वृषभ राशि का राशिफल 2023 क्या आपका इस वर्ष विवाह होगा?

वृषभ राशि अगर आपकी है तो आप सही जगह आयें हैं जानेंगे वृषभ राशि के लोग कैसे होते हैं आखिरकार ये राशि का निर्धारण कैसे होता है, क्या वृषभ राशि के जातक धनवान होते हैं या बहुत कुटिल बुद्धि के होते हैं। इससे पहले हम मेष राशि के बारे में बता चुके हैं अगर आपकी मेष राशि है तो आप उसे अवश्य पढ़िए। नमस्ते मेरा नाम है ललित कुमार तो चलिए शुरू करते हैं।

विषय सूची

शुक्र ग्रह की राशि

वृष राशि शुक्र देव की है। शुक्र देव की दो राशियां है एक वृषभ और एक तुला। वृष राशि में जन्में व्यक्ति का तत्व पृथ्वी होता है। राशि का निर्धारण चंद्रमा से होता है। जीवन में चंद्रमा का बहुत महत्व है। यहां हम चंद्रमा के महत्व के बारे में बात नहीं करेंगे क्योंकि चंद्रमा के बारे में सम्पूर्ण गाथा हम मेष राशि में बता चुके हैं।

वृषभ राशि अक्षर

वृष राशि के नाम का पहला अक्षर इ, उ, ए, ओ, वा, वी बु, वे, वो, होता है।

वृषभ राशि में कौन सा नक्षत्र होता है?

वृष राशि में तीन नक्षत्र आते हैं कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा।

  • कृतिका नक्षत्र:- कृतिका नक्षत्र के तीन चरण वृष राशि में आते हैं जिनके नाम का अक्षर इ, उ, ए होता है। कृतिका नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव होते हैं, सूर्य के आराध्य विष्णु जी है। कृतिका नक्षत्र वालों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • रोहिणी नक्षत्र:- रोहिणी नक्षत्र के चारों चरण वृष राशि में आते हैं जिनके नाम का अक्षर ओ, वा, वी, बु होता है रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव हैं, चंद्र देव के आराध्य शिव जी हैं। रोहिणी नक्षत्र वालों को गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए।
  •    मृगशिरा नक्षत्र:- मृगशिरा नक्षत्र के दो चरण वृष राशि में आते हैं जिनके नाम का अक्षर वे, वो होता है। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव होते हैं, मंगल देव के आराध्य हनुमान जी हैं। मृगशिरा नक्षत्र वालों को पार्वती जी की आराधना करनी चाहिए।

वृषभ राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?

वृष राशि शुक्र देव की है और शुक्र देव के आराध्य लक्ष्मी जी है इसलिए व्यक्ति को शुक्रवार का व्रत या फिर शुक्रवार को चींटियों को आटा अवश्य डालना चाहिए।  

वृषभ राशि का मंत्र

“ॐ गोपालाय उत्तर ध्वजाय नमः” जो व्यक्ति को स्फटिक की माला पर 108 बार शुक्रवार वाले दिन तो बोलना ही चाहिए।  

वृषभ राशि की कमजोरी क्या है?

इनकी मुख्य कमजोरी आलस है, इनको आलस अधिक पसन्द है इसलिए इनके मुख्य कार्य में देरी आती है और ये विशिष्ट ऊर्जा होने के बावजूद भी पिछड़ जाते हैं अगर ये आलस को त्याग दे और जब कार्य करने पर आ जाएं तो कार्य समाप्त होने तक आराम भी नहीं करते हैं। 

वृषभ राशि के रोग

वृष राशि का लग्नेश अगर पीड़ित हो जाए तो जातक को किसी-न-किसी प्रकार की बीमारी अवश्य लगती है वैसे इन जातकों को अधिकतर पायरिया, डिप्थीरिया और टॉन्सिल जैसी समस्याएं सामान्यतः पायी जाती है।  

वृषभ राशि का स्वभाव

  • वृष राशि, राशि चक्र की दूसरी राशि है; इस राशि का चिन्ह बैल होता है इसलिए इस राशि के जातक अधिक परिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होते हैं।
  • सामान्यतः व्यक्ति शांत ही रहते हैं लेकिन क्रोध आने पर वह उग्र हो जाते हैं फिर उनको संभालना बहुत कठिन होता है।
  • इस राशि में पैदा होने वाले जातक शौकीन मिजाज़ के, सजावटी स्वभाव के, जीवनसाथी के साथ मिलकर कार्य करने वाले, अपने को उच्च समाज से जोड़ कर चलने वाले, अपने नाम को दूर-दूर तक फैलाने वाले, हर किसी के लिए उदार स्वभाव रखने वाले होते हैं। ,  

वृषभ राशि सम्पूर्ण जीवन?

