Gemini Horoscope जानने के लिए आप सही जगह आयें हैं जानेंगे मिथुन राशि के लोग कैसे होते हैं आखिरकार ये राशि का निर्धारण कैसे होता है, क्या मिथुन राशि के जातक धनवान होते हैं या बहुत कुटिल बुद्धि के होते हैं। नमस्ते मेरा नाम है ललित कुमार तो चलिए शुरू करते हैं।
विषय सूची
बुध की राशि क्या है?
Gemini Horoscope मिथुन राशि का राशिफल, मिथुन राशि बुध देव की है। बुध देव की दो राशियां है एक मिथुन और एक कन्या। मिथुन राशि में जन्में व्यक्ति का तत्व वायु होता है। राशि का निर्धारण चंद्रमा से होता है। जीवन में चंद्रमा का बहुत महत्व है। यहां हम चंद्रमा के महत्व के बारे में बात नहीं करेंगे क्योंकि चंद्रमा के बारे में सम्पूर्ण गाथा हम मेष राशि में बता चुके हैं।
मिथुन राशि में आने वाले अक्षर
मिथुन राशि के नाम का पहला अक्षर का, की, कु, घ, ङ, छ, के, को, ह होता है।
मिथुन राशि के नक्षत्र
मिथुन राशि में तीन नक्षत्र आते हैं मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र और पुनर्वसु नक्षत्र।
- मिथुन राशि मृगशिरा नक्षत्र:- मृगशिरा नक्षत्र के दो चरण मिथुन राशि में आते हैं जिनके नाम का अक्षर का, की होता है। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव होते हैं, मंगल के आराध्य हनुमान जी है। मृगशिरा नक्षत्र वालों को चंद्र की उपासना करनी चाहिए।
- मिथुन राशि आर्द्रा नक्षत्र:- आर्द्रा नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि में आते हैं जिनके नाम का अक्षर कु, घ, ङ, छ होता है आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी राहु देव हैं, राहु देव छाया ग्रह हैं और ये शनि देव के जैसे फल देते हैं। आर्द्रा नक्षत्र वालों को काली या रुद्र की उपासना करनी चाहिए।
- पुनर्वसु नक्षत्र:- पुनर्वसु नक्षत्र के तीन चरण मिथुन राशि में आते हैं जिनके नाम का अक्षर के, को, ह होता है। पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी गुरु देव होते हैं, गुरु देव के आराध्य विष्णु जी हैं। पुनर्वसु नक्षत्र वालों को सरस्वती जी की आराधना करनी चाहिए।
मिथुन राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?
मिथुन राशि का राशिफल, मिथुन राशि बुध देव की है और बुध देव के आराध्य गणेश जी है इसलिए व्यक्ति को गणेश जी की आराधना अवश्य करनी चाहिए।
मिथुन राशि का मंत्र बताइए
मिथुन राशि का राशिफल, मिथुन राशि का मंत्र “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” जो व्यक्ति को रुद्राक्ष की माला पर 108 बार बुधवार वाले दिन तो बोलना ही चाहिए।
मिथुन राशि के भाग्य में क्या लिखा है?
मिथुन राशि का राशिफल, आपकी लग्न कुंडली में नवम भाव में जो राशि है उस राशि का स्वामी अगर योगकारक है और नवम भाव पर पड़ने वाली ग्रहों की दृष्टि भी शुभ है तथा नवम भाव में बैठे हुए ग्रह अगर मारक नहीं है तो आपको परिश्रम का अच्छा फल प्राप्त होगा, भाग्य का साथ मिलेगा, धन की प्राप्ति होगी, आपका मान-सम्मान बढ़ेगा, सभी चिंताएं दूर होंगी, बाधाएं दूर होंगी, धनलाभ होगा, दौड़-भाग के बाद कार्य सफल होंगे।
अगर आपकी मिथुन लग्न की कुंडली है तो आपके भाग्य स्थान में कुंभ राशि होगी जो शनि देव की है इसलिए आप रोजाना शाम 6 बजे के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएँ, कम-से-कम शनिवार वाले दिन तो अवश्य ही ऐसा करें।
मिथुन राशि की आयु कितनी होती है?
