संतान सुख; समाज में विवाह का नियम इसलिए ही बना था कि वंश को आगे बढ़ाया जा सके और वंश संतान की उत्पत्ति से ही सम्भव है। अगर विवाह के पश्चात् संतानोत्पत्ति ना हो तो हम कह सकते हैं कि विवाह का होना निरर्थक है हालाँकि वर्तमान समय में विवाह की परिभाषा ही बदल गयी है क्योंकि Transgender भी समाज का एक भाग हो गया है लेकिन फिर भी संतान की ललक अभी-भी समाज में सर्वोत्कृष्ट है इसको अभी झुठलाया नहीं जा सकता है। हाँ, भविष्य का कुछ कहा नहीं जा सकता है किन्तु वर्तमान में संतान का होना एक दाम्पत्य जीवन में अतिसम्भावि है।
वैसे तो विवाह के समय वर-वधू की कुण्डली का मिलान होता है जिसमें पता चलता है कि दोनों का विवाह होने के लिए श्रेयस्कर है अथवा नहीं। इसी मिलान में नाड़ी दोष का भी पता चलता है हालाँकि नाड़ी दोष इतनी आसानी से नहीं बनता है और अगर बन भी जाता है तो इतना जटिल भी नहीं कि समय रहते संतान के लिए इसको सुलझाया ना सके।
अगर आपको भी संतान सुख की समस्या है तो आप हमसे जुड़ के इसका निवारण कर सकते हैं। निःसंदेह आपकी समस्या का समाधान किया जाएगा, विश्वास रखिए।
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