा | 2 | तुला |
ते | विशाखा | 3 | तुला |
तो | विशाखा | 4 | वृश्चिक |
ना | अनुराधा | 1 | वृश्चिक |
नी | अनुराधा | 2 | वृश्चिक |
नू | अनुराधा | 3 | वृश्चिक |
ने | अनुराधा | 4 | वृश्चिक |
नो | ज्येष्ठा | 1 | वृश्चिक |
या | ज्येष्ठा | 2 | वृश्चिक |
यी | ज्येष्ठा | 3 | वृश्चिक |
यू | ज्येष्ठा | 4 | वृश्चिक |
ये | मूल | 1 | धनु |
यो | मूल | 2 | धनु |
भा | मूल | 3 | धनु |
भी | मूल | 4 | धनु |
भू | पूर्वाषाढ़ा | 1 | धनु |
ध | पूर्वाषाढ़ा | 2 | धनु |
फ़ा | पूर्वाषाढ़ा | 3 | धनु |
ढ़ा | पूर्वाषाढ़ा | 4 | धनु |
भे | उत्तराषाढ़ा | 1 | धनु |
भो | उत्तराषाढ़ा | 2 | मकर |
जा | उत्तराषाढ़ा | 3 | मकर |
जी | उत्तराषाढ़ा | 4 | मकर |
खी | श्रवण | 1 | मकर |
खू | श्रवण | 2 | मकर |
खे | श्रवण | 3 | मकर |
खो | श्रवण | 4 | मकर |
ग | धनिष्ठा | 1 | मकर |
गी | धनिष्ठा | 2 | मकर |
गू | धनिष्ठा | 3 | कुंभ |
गे | धनिष्ठा | 4 | कुंभ |
गो | शतभिषा | 1 | कुंभ |
सा | शतभिषा | 2 | कुंभ |
सी | शतभिषा | 3 | कुंभ |
सू | शतभिषा | 4 | कुंभ |
से | पूर्वाभाद्रपद | 1 | कुंभ |
सो | पूर्वाभाद्रपद | 2 | कुंभ |
दा | पूर्वाभाद्रपद | 3 | कुंभ |
दी | पूर्वाभाद्रपद | 4 | मीन |
दू | उत्तराभाद्रपद | 1 | मीन |
थ | उत्तराभाद्रपद | 2 | मीन |
झ | उत्तराभाद्रपद | 3 | मीन |
ञ | उत्तराभाद्रपद | 4 | मीन |
दे | रेवती | 1 | मीन |
दो | रेवती | 2 | मीन |
चा | रेवती | 3 | मीन |
ची | रेवती | 4 | मीन |
Nadi Dosha के इस अध्याय में, उपर्युक्त दी गई तालिका को “लीलाधर” नाम का उदाहरण देते हुए आपको समझाने का प्रयास करता हूँ। लीलाधर का पहला अक्षर “ली” है; अब उपर्युक्त तालिका में ली अक्षर ढूंढो: तालिका के आरम्भ में 5 वें नंबर पर ली अक्षर है।
अर्थात् लीलाधर नाम के अनुसार जन्म नक्षत्र हुआ भरणी, चरण हुआ पहला (1), राशि हुई मेष तथा नाड़ी हुई मध्य। इस प्रकार आप भी अपने नाम के पहले अक्षर से नाड़ी, नक्षत्र, नक्षत्र चरण, राशि का पता लगा सकते हैं। पता लगाने को तो और भी बहुत कुछ पता लगा सकते हैं लेकिन How to read Kundli के सीरीज के Nadi Dosha अध्याय में उन सब तथ्यों के बारे में जानने की जरूरत नहीं; फिलहाल तो हम Nadi Dosha अध्याय को समझ रहें हैं तो इसी विषय के संदर्भ में बात करेंगे।
अब यहाँ पर एक और सवाल उठता है, वो ये कि कई लोगों का नाम भी सही नहीं है। कई लोगों ने जो पसंद आया वही रख लिया है। कई लोगों के साथ ऐसा हुआ है कि उनका नामकरण अक्षर सही नहीं आया जैसे ढ़,ञ आदि इस प्रकार का कुछ तो उन्होंने अपना नाम किसी और अक्षर से रख लिया उन्होंने क्या रखा उनके पुरोहित ने या उनके घर वालों ने जो रखा वही रख लिया। अब नाम पेंसिल से तो लिखा नहीं जो रबर से मिटा दो।
लेकिन इन सब सवालों में उलझने से ज्यादा अहम सवाल तो ये है कि अब कैसे पता करें सच्चाई को उसका एक ही रास्ता है, आप मेरे इस how to read Kundli सीरीज में लगातार बने रहिए और मेरे सारे लेख पढ़ते रहिए अन्यथा एक माध्यम है जिसके तहत आपकी कुंडली बन सकती है लेकिन यहां पर बताना निरर्थक है क्योंकि आप ज्योतिषी नहीं और अगर आप हो भी तो भी ये विषय इतना जटिल है कि चार-पांच वाक्यों में समाप्त नहीं कर सकता, उसके लिए अलग से 2-3 लेख डालने पड़ेंगे लेकिन आप कहेंगे तो ये भी कर दूँगा।
Nadi Dosha Kya Hai
Nadi Dosha विवाह के समय दंपत्तियों की कुंडली मिलान के दौरान मिलाए जाने वाले अष्टकूट गुणों में देखा जाता है। Nadi Dosh कुण्डली मिलान का एक अहम विषय है। वैदिक ज्योतिष में अष्टकूट मिलान को विवाह के लिए कुंडली मिलान में विशेष दर्जा प्राप्त है। अष्टकूट मिलान को गुण मिलान भी कहते हैं। वैदिक ज्योतिष में अष्टकूट मिलान को कुल 36 गुण मिले हैं, जिनका विवरण निम्न प्रकार है:—