मानसागरी के अनुसार मिथुन राशि में जन्म लेने वाले जातक को 6वें माह में कष्ट होता है, 6वें वर्ष में किसी प्रकार का रोग लगता है, 10वें वर्ष में नेत्र पीड़ा होने की संभावना रहती है, 18वें वर्ष में शरीर में किसी प्रकार का आघात पहुँचता है, जातक के 24वें, 53वें या 63वें वर्ष में मृत्यु के समान कष्ट होता है। मिथुन राशि के जातकों की पूर्ण आयु 85 वर्ष की होती है। मिथुन राशि में जन्म लेने वाले जातकों की मृत्यु पौष मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि बुधवार के दिन को हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण में देह का त्याग होता है।
मिथुन राशि वालों के उपाय
मिथुन राशि के लिए सबसे सटीक एकमात्र उपाय जो आप बिना पैसे खर्च किये घर में ही कर सकते हैं। “सिद्ध कुंजिका स्त्रोत” का पाठ ये पाठ बेहद ही लाभकारी है। इस स्त्रोत का पाठ मनुष्य के जीवन में आ रही सभी समस्याओं और विघ्नों का अंत कर सकता है। माँ दुर्गा के इस पाठ का जो मनुष्य अपने जीवन में प्रतिदिन करता है निःसंदेह उसके समस्त कष्टों का अंत होता है।
मिथुन राशि व्यापार
मिथुन राशि के लिए बिजनैस वाणिज्य व्यापार, वादक कलाकार, ज्योतिषी, धर्म गुरु, दुर्लभ वस्तुओं का विक्रेता, विद्युत अभियंता, कम्प्यूटर प्रोग्रामर, मनोचिकित्सक, नेवीगेशन व्यवसाय, खोज कार्य, चित्रकार, कृषि कार्य, या फिर शिल्पकार का होता है। यहां पर आपको ध्यान देना है कि व्यवसाय का सही निर्धारण आपकी जन्मकुंडली का अध्ययन करने के पश्चात् ही किया जा सकता है।
मिथुन राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए
- मिथुन राशि के स्वामी बुध देव हैं और बुध देव के आराध्य गणेश जी है, इसलिए जातकों को गणेश चतुर्थी का व्रत करना चाहिए। गणेश चतुर्थी वर्ष में 12 बार और माह में एक बार आती है।
- यदि आपकी कुंडली में कोई दोष हैं तो प्रत्येक बुधवार 11 बार निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। इस मंत्र में भगवान श्रीगणेश के 12 नामों का जाप किया जाता है। ऐसी मान्यता है यदि आप इस मंत्र का जाप किसी मंदिर में भगवान गणेश के सामने बैठकर करें तो आपको शुभ फल की प्राप्ति बहुत ही जल्दी होती है।
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।। धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
मिथुन राशि की गुप्त बातें
ये जातक दोहरी मानसिकता वाले होते हैं। इनके व्यक्तित्व को एक बार में समझा नहीं जा सकता है। इन जातकों की गुप्त बातों को जानने के लिये इनके साथ अधिक समय व्यतीत करना ही पड़ता है। मिथुन राशि के जातक एक बार मिलकर ही किसी के बारे में सबकुछ जानना चाहते हैं और अपने बारे में बहुत कम बताते हैं।
मिथुन राशि महिला
मिथुन राशि महिला कैसे होते हैं? ये प्रश्न जटिल और एक विवादित प्रश्न है क्योंकि मुख्य रूप से यह प्रश्न केवल महिलाओं के बारे में पूछता है हालाँकि मिथुन राशि महिला की बात करें तो ये अत्यधिक प्रखर बुद्धि के साथ-साथ जटिलता भरें व्यक्तित्व का मिश्रण भी है। मिथुन राशि महिला अत्यधिक चातुर्यता से भरी होती है। बुध ग्रह राशि का स्वामी होने के कारण ये वक्तव्य में माहिर होती हैं, इनकी अचूक भाषा शैली के कारण ये किसी को भी अपनी तरफ आसानी से आकर्षित कर लेती हैं।