  • वृष राशि के जातकों को भोजन का अधिक शौक होता है ये नये-नये प्रकार के भोजन बनाना एवं इनको प्रतिदिन नया खाना-खाना पसंद है।
  • ये बहुत ही शांत प्रकृति के होते हैं मगर कभी बिगड़ जाते हैं तो मरने-मारने पर आ जाते हैं।
  • इनकी जिंदगी में ऐस और आराम हो या ना हो पर ये जीवन पूरा ठाठ के साथ जीते हैं, इनको ऐस-आराम की जिंदगी बेहद ही पसंद होती है।
  • माहौल को बार-बार बदलना इनको अच्छा नहीं लगता है, अपने को स्थिर रखना इनको ज्यादा लुभाता है इसलिए परिवर्तन से इनको चीड़ सी होती है।

 वृषभ राशि के व्यवसाय?

  • वृष राशि की स्त्रियां अधिकतर गृहिणी ही होती है, लेकिन गृहिणी होने के बावजूद अपने दायित्व को एकदम बेहतरी से निभाती हैं।
  • वृष राशि के जातकों का व्यवसाय अधिकतर सुरक्षा अधिकारी का, अग्नि से संबंधित व्यवसाय, बेकरी कार्य, हलवाई कार्य, बैल्डिंग कार्य, मनोरंजन से जुड़ा हुआ कार्य या फिर कलाकार का कार्य, फास्ट-फूड से संबंधित कार्य, पर्यटन कार्य, सज्जा का कार्य, हीरे से जुड़ा हुआ कार्य, मधुर वक्तव्य में निपुण, खोज कार्य से जुड़ा हुआ, चित्रकारी, कृषि कार्य, शिल्पकारी, वकालत कार्य, लेखन कार्य, सरकारी टेंडर कार्य, सरकार से जुड़ा हुआ कार्य, किसी भी प्रकार की फोर्स का कार्य, दूध कार्य, पानी का कार्य, प्रोपर्टी कार्य, किसी भी प्रकार के झगड़े का कार्य होता है। यहां पर आपको ध्यान देना है कि व्यवसाय का सही निर्धारण आपकी जन्मकुंडली का अध्ययन करने के पश्चात्‌ ही किया जा सकता है।  

वृषभ राशि धन?

वृष राशि के जातकों को धन को एकत्रित करने की बहुत इच्छा होती है, जितना भी धन इनके पास होता है वो इतनी आसानी से खर्च नहीं होता है। इनका एकत्रित करा हुआ धन अगर खर्च भी होता है तो वो किसी अन्य के लिए होता है, अपने उपर इनका धन बहुत मुश्किल से और वेबजह खर्च नहीं होता है।

 वृषभ राशि प्रेम संबंध

वृष राशि के जातकों के लग्न के अनुसार 5th House में अगर कोई Negative ग्रह उपस्थित होता है और जातक के इष्ट देव अगर मारक हो तो जातक को Love में हमेशा धोखा ही मिलता है और पढ़ाई में मन हमेशा उछलता ही रहता है। जातक को जिनसे प्रेम होता है उनका आदर भी बहुत करते हैं और जिनसे इनको चिढ़ सी होती है उनका निरादर भी नहीं करते बस सामान्य रहते हैं।    

वृषभ राशि की स्त्री का चरित्र

वृष राशि की स्त्री सुखी और विलासी जीवन जीना पसंद करती हैं फिर चाहें ऐसा जीवन मिले या ना पर इनके मन में ऐसी कामना अवश्य आती है। वृषभ राशि की स्त्री सौंदर्य व भौतिक वस्तुओं पर अपना ध्यान अधिक केंद्रित करती हैं, इनको बार-बार अपने आप को देखना और अपनी तारीफ सुनना अधिक लुभाता है। जिसको एक बार मन से अपना मान लें चाहत बस उसी के लिए दिल में होती है; वृष राशि वाली स्त्रियों को पारिवारिक शिक्षा अगर सही मिली हो तो इन स्त्रियों को अन्य पुरुष के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता है ऐसी स्त्री पूर्ण रूप से पतिव्रता स्त्री होती हैं।  

वृषभ राशि की विशेषता

वृष राशि की लग्न कुंडली के केंद्र में अर्थात्‌ 1H, 4H, 7H, 10H में अगर वृष या तुला राशि हो और शुक्र देव भी इन्हीं राशि में उपस्थित हो तो जातक का पंच महापुरुष योग में मालव्य नाम का योग बनता है जो जातक को बहुत प्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठावान व्यक्ति और धन-धान्य से संपन्न व्यक्ति बनाता है।  

वृषभ राशि की पत्नी

  • वृष राशि की पत्नी सामान्यतः झूठ नहीं बोलती हैं, पर बोलती हैं भी तो बहुत गंभीर बात के लिए और जो बात इनसे छुप गयी वो इतनी आसानी से इनके मुख से बाहर भी नहीं आती है।  
  • वृष राशि की पत्नी बहुत कम बोलना पसन्द करती हैं पर इनसे अगर कोई लगातार बात करता रहे तो ये बात अवश्य कर लेती हैं।  
  • वृष राशि की पत्नी का चेहरा अधिकतर सांवला होता है लेकिन दिखने में अत्यधिक सुंदर होता है, इनके शरीर में जन्म से अगर कोई विकृति आ जाये तो आ जाये पर जन्म के पश्चात्‌ इनके शरीर में दुर्घटना बहुत ही मुश्किल से होती है पर जब होती है तो अत्यधिक गंभीर होती है।   