गुण | अंक | भूमिका |
वर्ण | 1 | कार्यक्षेत्र |
वश्य | 2 | आधिपत्य |
तारा | 3 | भाग्य |
योनी | 4 | मानसिकता |
मैत्री | 5 | सामंजस्य |
गण | 6 | गुण |
भकूट | 7 | प्रेम |
नाड़ी | 8 | स्वास्थ्य |
उपर्युक्त इन्हीं 8 बिंदुओं को अष्टकूट मिलान या गुण मिलान कहते हैं। Nadi Dosh इन्हीं बिंदुओं के मिलान में देखा जाता है सामन्यतः किसी भी पुरोहित से कुण्डली का मिलान करवाते हैं अगर दोनों की कुण्डली में नाड़ी समान हो जैसे आदि-आदि, मध्य-मध्य या फिर अंत-अंत तो पुरोहित जी कह देते हैं कि इनके कुण्डली मिलान में Nadi Dosh बन रहा है। इससे 1 point तो साफ हुआ कि दोनों की नाड़ी समान तो Nadi Dosh विद्यमान। ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दंपतियों के जीवन में अगर Nadi Dosh बनता है तो संतति होने में समस्या होती है।
अब अगर विवाह के पश्चात् संतान न हो तो उस विवाह का औचित्य ही क्या रह जाता है। किसी भी विवाह की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब संतान होती है अच्छा आपने कभी सोचा कि अष्टकूट बिंदुओं में सबसे अधिक नंबर नाड़ी को ही क्यों मिले हैं; वो इसीलिए कि प्रत्येक विवाह सार्थक हो Nadi Dosh Parihar हो और संतान हो।
Nadi Dosh Parihar
जैसा कि उपर बताया जा चुका है कि Nadi Dosh होने पर विवाह श्रेयस्कर नहीं होता यह सत्य है। इसीलिए अष्टकूट मिलान में नाड़ी बिंदु को सर्वाधिक नंबर मिले हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि Nadi Dosh कब बनता है। तो आइये Nadi Dosh Parihar में इसकी चर्चा करें:—-
अब ऐसा नहीं है कि बच्चे न होने का सिर्फ एकमात्र कारण Nadi Dosh है। Nadi Dosh बच्चे ना होने का एक कारण हो सकता है लेकिन ये पूर्णतया सत्य हो ऐसा भी नहीं है क्योंकि आजकल संतान न होने की इतनी गंभीर-गंभीर समस्या चल रही हैं कि जिनका इलाज कराते-कराते 8-10 साल कब निकल जाती हैं पता ही नहीं चलता। खैर!
हाँ तो, दोनों की कुंडली में एक नाड़ी हो, एक ही नक्षत्र हो तथा एक ही चरण हो तभी Nadi Dosh का निर्माण होगा अन्यथा Nadi Dosh Parihar होगा।
जैसे वर की मध्य नाड़ी हो भरणी नक्षत्र हो 1,2,3,4 इनमें से कोई एक चरण हो तथा ठीक ऐसी ही स्थिति वधू की हो तो यह विवाह करना उचित नहीं क्योंकि अब Nadi Dosh Parihar नहीं हुआ, अब तो Nadi Dosh का निर्माण हो गया। अब अगर ये विवाह हुआ तो दाम्पत्य जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्या तथा संतान संबंधी समस्या 90% हो सकती है।
निष्कर्ष
संसार में ऐसी कोई चीज़ नहीं जिसका मानव ने समय के चलते तोड़ न निकाल हो, अगर समस्या है तो समाधान भी है। ठीक इसी प्रकार अगर आपकी कुण्डली में नाड़ी दोष निर्मित हो रहा है तो अब कोई बात नहीं क्योंकि अब तो विवाह हो गया, लेकिन अगर नाड़ी सम्बन्धित विषय से आपको कोई समस्या है तो आपकी कुंडली का सम्पूर्ण विश्लेषण करने के पश्चात् उसका हल निकाला जा सकता है।
विश्वास कीजिए मैंने अभी तक जितनी भी कुंडलियों का मिलान किया उनमें ना जानें कितनों की कुंडली में समान नाड़ी थी। लेकिन फिर भी मैंने वो कुंडलियां विवाह के लिए मान्य कर दी। ऐसा नहीं है कि उनके बच्चे नहीं हुए; सभी की संतति आगे बढ़ी और आज वो सभी संतान या Nadi Dosh के विषय से मुक्त हैं।
13 thoughts on “Nadi Dosha 100% Knock Out अब बच्चे नहीं होंगे! Don’t be upset”