इस राशि में जन्म लेने वाली महिला हर विषय पर चर्चा करने में सक्षम होती हैं। इनका मन कभी शांत नहीं रहता है; जिज्ञासा इनके दिमाग में हमेशा स्थायी रूप से वास करती है। कब? क्यों? और कैसे? इन प्रश्नों का जब तक ये उत्तर ना पा लें तब तक ये शांत भी नहीं रहती हैं। बात करें इनके शारीरिक सौंदर्य की तो इनकी आँखें बेहद ही खूबसूरत होती हैं इनकी आँखों में देखने पर एक विचित्र प्रकार की आभा नजर आती है ऐसा लगता है कि एक अनोखे ज्ञान का समंदर इनकी आँखों में छुपा हुआ है जिसको निकालने का रास्ता अभी इनको मिला नहीं है।
मिथुन राशि प्रेम
मिथुन राशि का प्यार तुला राशि के लोगों से बेहद ही सुखद रहता है विशेष रूप से सेक्स के क्षेत्र में तुला राशि के जातक मिथुन राशि के लोगों को अत्यधिक आकर्षित करते हैं। हालाँकि मकर राशि भी मिथुन राशि के चुनाव के लिए बेहतर हैं परंतु मकर राशि के साथ मिथुन राशि का संबंध थोड़े दिनों के पश्चात् शक के कटघरे में आ जाता है; हाँ कहानी ज्यादा नहीं बिगड़ती है किन्तु शक का फासला कहीं-न-कहीं बना ही रहता है। तुला राशि के साथ मिथुन राशि का संबंध एक-दूसरे के लिए प्रेरणा का कार्य करता है। इसलिए तुला राशि मिथुन राशि के लिए सबसे बेहतर चुनाव है।
मिथुन राशि के लाभ
मिथुन राशि में जन्म लेने वाले जातक खगोल शास्त्र को पढ़ने में अधिक रुचि दिखाते हैं। ये जानना चाहते हैं कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति किन तथ्यों के आधार पर हुयी है। उन तथ्यों को अपने विवेक से टटोलना चाहते हैं। राहु, केतु और शनि इनकी लग्न कुंडली में अगर योगकारक के साथ सही स्थिति में भी होते हैं तो ऐसे जातक निःसंदेह एक बेहतरीन वैज्ञानिक भी बनते हैं; जिनकी खोज हमेशा ब्रह्माण्ड को खंखोलने की होती है।
मिथुन राशि में राहु-केतु का प्रभाव
अगर आपकी मिथुन लग्न की कुंडली है तो आपके पहले भाव में 3 लिखा होगा जो मिथुन राशि है।
- राहु-केतु मिथुन लग्न में
1H | 2H | 3H | 4H | 5H | 6H | 7H | 8H | 9H | 10H | 11H | 12H | |
राहु | R | W | R | * | * | W | W | W | * | W | W | W |
केतु | W | W | W | * | * | W | R | W | * | W | W | W |
मिथुन राशि का दुश्मन
मेष, कर्क और वृश्चिक राशि के जातक मिथुन राशि के साथ शत्रुता रखते हैं।
मिथुन राशि के दोस्त
वृषभ, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले जातक मिथुन राशि से मित्रता रखते हैं।
मिथुन राशि का जीवनसाथी
मिथुन राशि का जीवन साथी तुला राशि का जातक सबसे बेहतर होता है।
मिथुन राशि का वैवाहिक जीवन
चंद्र कुंडली के आधार पर आपके सप्तम भाव में धनु राशि होगी जो गुरु देव की है। अगर गुरु देव योगकारक होंगे तो आपका वैवाहिक जीवन सुखद ही होगा।
बुध देव का बीज मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः
विनम्र निवेदन
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