वृषभ राशि के उपाय

  1. वृष राशि में कौन सा नक्षत्र होता है?, वृष राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, वृष राशि का मंत्र; इन तीनों Topics में मैं कुछ उपाय बता चुका हूं जहां से आप अपने लिए बेहतर उपाय चुन सकते हैं।  
  2. वृष राशि के उपाय में शुक्र देव का वैदिक बीज मंत्र आप कर सकते हैं जो आपके लिए सबसे बेहतर रहेगा, शुक्र देव का बीज मंत्र शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से सुबह 08:30 से 11:00 के समय में आरम्भ करना है, इसके बाद आप कभी भी शाम 06:00 बजे से पहले बोल सकते हैं लेकिन कोशिश होनी चाहिए कि पूजा का समय प्रत्येक दिन समान ही रहे किसी कारणवश अगर किसी दिन की पूजा छूट जाती है तो आप अगले दिन दो बार मंत्र को बोल सकते हैं।
  • मंत्र स्फटिक की माला पर हो तो सबसे बेहतर है नहीं तो आप रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • जप की माला को कभी पहनना नहीं चाहिए और माला को हमेशा पूजा स्थल पर किसी कपड़े में ढक कर ही रखना चाहिए।
  • एक मंत्र एक दिन में 108 बार ही बोलना चाहिए, मंत्र उच्चारण आप मानसिक या वाचिक जैसे आप को अच्छा लगे वैसे कर सकते हैं।
  • शुक्र देव का मंत्र “ॐ शुं शुक्राय नमः”।
  • अधिक जानकारी के लिए आप मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं।   

वृषभ राशि का गुरु कौन है?

वृष राशि शुक्र देव की है और शुक्र देव के आराध्य लक्ष्मी जी है और लक्ष्मी जी का कोई गुरु नहीं है, हाँ लक्ष्मी जी विष्णु जी के अधीन अवश्य है क्योंकि उनकी अर्धांगिनी है; इसलिए वृष राशि का गुरु कौन है ये प्रश्न ही निरर्थक है।  

वृषभ राशि में गुरू का फल

राशि के अनुसार फलकथन होता ही नहीं है, फलकथन आपकी लग्न कुंडली के आधार पर होता है। आपकी लग्न कुंडली में जो ग्रह योगकारक की श्रेणी में आया वो आपको सदैव अच्छे ही परिणाम देता है और जो ग्रह मारक की श्रेणी में आता है वो आपको जीवन भर गलत ही परिणाम देगा जिनका आपको उपाय भी करना चाहिए। इसलिए योगकारक ग्रहों को केवल बलशाली किया जाता है और मारक ग्रहों को उचित उपाय के माध्यम से शांत किया जाता है और ये पैसे देके किसी से करवाया नहीं जा सकता ये आपको स्वयं ही करना होता है।

वृषभ राशि का भविष्य क्या है?

किसी भी प्रकार का भविष्य जानने के लिए आपकी लग्न कुंडली का अध्ययन करना अनिवार्य है।

वृषभ राशि की उम्र कितनी होती है?

40 वर्ष से 80 वर्ष तक।

वृषभ राशि वालों का विवाह कब होगा?

सामान्यतः 23 वर्ष से 28 वर्ष तक हो जाता है।

वृषभ कुंडली?

आपकी जन्मकुंडली के 1House में अगर 2 लिखा है तो निःसंदेह आपकी वृषभ लग्न की कुंडली है।

वृषभ राशि का वैवाहिक जीवन?

जन्मकुंडली के 7House में अगर कोई विशेष दोष ना हो तो सुखद ही होता है।

वृषभ राशि के देवता कौन है?

लक्ष्मी जी

वृषभ राशि का शुभ दिन कौन सा है?

शुक्रवार, शनिवार और बुधवार

वृषभ राशि का शुभ रंग कौन सा है?

नीला, हल्का नीला, सफेद, जामुनी, हरा और काला।

वृषभ राशि का शुभ अंक कौन सा है?

6; जोड़ कर भी 6 आये जैसे 5+1=6

वृषभ राशि की शत्रु राशि कौन सी है?

मेष, मिथुन और वृश्चिक

नमस्ते! मैं ज्योतिष विज्ञान का एक विद्यार्थि हूँ जो हमेशा रहूँगा। मैं मूलतः ये चाहता हूँ कि जो कठिनाइयों का सामना मुझे करना पड़ा इस महान शास्त्र को सीखने के लिए वो आपको ना करना पड़े; अगर आप मुझसे जुड़ते हैं तो ये मेरा सौभाग्य होगा क्योंकि तभी मेरे विचारों की सार्थकता सिद्ध होगी।

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